भिलाई । असल बात न्यूज़।। स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती महाविद्यालय में सूक्ष्मजीव विज्ञान विभाग ने माइक्रोबॉयोलाजिस्ट सोसायटी के संयुक्त तत्व...
भिलाई ।
असल बात न्यूज़।।
स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती महाविद्यालय में सूक्ष्मजीव विज्ञान विभाग ने माइक्रोबॉयोलाजिस्ट सोसायटी के संयुक्त तत्वाधान में मिलेट्स विषय पर अतिथी व्याख्यान का आयोजन किया। प्राचार्य एवं अतिथि के द्वारा कार्यक्रम का शुभारम्भ दीप प्रज्ज्वलन से किया गया। सरस्वती वंदना हर्षिता पोहाने, बीएससी प्रथम वर्ष ने प्रस्तुत किया एवं स्वागत गीत रेखा चतुर्वेदी और ख़ुशी चौधरी एमएससी प्रथम सेमेस्टर, ने स्वागत नृत्य प्रस्तुत किया।
कार्यक्रम का उद्देश्य बताते हुए संयोजिका डॉ. शमा ए बेग, विभागाध्यक्ष, माइक्रोबॉयोलाजी ने कहा कि वर्ष 2023 को संयुक्त राष्ट्र ने भारत के अनुरोध पर अंर्तराष्ट्रीय मिलेट् वर्ष घोषित किया। इसका मुख्य उद्देश्य मिलेट्स के प्रति जागरूकता उत्पन्न करना एवं उसके उपयोग के प्रति प्रेरित करना है जिससे मिलेट्स का उत्पादन बढ़ेगा। मिलेट्स बहुत ही गुणकारी तथा पोषक है, जिनके उपयोग से कई प्रकार की बीमारियों को नियंत्रित किया जा सकता है। इसी उद्देश्य की पूर्ति हेतु महाविद्यालय में अतिथि व्याख्यान आयोजित किया गया जिससे भविष्य में विद्यार्थी मिलेट्स का उत्पादन कर लघु उद्योग की शुरूआत करें।अतिथी वक्ता श्रीमती पारोमिता दास, उच्च आहार विशेषज्ञ, पंडित जवाहरलाल नेहरू चिकित्सालय थी उन्होंने दैनिक जीवन में मिलेट्स विषय पर व्याख्यान देते हुए बताया कि भारत का मुख्य फसल सिन्धु घाटी सभ्यता के समय से मिलेट्स रही है। विभिन्न प्रांतो में अलग-अलग प्रकार के मिलेट्स की खेती होती है। मिलेट्स में प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट अधिक मात्रा में पाया जाता है। पहले के समय में सभी लोग मिलेट्स को ही दैनिक भोजन के रूप में उपयोग करते थे परंतु शहरीकरण एवं औद्योगिकीकरण के चलते सफेद पॉलिश चावल तथा गेहूँ की लोकप्रियता बढ़ी जिसके कारण लाभकारी मिलेट्स का उपयोग कम होता गया। मिलेट्स फसलों को उगाना भी आसान है, ये कम पानी मे भी उग जाते है तथा पहाड़ों में भी यह आसानी से लगाये जा सकते है एवं भोजन एवं चारा दोनों में उपयोग किये जा सकते है, इनकी खेती कर पर्यावरण पर होने वाले बदलाव को पुर्नस्थापित किया जा सकता है। हम सब पुनः इस फसल के प्रति जागरूक हो एवं इससे निर्मित भोजन को दैनिक भोज्य पदार्थो में शामिल कर आने वाली पीढ़ी को विभिन्न रोगो से बचा सकते है उन्होंने कहा कि इसको निश्चित मात्रा में उपयोग में लाना चाहिए और कुछ लोगों के लिए यह हानिकारक भी है जैसे थायराइड रोगियों के लिए यह जहर है। इसे भीगाकर ही उपयोग में लाना चाहिए जिससे इसमें मौजूद फाइटिक एसिड का परिवर्तन हो जाए। महाविद्यालय के मुख्य कार्यकारी अधिकारी डॉ. दीपक शर्मा ने कार्यक्रम की सराहना करते हुए कहा कि छात्रों को मिलेट्स की सही जानकारी इन तरह के कार्यक्रमों के द्वारा ही दी जा सकती है तथा यह कार्यक्रम उनके लिए बहुत लाभदायक सिद्ध होगा। प्राचार्य डॉ. हंसा शुक्ला ने कहा कि मिलेट्स भोज्य पदार्थ के रूप में एक वरदान है जिसका उपयोग प्राचीन काल से भारतीय सभ्यता में किया जा रहा है और आज भी यह कुपेाषित लोगो के लिए अत्यंत लाभकारी है एवं इसकी खेती से पर्यावरण को प्रदूषित होने से बचाया जा सकता है क्योंकि इसकी खेती में कम पानी एवं न्यूनतम खाद का उपयोग होता है। कुमारी तमन्ना, आहार विशेषज्ञ ने भी छात्रों का मिलेट्स के उपयोग करने के लिए प्रोत्साहित किया तथा मिलेट्स का उपयोग किस तरह से करे तथा उसकी उचित मात्रा की जानकारी दी कि यदि हम उसे किण्वन कर या भीगाकर बनाए तो वह ज्यादा लाभकारी होगा। व्याख्यान के पश्चात प्राध्यापक एवं विद्यार्थियों ने विषय विशेषज्ञ से प्रश्न पूछकर अपना शंका समाधान किया।
प्राध्यापक डॉ. शैलजा पवार ने मिलेट्स को मिलाकर उपयोग करने की मात्रा के बारे में जानकारी चाही छात्रो में शुभांजलि ने केक बनाने की विधि पूछी जिसके जवाब में विशेषज्ञ ने कहा कि विभिन्न मिलेट्स को अलग-अलग मात्रा में प्रयोग करना चाहिए और केक बनाने के लिय दूध मिलेट् का आटा, मक्खन एवं बेकिंग सोडा का उपयोग करना है। अतिथि व्याख्यान में महाविद्यालय के सभी विभागों के विभागाध्यक्ष एवं प्राध्यापक उपस्थित थे। कार्यक्रम का संचालन कुमारी अक्षिता शर्मा, एमएससी तृतीय सेमेस्टर, एवं देविना यादव, बीएससी तृतीय वर्ष, सूक्ष्मजीवविज्ञान ने किया। अंत में धन्यवाद ज्ञापन स.प्रा. सूक्ष्मजीवविज्ञान विभाग, समीक्षा मिश्रा ने दिया। कार्यक्रम को सफल बनाने में योगिता लोखंडे, स.प्रा., सूक्ष्मजीवविज्ञान तथा गैर शैक्षणिक स्टॉफ एवं विद्यार्थियों का सहयोग रहा।