Page Nav

HIDE

Grid

GRID_STYLE

Pages

Classic Header

{fbt_classic_header}

Top Ad

ब्रेकिंग :

latest

Breaking News

Automatic Slideshow


जेलों में भीड़ कम करने की कवायद, विशेष अभियान चलाकर जेलों में कैद 1086 बंदियों को दी जमानत, 369 बंदियों को किया रिहा

  बिलासपुर। असल बात न्यूज़।।      जिला विधिक सेवा प्राधिकरणों में गठित अण्डर ट्रायल रिव्यू कमेटी के लगातार बैठक लेते हुए विशेष अभियान चलाते ...

Also Read

 बिलासपुर।

असल बात न्यूज़।।   

 जिला विधिक सेवा प्राधिकरणों में गठित अण्डर ट्रायल रिव्यू कमेटी के लगातार बैठक लेते हुए विशेष अभियान चलाते हुए छत्तीसगढ़ के विभिन्न जेलों में निरूद्ध पात्र अभिरक्षाधीन बंदियों को जमानत देते हुए उन्हें रिहा किया गया. यह कार्रवाई छत्तीसगढ़ राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के कार्यपालक अध्यक्ष न्यायमूर्ति गौतम भादुड़ी के मार्गदर्शन एवं सतत् निगरानी में की गई.उच्चतम न्यायालय के निर्देश पर नालसा द्वारा जेलों में बंदियों की बढ़ती भीड़ को देखते हुए 18 सितम्बर से 20 नवम्बर तक एक विशेष अभियान चलाया गया. इसमें अण्डर ट्रायल रिव्यू कमेटी की सतत् बैठक करते हुए बंदियों को रिहा किए जाने के लिए निर्देशित किया गया. 

कमेटी में जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के जिला न्यायाधीश अध्यक्ष एवं संबंधित जिले के कलेक्टर, पुलिस अधीक्षक, जेलर और सचिव सदस्य हैं, जिनके द्वारा बैठक की जाकर बंदियों को जमानत पर रिहा करने की अनुशंसा की जाती है.उपरोक्त दो माह की अवधि में समस्त जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के द्वारा कुल 114 बैठकें आयोजित की गई और पात्र अभिरक्षाधीन बंदियों को जमानत पर रिहा करने की अनुशंसा की गई. कमेटी ने कुुल 1389 बंदियों को चिन्हांकित कर 1222 बंदियों को जमानत का लाभ देने की अनुशंसा की. इस पर संबंधित न्यायालय के द्वारा 1086 बंदियों को जमानत का लाभ प्रदान करते हुए उन्हें रिहा किया गया है.बता दें कि राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के कार्यपालक अध्यक्ष न्यायमूर्ति गौतम भादुड़ी के निर्देशानुसार 5 नवंबर 2023 को छत्तीसगढ़ की समस्त जेलों में तृतीय ‘‘राज्य स्तरीय वृहद जेल लोक अदालत’’ का भी आयोजन किया गया, जिसमें प्रत्येक जिले के 2-2 न्यायिक मजिस्ट्रेटों की स्पेशल सिटिंग भी की गई थी, और पात्र बंदियों का तत्काल जेल में ही उनके प्रकरण का निराकरण कर रिहा किये जाने की कार्यवाही की गई. उक्त जेल लोक अदालत में पात्र अभिरक्षाधीन बंदियों के कुल 369 प्रकरणों का निराकरण किया गया.