नई दिल्ली, छत्तीसगढ़। असल बात न्यूज़।। देश में छत्तीसगढ़ सहित पांच राज्यों के लिए यह चुनावी साल है और राजनीतिक पार्टियां,आम मतदाताओं को ...
नई दिल्ली, छत्तीसगढ़।
असल बात न्यूज़।।
देश में छत्तीसगढ़ सहित पांच राज्यों के लिए यह चुनावी साल है और राजनीतिक पार्टियां,आम मतदाताओं को अपनी ओर आकर्षित करने के लिए तरह-तरह की कोशिश कर रही हैं। ऐसे में भारतीय जनता पार्टी को पारंपरिक कार्यक्रम और शिल्पकारों को अपनी ओर आकर्षित करने का बड़ा मौका मिलने जा रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, विश्वकर्मा जयंती के अवसर पर इस वर्ग के लोगों के लिए पीएम विश्वकर्म योजना लॉन्च करने जा रहे हैं। लगभग 13 हजार करोड रुपए की पूरी तरह से केंद्रीय वित्त पोषित इस योजना के अंतर्गत पारंपरिक कार्यक्रम एवं शिल्पकारों को प्रशिक्षण दिया जाएगा और उनके कौशल क्षमता को उत्कृष्ट बनाया जाएगा। इस योजना से कुल 18 तरह के शिल्पकारो को लाभ मिलने की उम्मीद की गई है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 17 सितंबर को सुबह करीब 11 बजे इंडिया इंटरनेशनल कन्वेंशन एंड एक्सपो सेंटर, द्वारका, नई दिल्ली में विश्वकर्मा जयंती के अवसर पर "पीएम विश्वकर्मा" नाम से एक नई योजना लॉन्च करेंगे।यह योजना पारंपरिक शिल्प में लगे लोगों को सहायता प्रदान करेगी।यह योजना न केवल कारीगरों और शिल्पकारों को आर्थिक रूप से समर्थन देने की इच्छा से प्रेरित है, बल्कि स्थानीय उत्पादों, कला और शिल्प के माध्यम से सदियों पुरानी परंपरा, संस्कृति और विविध विरासत को जीवित और समृद्ध बनाए रखने की इच्छा से भी प्रेरित है।
पीएम विश्वकर्मा को 13,000 करोड़ रुपये के परिव्यय के साथ केंद्र सरकार द्वारा पूरी तरह से वित्त पोषित किया जाएगा। योजना के तहत, बायोमेट्रिक आधारित पीएम विश्वकर्मा पोर्टल का उपयोग करके सामान्य सेवा केंद्रों के माध्यम से विश्वकर्माओं का निःशुल्क पंजीकरण किया जाएगा। उन्हें पीएम विश्वकर्मा प्रमाण पत्र और आईडी कार्ड के माध्यम से मान्यता प्रदान की जाएगी, बुनियादी और उन्नत प्रशिक्षण से जुड़े कौशल उन्नयन, ₹15,000 का टूलकिट प्रोत्साहन, ₹1 लाख तक संपार्श्विक-मुक्त क्रेडिट सहायता (पहली किश्त) और ₹2 लाख (दूसरी किश्त) प्रदान की जाएगी। 5% की रियायती ब्याज दर, डिजिटल लेनदेन के लिए प्रोत्साहन और विपणन सहायता।
इस योजना का उद्देश्य गुरु-शिष्य परंपरा या अपने हाथों और औजारों से काम करने वाले विश्वकर्माओं द्वारा पारंपरिक कौशल के परिवार-आधारित अभ्यास को मजबूत और पोषित करना है। पीएम विश्वकर्मा का मुख्य फोकस कारीगरों और शिल्पकारों के उत्पादों और सेवाओं की पहुंच के साथ-साथ गुणवत्ता में सुधार करना और यह सुनिश्चित करना है कि वे घरेलू और वैश्विक मूल्य श्रृंखलाओं के साथ एकीकृत हों।
यह योजना पूरे भारत में ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों के कारीगरों और शिल्पकारों को सहायता प्रदान करेगी। पीएम विश्वकर्मा के अंतर्गत अठारह पारंपरिक शिल्पों को शामिल किया जाएगा। इनमें शामिल हैं (i) बढ़ई; (ii) नाव निर्माता; (iii) कवचधारी; (iv) लोहार; (v) हथौड़ा और टूल किट निर्माता; (vi) ताला बनाने वाला; (vii) सुनार; (viii) कुम्हार; (ix) मूर्तिकार, पत्थर तोड़ने वाला; (x) मोची (जूता/जूता कारीगर); (xi) मेसन (राजमिस्त्री); (xii) टोकरी/चटाई/झाड़ू निर्माता/कॉयर बुनकर; (xiii) गुड़िया और खिलौना निर्माता (पारंपरिक); (xiv) नाई; (xv) माला बनाने वाला; (xvi) धोबी; (xvii) दर्जी; और (xviii) मछली पकड़ने का जाल निर्माता।
उल्लेखनीय है कि इन शिल्पकारों के ढेर सारे वर्ग आरक्षण की मांग भी कर रहे हैं और इसके लिए आंदोलनरत भी है।