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स्वरूपानंद महाविद्यालय में आईक्यूएसी एवं बायोटेक विभाग द्वारा आईपीआर पर राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन

  भिलाई । असल बात न्यूज़।।    “स्वरूपानंद महाविद्यालय में आईपीआर पर आयोजित राष्ट्रीय संगोष्ठी मे कुलपति डॉ. अरुणा पल्टा ने कहा ग्रीक में रसो...

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भिलाई ।

असल बात न्यूज़।।   

“स्वरूपानंद महाविद्यालय में आईपीआर पर आयोजित राष्ट्रीय संगोष्ठी मे कुलपति डॉ. अरुणा पल्टा ने कहा ग्रीक में रसोइये को वर्षों पहले मिला था पेटेंट यह पुराना कांसेप्ट आधुनिक परिप्रेक्ष्य में बौद्धिक संपदा के रूप में उभरकर आया है”

स्वामी श्री स्वरूपानंद सरस्वती महाविद्यालय हुडको, भिलाई के आईक्यूएसी एवं बायोटेक्नालॉजी विभाग व छ.ग. विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी संस्थान रायपुर के संयुक्त तत्वाधान में “इमरजिंग ट्रेंड ऑन आईपीआर” विषय पर राष्ट्रीय शोध संगोष्ठी का आयोजन किया गया। कार्यक्रम की मुख्य अतिथि डॉ. अरूणा पल्टा कुलपति हेमचंद यादव विश्वविद्यालय दुर्ग थी। विशिष्ट अतिथी के रूप में डॉ. प्रशांत श्रीवास्तव छात्र अधिष्ठाता हेमचंद यादव विश्वविद्यालय दुर्ग उपस्थित हुये। 

कार्यक्रम के उद्देश्यों पर प्रकाश डालते हुये शोध संगोष्ठी की संयोजिका डॉ. शिवानी शर्मा विभागाध्यक्ष बायोटेक ने बताया आधुनिक व्यापारिक परिदृश्य में आईपीआर का महत्व समझाने के उद्देश्य से संगोष्ठी का आयोजन किया गया है। इस संगोष्ठी के माध्यम से रचनात्मकता व आर्थिक विकास में आईपीआर के महत्व को समझ पायेंगे कि बौद्धिक संपदा की रक्षा करने से व्यक्तियों, संगठनों और समाज को क्या लाभ हो सकता है।

प्राचार्य डॉ. हंसा शुक्ला ने अपने उद्बोधन में कहा आईपीआर के बारे में हमें अधिक जानकारी नहीं होती है कई बार हम अपने नयी-नयी खोज, कला व साहित्य को सोशल मीडिया में शेयर कर देते है व इसका फायदा दूसरे उठाते है हमें फायदा नहीं मिलता हमें उन्हीं एजेन्शियों से कॉपी राईट या पेटेण्ट कराना चाहिये जो अधिकृत हो। हम संगोष्ठी के माध्यम से जान पायेंगे हमें कैसे आईपीआर का फायदा उठाना है।

अपने आतिथ्य उद्बोधन में डॉ. अरूणा पल्टा ने बताया वर्तमान परिप्रेक्ष्य में आईपीआर का महत्व बढ़ गया है लेकिन यह बहुत पुराना कांसेप्ट है जो नये रूप में देखा जा रहा है ग्रीक में रसोईयें ने एक व्यंजन बनाई जो राजा को बहुत पसंद आई फिर उसे एकाधिकार दे दिया कि वह व्यंजन वह रसोईयां ही बनायेगा कोई अन्य नही यह भी पेटेण्ट है। जो भी कलात्मक, नवाचार है वह बौद्धिक संपदा के अर्न्तगत है शोधकार्य में प्लेगेरिज्म कराई जाती है जिससे शोधकार्य की चोरी न हो। आईपीआर कानूनी संरक्षण है जो व्यक्ति व कंपनियों को उनके रचनात्मक कार्यो व नवीन प्रयोगों के लिये प्रदान किया जाता है।

महाविद्यालय के मुख्य कार्यकारी अधिकारी डॉ. दीपक शर्मा व डॉ. मोनिषा शर्मा ने महत्वपूर्ण विषय पर कार्यक्रम आयोजन के लिए बायोटेक विभाग को बधाई दी व कहा विश्व बौद्धिक संपदा के अधिकार का 2016 में नवाचार को प्रोत्साहन देने, सहयोग व ज्ञान को साझा करने, सरकारी समर्थन एवं वैधानिक मंच प्रदान करने के उद्देश्य से भारत में अपनाया गया। इसका आदर्श वाक्य “क्रिएटिव इंडिया, इनोवेटिव इंडिया” है। 

प्रथम सत्र के मुख्य वक्ता डॉ. प्रशांत श्रीवास्तव छात्र अधिष्ठाता हेमचंद यादव विश्वविद्यालय ने आईपीआर के बारे में जानकारी दी व बताया हमारे मस्तिष्क की कल्पनायें, हमारी बौद्धिक संपदा है। नये अविष्कार, खोजों के लिए, पेटेंट, ब्रांड के टेगलाईन, लोगो, इंड्रस्ट्रियल डिजाईन, टेªडमार्क आदि आते है कई बार जगह के नाम से भी भौगोलिक टेªडमार्क होता है जैसे कोल्हापूर के चप्पल, जोधपुरी साफा, बनारसी साड़ी, सामान का पैकेट उनका टेªड डेªस होता है जैसे अमूल दूध, केटबरीज चॉकलेट, पारलेजी बिस्किट का पैकेट, यह पैकेट ही उस ब्रांड की पहचान है उन्होनें बताया कॉपीराइट के अर्न्तगत, आर्टिकल, कविता, कहानी, रिसर्च पेपर आदि आता है। उनका भी प्रतीक चिन्ह् होता है इसके बारे में विस्तृत जानकारी दी व बताया बौद्धिक संपदा के लिये भाषा पर पकड़ होना चाहिए उन्होंने बताया दो या दो से अधिक लोग मिलकर पेटेण्ट करा सकते है।

सत्र वक्ता डॉ. मनीशा शर्मा, उपप्राचार्य बीआईटी ने बताया आप ऐसे बनिये की आपका नाम ही आपको पहचान के लिये पर्याप्त हो। उन्होंने छोटी से छोटी खोज का भी पेटेण्ट करा सकते है इस विषय पर विस्तृत जानकारी दी व बताया चीन पेटेण्ट कराने में पहले स्थान में है वही भारत छठवें स्थाने पर है, भारत में पेटेण्ट सिस्टम अत्यंत सरल है, फीस भी कम है इसके लिये एजेण्ट की आवश्यकता नही है पर भारत में पेटेण्ट कराने में लंबा समय लगता है। उन्होंने बताया की बौद्धिक संपदा के क्षेत्र में नौकरी की संभावनाये अधिक है। भारत में आईपीआर में तमिलनाडू प्रथम स्थान पर है, शिक्षा के क्षेत्र में संस्कृति विश्वविद्यालय प्रथम स्थान पर है, आईआईटी तीसरे स्थान पर किसी देश का कॉपीराइट व पेटेण्ट उस देश की आर्थिक मजबूती व नये स्टार्टअप को दर्शाता है। 

द्वितीय सत्र के वक्ता श्री रमेश चन्द्र पांडा, मुख्य वैज्ञानिक विग्रो ने संगोष्ठी में ऑनलाइन उदबोधन देते हुए कहा कि बौद्धिक संपदा अधिकार में पेटेण्ट, कॉपीराइट, ट्रेडमार्क, डिजाईन शामिल होता है इनके अंतर और उपयोग को उन्होंने विस्तार से बतलाया तथा किसी भी बौद्धिक संपदा के लिए किस तरह कार्य करना चाहिए उसकी प्रक्रिया को समझाया।

संगोष्ठी में प्रदेशभर से अनेक प्राध्यापक व शोधार्थी सम्मिलित हुयें। संगोष्ठी में डॉ. शमा ए बैग विभागाध्यक्ष माइक्रोबायोलॉजी स्वामी श्री स्वरूपानंद महाविद्यालय, श्री सोजू सेमल रिसर्च स्कालर शिक्षा सुरेश साहू, मुस्कान बंजारे रूंगटा कॉलेज, भिलाई, अदिती बीएससी बायाटेक, शिवानी नायक बीएससी, स्वरूपानंद महाविद्यालय, अरविंद कुमार सिन्हा, सुरेश प्रसाद साहू, श्रद्धा भारद्वाज, लीना जेठवा, रेखा यादव, अंजू शर्मा, थानु राम, गीतु साहू, रंजीता रानी, ज्ञानेश्वरी साहू, धनेश्वरी कुर्रे, स्वेता दिवान, ममता सिंग, रोली मिश्रा, नेहा प्रजापति ने अपना शोधपत्र प्रस्तुत किया। कार्यक्रम में विभिन्न महाविद्यालय के प्राध्यापक, शोधार्थी व विद्यार्थी शामिल हुये।

कार्यक्रम में मंच संचालन स.प्रा. संजना सोलोमन एवं स.प्रा. अपूर्वा शर्मा ने किया व धन्यवाद ज्ञापन डॉ. रजनी मुदलियार विभागध्यक्ष रसायनशास्त्र ने दिया। कार्यक्रम को सफल बनाने में  मोनिका मेश्राम, सीमा राठौर स.प्रा. रसायनशास्त्र, जे. पी. साहू स.प्रा. कम्पूटर ने विशेष योगदान दिया।