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छत्तीसगढ़ की जेलों में क्षमता से 157 प्रतिशत अधिक बंदी,कमजोर, असहाय और रिहाई के लिए पात्र बंदियों की रिहाई के लिए चलेगा विशेष अभियान

  छत्तीसगढ़। असल बात न्यूज़।।        00  विधि संवाददाता    आर्थिक रूप से कमजोर, असहाय और  रिहाई के लिए पात्र बंदियों की रिहाई के लिए अंडर ट्...

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छत्तीसगढ़।

असल बात न्यूज़।। 

     00  विधि संवाददाता  

आर्थिक रूप से कमजोर, असहाय और  रिहाई के लिए पात्र बंदियों की रिहाई के लिए अंडर ट्रायल समीक्षा समिति का विशेष अभियान की शुरु किया जा रहा है। छत्तीसगढ़ में इसके लिए अंडर ट्रायल रिव्यु कमेटी के द्वारा  18 सितंबर से 20 नवंबर  तक (UTRC)स्पेशल केम्पेन चलाया जाएगा। उल्लेखनीय है कि देश की जेलों में वर्ष 2015 के आंकड़े के अनुसार 80 हजार महिलाओं सहित लगभग 4.19 लाख कैदी बंद हैं।इन में  67% यानी 2.94 लाख यूटीपी हैं। यूटीपी का यह प्रतिशत विश्व में भारत में सबसे अधिक है। जिला एवं सत्र न्यायाधीश रायपुर अब्दुल जाहिद कुरैशी ने बताया है कि यहां यूटीआरसी स्पेशल कैम्पेन 2023 विशेष अभियान का क्रियान्वयन शुरू हो गया है और इसका पात्र बंदियों को फायदा मिलेगा।

राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के माध्यम से अंडर ट्रायल रिव्यु कमेटी स्पेशल केम्पेन पूरे देश में शुरू हो गया है। यह 18 सितंबर से 20 नवंबर  तक चलेगा।न्यायमूर्ति  संजय किशन कौल  भारत के सर्वोच्च न्यायालय और कार्यकारी अध्यक्ष,राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण,नई दिल्ली के अनुमोदन से देश के सभी राज्यों में वहां के राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के माध्यम से यह अभियान शुरू किया गया है। इस अभियान से रिहाई के लिए पत्रबंदियों को काफी फायदा मिलने की उम्मीद की जा रही है।

कानूनी सेवा प्राधिकरण अधिनियम, 1987 की धारा 12(जी) के अनुसार, हिरासत में रखा गया व्यक्ति निःशुल्क और सक्षम कानूनी सेवाओं का हकदार है। भारत में एनसीआरबी द्वारा जारी 2015 के जेल आंकड़ों के अनुसार, लगभग 1250 केंद्रीय, राज्य और उप-जेलें हैं, जिनमें 80,000 महिलाओं सहित लगभग 4.19 लाख कैदी बंद हैं। एनसीआरबी डेटा के मुताबिक, उपरोक्त बंदियों में से 67% यानी 2.94 लाख यूटीपी हैं। यूटीपी का यह प्रतिशत विश्व में अब तक सबसे अधिक में से एक है क्योंकि जेलों में विश्व यूटीपी का औसत केवल 31% है। छत्तीसगढ़ में भी जेल की हालत काफी खतरनाक है जहां क्षमता से 157 प्रतिशत बंदी बंद है।

दिसंबर 2017 तक, विभिन्न जेल अधिकारियों से प्राप्त आंकड़ों के अनुसार, भारत में 1250 जेलों की क्षमता 3.78 लाख है और वास्तविक कैदी 4.19 लाख हैं। इस हिसाब से भारत की जेलों में 114% क्षमता से अधिक भीड़ है। कुछ जेलों की स्थिति इतनी ख़तरनाक है कि उनमें अपनी क्षमता का 150% से अधिक बंदी बंद हैं। जबकि तमिलनाडु (66%), तेलंगाना (76%), पश्चिम बंगाल (66%) जैसे राज्यों में स्थिति इस तथ्य को देखते हुए ठीकठाक है कि राज्यों ने पर्याप्त संख्या में जेलों का निर्माण किया है, लेकिन उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों में स्थिति गंभीर है। 182%), उत्तराखंड (159%)। *छत्तीसगढ़ (157%)*महाराष्ट्र (144%) जहां जेलों की संख्या काफी कम है।

*विधिक सेवा संस्थानों द्वारा लगभग 1250 जेलों में 1158 विधिक सेवा क्लिनिक स्थापित किये गये हैं

इस अभियान का *उद्देश्य* अंडर ट्रायल रिव्यु कमेटी(UTRC)के कामकाज में तेजी लाना और सभी पात्र विचाराधीन बंदियों के प्रकरण 436 A, 167 जैसे मामलों पर विचार करेगी।बंदियों की कुल 14 श्रेणियों को शामिल करके उनकी शीघ्र रिहाई पर विचार किया जाएगा।इससे उन बंदियों की पहचान की जाएगी जो कि आर्थिक रूप से कमजोर और असहाय है और उन सभी की समीक्षा में तेजी आएगी जो रिहाई के लिए पात्र हैं।यह विशेष अभियान जेलों में भी निरुध्द बंदियों और न्याय के बीच सेतु बनने का कार्य करेगा।उक्त अभियान में UTRC एक जिला स्तरीय समिति है जिसकी अध्यक्षता माननीय जिला एवं सत्र न्यायाधीश महोदय करते हैं जिसमें जिला मजिस्ट्रेट(कलेक्टर) पुलिस अधीक्षक तथा माननीय मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट,माननीय सचिव,जिला विधिक सेवा प्राधिकरण,जेल अधीक्षक सदस्य के रूप में रहते हैं। रायपुर एवं गरियाबंद जिले के केंद्रीय जिला जेल और उपजेल/किशोर न्याय बोर्ड के सभी न्यायालयों से विशेष अभियान के लिए आहूत की गई है।इस विशेष अभियान में साप्ताहिक बैठकों के माध्यम से अभियान की प्रगति पर चर्चा करने,अतिरिक्त मामलों की समीक्षा करने और उन मामलों में आगे की कार्यवाही पर चर्चा करने के लिए बैठकें आयोजित करेगा जहां जमानत आवेदन खारिज कर दिए गए हैं।उक्त अभियान में दो प्रारूप का भी वर्णन किया गया है जिसमे प्रारूप ए में जिला विधिक सेवा प्राधिकरण को निर्धारित प्रारूप में UTRC की गई कार्यवाही रिपोर्ट राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण,छत्तीसगढ़ को प्रस्तुत करनी होगी।जिसके पश्चात राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण को संबंधित राज्य और केंद्र शासित प्रदेश की समेकीत UTRC कार्यवाही रिपोर्ट निर्धारित प्रारूप ब के रूप में राष्टीय विधिक सेवा प्राधिकरण,नई दिल्ली को प्रस्तुत करनी होगी।इस अभियान में जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के पैरालीगल वॉलिंटियर्स,लीगल एड डिफेंस कॉउन्सिल सिस्टम विभाग के अधिकारीगण महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे। जिससे हर पक्षकार को न्याय तक पहुँचने में सुगमता आने की उम्मीद है। इस तरह से  जिला विधिक सेवा प्राधिकरण की निःशुल्क योजनाओं का लाभ पहुँचेगा और न्याय सबके लिए के उद्देश्य के लक्ष्य प्राप्ति की ओर अग्रसर हो सकेगा।