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विज्ञान महाविद्यालय, दुर्ग में भारतीय ज्ञान पर सात दिवसीय फैकल्टी डेव्हलपमेंट प्रोग्राम का शुभारंभ

दुर्ग। असल बात न्यूज़।।    विज्ञान महाविद्यालय, दुर्ग में  भारतीय शैक्षणिक संस्थानों में भारतीय ज्ञान परंपरा का अनुकरण करने के प्रधानमंत्री ...

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दुर्ग।

असल बात न्यूज़।।   

विज्ञान महाविद्यालय, दुर्ग में भारतीय शैक्षणिक संस्थानों में भारतीय ज्ञान परंपरा का अनुकरण करने के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी  की मंशा के अनुरूप फैकल्टी डेव्हलपमेंट प्रोग्राम का आयोजन किया गया है। कार्यक्रम में विभिन्न स्थानों के विषय विशेषज्ञ प्रशिक्षण दे रहे हैं। इसका एक सादे समारोह में शुभारंभ किया गया।इस अवसर पर तमाम वरिष्ठ विद्वान और  विषय विशेषज्ञ उपस्थित थे।

आगामी 27 सितम्बर  तक चलने वाला यह कार्यक्रम का   शासकीय विश्वनाथ यादव तामस्कर स्नातकोत्तर स्वशासी महाविद्यालय, दुर्ग के जैव प्रौद्योगिकी, रसायन शास्त्र व भौतिक शास्त्र विभाग द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित किया जा रहा है। कार्यक्रम के प्रथम दिन प्राचार्य डॉ. आर.एन. सिंह,आईआईटी भिलाई के निर्देशक , प्रोफेसर राजीव प्रकाश, डॉ. राकेष मिश्रा, कामधेनु विश्वविद्यालय दुर्ग, डॉ￾प्रज्ञा कुलकर्णी, सूक्ष्मजीव विज्ञान, शासकीय विश्वनाथ यादव तामस्कर स्नातकोत्तर स्वशासी महाविद्यालय,  से उपस्थित रहें। कार्यक्रम का शुभारंभ सरस्वती वंदना व राजकीय गीत अरपा पैरी के धार से हुआ। 

अतिथियों के स्वागत के साथ प्राध्यापक, डॉ. अनिल कुमार श्रीवास्तव ने प्रोग्राम पर प्रकाश डाला। साथ ही रूसा को धन्यवाद दिया। इस प्रोग्राम के आयोजन में  डॉ. आर.एन. सिंह प्राध्यापक, शासकीय विश्वनाथ यादव तामस्कर स्नातकोत्तर स्वशासी महाविद्यालय, दुर्ग ने नई शिक्षा नीति पर विशेष रूप से ध्यान देने पर जोड़ दिया तथा कहा कि मैकाले ने भी भारत को भारतीय ज्ञान परंपरा के दम पर विश्व गुरु कहा था।


डॉ. राजीव प्रकाश, निदेषक, आईआईटी भिलाई ने प्ज्ञै की जरूरत पर प्रकाष डाला। प्ज्ञै के 

संक ्रमण बाहरी आंगुतकों द्वारा होने पर प्ज्ञै पर पुनः जाने की आवष्यकता है। चन्द्रमा में कम बजट पर 

रोवर उतारना-भारतीय ज्ञान पर ंपरा, अपने ज्ञान पर शर्व करना बहुत जरूरी है। 

डॉ. राकेष मिश्रा, कामधेन ु विष्वविद्यालय, द ुर्ग ने छत्तीसगढ़िया, मातृभाषा से उद्बोधन प्रारंभ 

किया। पंचगत्य-का महत्व बताते हुए उन्होंने गायों के नर्वस सिस्टम को समझाया। संस्कृत के श्लोक को प्ज्ञै से जोड़ते हुए थ्क्च् को एकसाम्य किया। डॉ. प्रज्ञा कुलकर्णी, शासकीय विश्वनाथ यादव तामस्कर स्नातकोत्तर स्वशासी महाविद्यालय, nebअपनी 10 दिनों की नागपुर में आयोजित भारतीय ज्ञान परंपरा पर आधारित प्रषिक्षण के ज्ञान को प्रस्तुत किया। उन्होंने कहा कि भारतीय ज्ञान परम्परा सिर्फ परम्परा हो नही वरन एक रिवाज है जो कि कुछ पीढि ़यों दर पीढ़ियों तक पुनरावृत्ति न होने के वजह से इस परम्परा को नई षिक्षा नीति में अनिवार्य कर दिया है।

 डॉ. अस्थाना ने संस्क ृति, कल्चर, पुरातन ज्ञान को उदाहरण के साथ बता सभी को जागरूक किया। डॉ. जगजीत कौर न े विभिन्न उद्वरणों के साथ दर्षन, ज्ञान, विद्या के संबंध को समझाया। डॉ. ए.के सिंह ने प्रोग्राम के अंत में सभी को धन्यवाद ज्ञापन दिया। कार्यक्रम का सुसंचालन डॉ. कुसुमांजलि देशमुख ने किया।

 कार्यक्रम में शिक्षकों को प्रशिक्षित करने के लिए निम्नलिखित विषय विशेषज्ञों के देश के विभिन्न स्थानों से आमंत्रित किया गया है जो कि इसमें शामिल हो रहे हैं 

प्रो. राजीव प्रकाश, आईआईटी, भिलाई, डॉ. राकेश मिश्रा, कामधेनु विष्वविद्यालयदुर्ग, प्रो. कृष्ण कुमार पाण्डेय, कवि कुलगुरु काली दास संस्कृत विश्वविद्यालय , महाराष्ट्र, डॉ. यषवन्त अठभैया, कामधेनु विष्वविद्यालय, द ुर्ग, डॉ. रुद्र भंडारी, पंतजलि विष्वविद्यालय, हरिद्वार, डॉ. के.एस. लद ्धा, मुंबई, प्रो. एम￾अब्द ुल करीम, बंगलुरू, डॉ. सुब्रमण्या कुमार, क े. बंगलुरू, डॉ. व्ही.एम. पेन्डसे, नागपुर, डॉ. ओ.पी. पाण्डेय, नई दिल्ली, प्रो. मधुसूदन पिना, महाराष्ट्र एवं डॉ. बी.एच. हरिनाथ, पुणे इत्यादि।