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सिटी बस न चला पाने वाले रोक रहे हैं रेल - भाजपा, भाजपा शासनकाल में बस्तर ने पहली बार देखी रेल-छत्तीसगढ़ में रेल सुविधाओं के उन्नयन के लिए मोदी सरकार ने दिए हैं 23 हजार 532 करोड़---- भाजपा जिला अध्यक्ष जितेंद्र वर्मा

 दुर्ग इस वित्तीय वर्ष में छत्तीसगढ़ के लिए 6 हजार करोड़ का आवंटन  दुर्ग।  भाजपा जिला अध्यक्ष जितेंद्र वर्मा ने कांग्रेस के रेल रोको आंदोलन को...

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 दुर्ग

इस वित्तीय वर्ष में छत्तीसगढ़ के लिए 6 हजार करोड़ का आवंटन 

दुर्ग।  भाजपा जिला अध्यक्ष जितेंद्र वर्मा ने कांग्रेस के रेल रोको आंदोलन को कांग्रेस की निरी मूर्खता करार देते हुए कहा कि रेल सुविधा की मांग करने के लिए कांग्रेस ही रेल रोककर जनता को परेशान कर सकती है। जो लोग सिटी बस नहीं चला पा रहे वे रेल के लिए आंदोलन करने चले हैं। भ्रम फैलाना कांग्रेस का राष्ट्रीय चरित्र है। छत्तीसगढ़ में यह काम अब तक भूपेश बघेल कर रहे थे, अब उनके कठपुतली अध्यक्ष दीपक बैज भी इसमें शामिल हो गए। दीपक बैज एक सांसद भी हैं तो उन्हें यह अच्छी तरह ज्ञात है कि छत्तीसगढ़ को मोदी सरकार ने रेलवे सुविधाओं के क्षेत्र में प्राथमिकता के साथ क्या क्या दिया है। रेल सुविधाओं के विकास, विस्तार और संरक्षा के लिए जो काम भारतीय रेल कर रही है, वह जनता की सुविधा के लिए ही है। जनता की सुरक्षा के लिए है। कांग्रेस ने 50 साल में रेलवे को पटरी से उतार कर रखा। यात्री सुविधाओं से वंचित रखा। छत्तीसगढ़ में कई इलाकों में भाजपा की सरकार में ही रेल पहुंची है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारतीय रेल का कायाकल्प हो रहा है। छत्तीसगढ़ को मोदी सरकार ने जितनी रेल सुविधा उपलब्ध कराई है, कांग्रेस दशकों में भी इसकी चौथाई यात्री रेल सेवा उपलब्ध नहीं करा सकी। कांग्रेस अपने जमाने की रेलों का स्मरण करे और आज की भारतीय रेल को देखे। मोदी जी के नेतृत्व में भाजपा की केंद्र सरकार ने छत्तीसगढ़ के लिए रेलवे क्षेत्र में इस वित्त वर्ष में 6 हजार करोड़ रुपये का प्रावधान किया।

भाजपा जिला अध्यक्ष जितेंद्र वर्मा ने कहा कि     रु.6,008 करोड़ आवंटित किये गये हैं। यह 2009 से 2014 तक के वर्षों के दौरान किए गए आवंटन की तुलना में 19 गुना अधिक है। इसके अलावा, 2014 से लेकर 2022 तक 147 किलोमीटर लंबी नई रेलवे लाइनें बिछाई गई और 472 किलोमीटर लंबी रेलवे लाइनों का दोहरीकरण एवं तिहरीकरण भी इस बीच हो चुका है। यानि 2009-2014 में एक भी नई रेल लाइन ना बनने के बाद 2014-22 के बीच हर साल औसतन 18 किलोमीटर लंबी नई रेल लाइनें बिछाई गई और 2009-14 के औसतन 19 किलोमीटर के मुकाबले 2014-22 के बीच औसतन 59 किलोमीटर लाइन का दोहरीकरण एवं तिहरीकरण किया गया। दल्लीराजहारा रावघाट नई रेल लाइन, खरसिया- घरमजयगढ़ नई लाइन, बिलासपुर- उरकुरा तीसरी लाइन, दुर्ग-राजनांदगांव तीसरी रेल लाइन, अनूपपुर-बिलासपुर दोहरीकरण, बिलासपुर-झारसुगड़ा तीसरी रेल लाइन और चौथी रेल लाइन और पेंडरा रोड-अनूपपुर तीसरी रेल लाइन जैसी परियोजनाओं का समापन हो चुका है। इसके अतिरिक्त  रू. 23,532 करोड़ लागत की 1,214 किलोमीटर लंबी नई रेल लाइन बिछाने और  रू. 4,953 करोड़ की लागत की 651 किलोमीटर लंबी लाइनों का दोहरीकरण एवं तिहरीकरण करने की परियोजनाओं को मंजूरी दे दी गई है।