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सिर्फ "चेपटी" और कुछ "पैसों" से मतदाताओं को "रिझा" पाना अब मुश्किल, रोज की डायरी

  छत्तीसगढ़।  असल बात न्यूज़।।       00 रोज की डायरी      गांव-गांव और शहर-शहर, अब राजनीतिक दलों के बैनर,पोस्टर्स और झंडों से पटने लगे हैं। ...

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 छत्तीसगढ़।

 असल बात न्यूज़।।

      00 रोज की डायरी    

गांव-गांव और शहर-शहर, अब राजनीतिक दलों के बैनर,पोस्टर्स और झंडों से पटने लगे हैं। मतदाताओं के दरवाजे पर सुबह किसी और, दोपहर में कोई और और शाम को किसी तीसरे राजनीतिक दल के नेताओं- कार्यकर्ताओं का दस्तक देना शुरू हो गया है। मतदाताओं को अब यह सब, कहीं अजीब नहीं लगता,बल्कि उन्हें मालूम है कि चुनाव आ गए हैं तो राजनीतिक दलों के लोगों को उनके पास पहुंचना ही है। उन्हें मालूम है कि अब उनके पास निर्णय करने का समय है कि सत्ता आखिर किसे सौंपना है। यह और अधिक महत्वपूर्ण बात है कि मतदाता, अब सिर्फ कुछ ताम झाम देखकर प्रभावित होने वाले नहीं रह गए हैं। जागरूकता इतनी बढ़ गई दिखती है कि गांव- गांव में बड़े समूहों में चर्चा कर निर्णय लिए जाने लगा है कि मतदान किसके पक्ष में करना है। कई स्थानों पर महीने भर पहले से कई नए कामों जिसे विकास का काम कहा जाता है,को, करने की भी शुरुआत हुई है। मतदाता इसे देख रहे हैं और बखूबी समझ रहे हैं। जिन बीस सीटों पर प्रथम चरण में चुनाव होने जा रहे हैं, वहां 20 अक्टूबर को नामांकन की प्रक्रिया समाप्त हो जाएगी। कांग्रेस ने यहां एक बची हुई सीट जगदलपुर विधानसभा पर भी अपने उम्मीदवार की घोषणा कर दी है जिसकी पहले लिस्ट में घोषणा नहीं की गई थी। नामांकन प्रक्रिया में अभी उतनी तेजी नहीं आई है लेकिन आज से इसमें तेजी बढ़ सकती है।पहले चरण के लिए अब तक 60 अभ्यर्थियों ने नामांकन पत्र दाखिल कर दिया है। कई चुनाव में कोई खास मुद्दे मतदाताओं को प्रभावित करते नजर नहीं आते, लेकिन इस चुनाव में मतदाता खामोश नहीं है और मुद्दे ही मुद्दे नजर आ रहे हैं। मतदाता प्रत्येक मुद्दों पर राजनीतिक दलों और उनके उम्मीदवारों को तौलते नजर आ रहे हैं और स्वाभाविक है कि इन मुद्दों में जिसके पक्ष में पलडा झुकेगा उसके पक्ष में ही मतदान होगा। बेशक, धान खरीदी की "कीमत" एक बड़ा मुद्दा है।

राज्य में प्रथम चरण में कोंटा, बीजापुर, दंतेवाड़ा, चित्रकोट, जगदलपुर, बस्तर , नारायणपुर , कोंडागांव ,केशकाल ,कांकेर ,भानुप्रतापुर, अंतागढ़, मोहला- मानपुर, खुज्जी, डोंगरगांव, राजनांदगांव, डोंगरगढ़, खैरागढ़, कवर्धा और पंडरिया विधानसभा क्षेत्रों मैं चुनाव होने जा रहा है। निर्वाचन आयोग ने इन सभी इलाकों को नक्सल प्रभावित क्षेत्र माना है और सुरक्षा के लिहाज से यहां अलग चरण में चुनाव कराए जा रहे हैं। स्वाभाविक है कि यहां बड़े पैमाने पर सुरक्षा बलों के साए में मतदान और मतगणना होगी। नामांकन दाखिले का दिन समाप्त होने के करीब आते जाने के साथ चुनावी सरगर्मी बढ़ती जा रही है लेकिन "मतदाताओं" को राजनीतिक पार्टियों के "घोषणा पत्र" का इंतजार है। समझ में आ रहा है कि मतदाताओं का, राजनीतिक पार्टियों के घोषणा पत्र को देखकर ही "मूड" बनेगा।जिस तरह से राजनीतिक दलों के घोषणा पत्र का इंतजार किया जा रहा है उसे देखकर कहा जा सकता है कि मतदाताओं की सोच- मानसिकता अब काफी परिवर्तित हुई है और मतदाताओ में जागरूकता भी बढ़ी हुई दिखती है। सबसे बड़ी बात यह कहीं जा सकती है कि सिर्फ चेपटी और कुछ पैसों के सहारे ही अब, मतदाताओ को प्रभावित नहीं किया जा सकेगा। हालांकि, प्रत्येक क्षेत्र में शराब का अवैध तरीके से बड़े पैमाने पर भंडारण करने की शिकायतें आ रही हैं जिसे मतदान के पहले बांटने की तैयारी रखी गई है। इसे, इससे भी समझा जा सकता है कि विभिन्न क्षेत्रों में जगह-जगह पर तैनात निगरानी दलों की टीमों के द्वारा अब तक, 6 करोड़ रूपए से अधिक की नगदी और वस्तुओं को अवैध परिवहन करते पकड़ा गया है जिसमें 13 हजार 557 लीटर अवैध शराब की बारामदगी  भी शामिल है।

फिलहाल मुख्य राजनीतिक दलों के द्वारा अभी तक अपने चुनावी घोषणा पत्र को जारी नहीं किया गया है। राजनीतिक दलों के द्वारा पिछले कई वर्षों से अपने घोषणा पत्र में कई सारी चीजे फ्री में बांटने  की घोषणा कर मतदाता को आकर्षित करने का सिलसिला शुरू हुआ है लेकिन ऐसा नहीं है कि सारे मतदाता इसके पक्षधर हैं। बहुत सारे लोगों को इसके विरोध में भी बोलते सुना जा सकता है जिसमें महिलाओं और युवाओं की संख्या काफी अधिक है। 

पहले चरण में बस्तर संभाग की 12 विधानसभा सीटों पर चुनाव हो रहे हैं। बस्तर संभाग के प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र खनिज संसाधन, वन,जल और उपजाऊ कृषि भूमि से भरे पूरे क्षेत्र हैं। यहां कई इलाकों में नक्सलियों की धमक अभी भी सुनाई देती है। लेकिन इन क्षेत्रों ने भी विकास की रफ्तार पकड़ ली है। पिछले बार यहां की 12 में से 11 सीटों पर कांग्रेस ने एकतरफा जीत हासिल की थी। यहां की एक सीट दंतेवाड़ा विधानसभा क्षेत्र में भाजपा के भीमा मंडावी ने जीत हासिल की थी लेकिन बाद में नक्सली हिंसा में उनकी हत्या कर दी गई और इस सीट पर भी कांग्रेस ने उपचुनाव में जीत हासिल कर ली। हम यहां देख रहे हैं कि छत्तीसगढ़ में बस्तर संभाग ही वह क्षेत्र है जहां से काम की तलाश में लोगों का पलायन बहुत कम होता है। यहां लोगों के पास लगभग 12 महीनो विभिन्न प्रकार के काम होते हैं। और जिनके पास काम नहीं भी होता है वे सब उनके पास जो भी कुछ भी होता है उससे ही संतोष कर अपना जीवको पार्जन कर लेते हैं। काम की तलाश में इनकी दूसरे स्थान पर जाने में अधिक  रुचि नहीं है। यहां भी ज्यादातर विधानसभा क्षेत्र में धान की खेती अच्छी होने लगी है। सिंचित क्षेत्र में भी बढ़ोतरी हुई है। लेकिन यहां के किसान छोटे कृषक हैं जिनके पास एक एकड़, दो एकड़, तीन एकड़ तक की जमीन है। ऐसे किसान अपनी उपज बेचते नहीं है बल्कि इसी से साल भर अपना और अपने परिवार का पेट पलते हैं। प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष दीपक वैज भी प्रथम चरण में चुनाव मैदान में है और उन्होंने कहा है कि उनके चुनाव लड़ने से कांग्रेस को आसपास की तीन -चार और सीटों पर फायदा मिलेगा। इससे इनकार नहीं किया जा सकता की श्री वैज, कांग्रेसी खेमे से भविष्य में मुख्यमंत्री पद के दावेदार रहेंगे। यहां की और कई सीटें हैं जिन्हें हाई प्रोफाइल क्षेत्र माना जा रहा है और यहां चुनाव मैदान में कड़े मुकाबले की स्थिति दिख रही है।

पहले चरण के चुनाव में प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह भी चुनाव मैदान में हैं जिनके विधानसभा क्षेत्र की ओर पूरे प्रदेश भर के लोगों की नजर लगी  हुई है। बस्तर की कोंडा गांव विधानसभा सीट भी काफी चर्चा में है। यहां से प्रदेश कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष मोहन मरकाम और पूर्व मंत्री लता उसेंडी के बीच सीधा मुकाबला दिख रहा है। मोहन मरकाम को कुछ महीने पहले प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष पद से हटाया गया था। यह घटना काफी चर्चाओ में रही थी। हालांकि उन्हें बाद में राज्य में मंत्री बनाया गया।

प्रथम चरण में जिन विधानसभा क्षेत्र में चुनाव होने जा रहा है वे सभी धान के बड़े उत्पादक क्षेत्र हैं। पिछले वर्षों में धान खरीदी की कीमत बड़ा मुद्दा बन गया है। मतदाताओं की नजर अभी भी उसे और लगी हुई है। मतदाताओं के द्वारा इंतजार किया जा रहा है कि कौन सी पार्टी अपने घोषणा पत्र में  धान की आगे किस कीमत पर खरीदी करने की घोषणा करती है और समर्थन मूल्य के साथ कितना अधिक बोनस देने की बात करती है।

चुनाव में इस बार सोशल मीडिया पूरी तरह से हावी है। उम्मीदवारों की पल-पल की खबरें लोगों तक पहुंच रही है। उम्मीदवारों का व्यक्तिगत व्यवहार भी चुनाव परिणाम को काफी कुछ प्रभावित करता नजर आएगा। बस्तर संभाग के दूरदराज के क्षेत्र में भी लोगों के हाथ में मोबाइल है, सोशल मीडिया है और उसमें सब कुछ देखा जा रहा है तथा लिखकर पोस्ट भी किया जा रहा है।

दूसरे चरण का चुनाव बाद में होगा तो ऐसा नहीं है कि वहां चुनावी सरगर्मी भी नहीं है। पाटन विधानसभा क्षेत्र जहां से मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और उनके भतीजे सांसद विजय बघेल के बीच चुनाव मैदान में सीधे मुकाबले की स्थिति है में चुनावी जंग चरम पर है। और यहां चुनावी वातावरण कितना तूफानी होगा इसे समझा जा सकता है। भारतीय जनता पार्टी ने लगभग डेढ़ महीने पहले अपनी अपने प्रत्याशियों की पहली लिस्ट जारी की थी जिसमें सांसद विजय बघेल को भी उम्मीदवार घोषित कर दिया गया था। जिसके बाद से वे यहां अपनी चुनावी तैयारियों में तुरंत लग गए हैं। बिलासपुर शहर की सीट पर भी कमोबेश यही हाल दिख रहा है जहां से भाजपा ने पूर्व मंत्री अमर अग्रवाल पर फिर से भरोसा दिखाया है। राजधानी रायपुर में तो चुनावीसरगर्मी  हर दिन बनी रहती है।

           00 Political Reporter.