दुर्ग, असल बात न्यूज़। 00 विधि संवाददाता यहां एक और अभियुक्त को पोस्को एक्ट के अपराध में 5 साल के सश्रम कारावास के सजा सुनाई ...
दुर्ग,
असल बात न्यूज़।
00 विधि संवाददाता
यहां एक और अभियुक्त को पोस्को एक्ट के अपराध में 5 साल के सश्रम कारावास के सजा सुनाई गई है। प्रकरण में दुखद और मानवता को शर्मशार कर देने वाले पहलू हैं। आरोपी पर लगभग 3 साल के अप्राप्तवय बालक पर गुरुत्तर लैंगिक हमला कारीत करने का घृणित आरोप था। अपर सत्र न्यायाधीश चतुर्थ एफटीसी दुर्ग श्रीमती संगीता नवीन तिवारी के विशेष न्यायालय के द्वारा इस गंभीर प्रकरण में तेजी से विचारण किया गया तथा 7 महीने के भीतर निर्णय सुना दिया गया है।
पोस्को एक्ट के कड़े दंड के प्रावधानों पर बहस चल रही है तथा इसमें कतिपय संशोधन के सुझाव दिए जा रहे हैं। लेकिन जब मानवता को शर्मसार कर देने वाले ऐसे मामले सामने आते हैं तब ऐसी बहस निरर्थक नजर आने लगती है और तब लगता है कि इसमें सख्त दंड अनिवार्य रूप से दिया जाना चाहिए। प्रकरण में स्वीकृत तथ्य है कि प्रार्थी पक्ष एवं अभियुक्त एक दूसरे को जानते पहचानते हैं और घटना दिनांक को अभियोक्त्री की दादी अभियोक्त्री को ढूंढते हुए अभियुक्त के घर गई थी।
अभियोजन पक्ष के अनुसार मामले के तथ्य इस प्रकार है कि प्रकरण में जीआरपी चरौदा में रिपोर्ट दर्ज कराई गई थी। लगभग 3 साल की अभियोकत्री दोपहर में लगभग 1:00 बजे अपने घर में नहीं थी। उसकी दादी ने उसे खोजना शुरू किया तो वह अभियुक्त के घर में मिली। प्रार्थी ने अपने दामाद व लड़के को घटना के संबंध में जानकारी दी।
न्यायालय ने अभियुक्त के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 354 एवं लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम 2012 की धारा 10 के आरोप को युक्तियुक्त संदेह से प्रमाणित पाया। अभियुक्त की ओर से धारा 29 एवं 30 के प्रावधान के अनुसार प्रतीरक्षा में लिए गए आधार को निराधार पाया गया। अभियुक्त 42 वर्षीय शादीशुदा व्यक्ति है।
न्यायालय ने अभियुक्त को 200 सिद्ध होने पर लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम 2012 की धारा 10 के अंतर्गत 5 साल के सश्रम कार्ड आवास की सजा सुनाई है तथा ₹500 का अर्थ दंड दिया है। अभियुक्त गिरफ्तारी के बाद से लगातार न्यायिक अभीरक्षा में निरुद्ध है।
अभियोजन पक्ष की ओर से प्रकरण में विशेष लोग अभियोजक संतोष कसार ने पैरवी की।