रायपुर। असल बात न्यूज़।। केंद्रीय उपभोक्ता मामले, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण, कपड़ा और वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने आज यहां ...
रायपुर।
असल बात न्यूज़।।
केंद्रीय उपभोक्ता मामले, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण, कपड़ा और वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने आज यहां छत्तीसगढ़ सरकार पर बड़े गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा है कि यह सरकार धान के मामले में लग रहा है कि बड़ा भ्रष्टाचार और घोटाला करने जा रही है। केंद्रीय मंत्री श्री गोयल ने राज्य सरकार के द्वारा, आने वाले सीजन में केंद्रीय पूल में लगभग 86 लाख मैट्रिक चावल देने के प्रस्ताव के संबंध में भेजे गए पत्र पर गहरी चिंता व्यक्त करते हुए कहा है कि यह सरकार, सेंट्रल पूल में हर साल जितना धान देना चाहिए, वह नहीं दे सकी है,और आने वाले साल के लिए पता नहीं कैसे सेंट्रल पूल में अधिक धान देने का प्रस्ताव कर रही है । वर्ष 2022-23 में छत्तीसगढ़ सरकार को लगभग 61 लाख मेट्रिक टन चावल सेंट्रल पूल में जमा करना है लेकिन यह सरकार अभी तक उतना चावल, सेंटर पूल में जमा नहीं कर सकी है। उन्होंने आरोप लगाते हुए यह भी कहा है कि छत्तीसगढ़ सरकार, धान खरीदी में बायोमेट्रिक प्रणाली को भी लागू नहीं होने देना चाहती। बायोमेट्रिक प्रणाली लागू हो जाने से किसानों के खाते में सीधे पैसा पहुंचेगा। लेकिन शायद दलालों तक पैसा पहुंचाने के उद्देश्य से छत्तीसगढ़ में बायोमेट्रिक प्रणाली को लागू करने में बाधा पहुंचाने की कोशिश की जा रही है।
केंद्रीय खाद्य मंत्री श्री गोयल ने आरोप लगाते हुए कहा है कि धान खरीदी के मामले में छत्तीसगढ़ में जो कुछ हो रहा है उससे लग रहा है कि यहां सरकार कुछ ना कुछ घोटाला करने जा रही है। केंद्रीय मंत्री श्री गोयल आज शाम को राजधानी रायपुर पहुंचे और उन्होंने यहां सीधे पत्रकार वार्ता ली। संभवत वे, छत्तीसगढ़ सरकार के द्वारा की जा रही धान खरीदी के संबंध में जानकारियां देने यहां व्यापक तैयारी कर यहां पहुंचे थे। और यह भी उल्लेखनीय है कि उन्होंने अपनी पत्रकार वार्ता में भाजपा के किसी स्थानीय नेता को अपने साथ नहीं लिया। केंद्रीय मंत्री श्री गोयल ने छत्तीसगढ़ सरकार के ही तमाम आंकड़ों से तथ्यों के साथ राज्य सरकार पर विभिन्न आरोप लगाए। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ सरकार इसके पहले वर्ष 2022-23 में भी केंद्रीय पूल में निर्धारित लक्ष्य के अनुरूप चावल की आपूर्ति नहीं कर सकी थी। वर्ष 2023 24 के लिए भी चावल आपूर्ति करने की समय सीमा खत्म होते जा रही है हालांकि इसके समय में राज्य के आग्रह पर बढ़ोतरी कर दी जाती है लेकिन अभी भी छत्तीसगढ़ सरकार, केंद्रीय पूल में सिर्फ 53 लाख मेट्रिक टन चावल ही दे सकी है। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ सरकार,अभी केंद्रीय पूल में जिस मात्रा में चावल देने की बात कहती है उतनी मात्रा में चावल दे,नहीं पा रही है। सितंबर महीने में छत्तीसगढ़ से केंद्रीय पूल में चावल ना के बराबर जमा किया जा रहा है।
उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ में बड़ी विसंगति और विषम स्थिति नजर आ रही है।इस सरकार का पिछले वर्षों से परफॉर्मेंस खराब चल रहा है। यह सरकार लग रहा है कि किसानों व गरीबों की भावनाओ के साथ खिलवाड़ कर रही है। छत्तीसगढ़ सरकार आने वाले वर्ष 2023- 24 में केंद्रीय पूल में और अधिक चावल देने के लिए पत्र लिख रही है। पिछले वर्ष में निर्धारित लक्ष्य के अनुरूप यह सरकार चावल की आपूर्ति केंद्रीय पूल में नहीं कर सकी है। ऐसे में कई तरह के सवाल खड़े होते हैं और कई तरह की आशंका पैदा हो जाती है। उन्होंने आशंका पैदा करते हुए कहा कि कहीं या सरकार कोई गोलमाल तो नहीं करने जा रही है।
उन्होंने कहा कि राज्य सरकार के द्वारा जो पत्र भेजे जा रहे हैं उसमें बताया जा रहा है कि राज्य में धान का उत्पादन घट रहा है। लेकिन यह सरकार अधिक धान खरीदने के लिए पत्र लिखती है। पत्र में लिखा जाता है कि आने वाले वर्ष में पिछले वर्ष की तुलना में दो गुना चावल खरीद कर केंद्र सरकार को देंगे। यहां प्रति एकड़ 20.9 क्विंटल धान का उत्पादन होने का अनुमान है जिसमें धन से 67 प्रतिशत चावल की रिकवरी होती है। ऐसे में चावल का उत्पादन कहां से बढ़ जाने वाला है। जबकि छत्तीसगढ़ सरकार के ही तमाम आंकड़े बता रहे हैं कि यहां धान की फसल कमजोर है और धान का उत्पादन कम होने वाला है। उन्होंने आशंका जाहिर करते हुए कहा कि चुनावी वर्ष में छत्तीसगढ़ में कहीं कोई बड़ा घोटाला तो नहीं होने जा रहा है। चावल खरीदने के नाम पर पैसा खाने की कोई बड़ी स्कीम तो नहीं बनाई जा रही है। छत्तीसगढ़ में धान का उत्पादन नहीं हो रहा है तो दूसरे राज्यों का धान खरीदने की तरह तैयारी तो नहीं की जा रही है अथवा खरीदा जा रहा है।
उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ सरकार बायोमेट्रिक प्रणाली से धान की खरीदी करने में अड़चन लगाने की कोशिश कर रही है इसी से डाउट जाता है। बायोमेट्रिक प्रणाली में किसानों के खाते में सीधे पैसा पहुंचेगा लेकिन इसमें अड़चन लगाने की क्यों कोशिश कई सारे सवाल खड़े करता है। बायोमेट्रिक प्रणाली लागू करने से दलालों की जेब में पैसा नहीं जाएगा।