Page Nav

HIDE

Grid

GRID_STYLE

Pages

Classic Header

{fbt_classic_header}

Top Ad

ब्रेकिंग :

latest

Breaking News

Automatic Slideshow


’’संविधान-दिवस’’ के अवसर पर न्यायिक अधिकारियों द्वारा व्यापक स्तर में जागरूकता शिविर का आयोजन

        दुर्ग । असल बात न्यूज़।।    राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण, बिलासपुर के निर्देशन पर जिला विधिक सेवा प्राधिकरण दुर्ग के तत्वाधान में एवं ...

Also Read

 


      दुर्ग ।

असल बात न्यूज़।।   

राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण, बिलासपुर के निर्देशन पर जिला विधिक सेवा प्राधिकरण दुर्ग के तत्वाधान में एवं जिला न्यायाधीश/अध्यक्ष जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, दुर्ग श्रीमती नीता यादव के मार्गदर्शन में आज ’’विधि दिवस’’ के अवसर पर विधिक जागरूकता शिविर का आयोजन किया गया। 

 जिला न्यायालय स्थापना दुर्ग के  न्यायाधीशगण क्रमशः (1) श्री संजीव कुमार टॉमक, प्रथम अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश, दुर्ग द्वारा स्थान-प्रयास ठवले , रोजगार कार्यालय के पास मालवीय नगर, दुर्ग में (2) श्री राकेश कुमार वर्मा, द्वितीय अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश, दुर्ग, श्री विवेक कुमार वर्मा, चतुर्थ अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश, दुर्ग, श्री आदित्य जोशी, षष्ठम अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश, दुर्ग द्वारा शासकीय अनु.ज.जा. पो.मैट्रिक ठवले   आर.टी.ओ.ऑफिस के सामने, जल विहार के पास दुर्ग में (3) श्रीमती संगीता नवीन तिवारी, अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश, चतुर्थ एफ.टी.सी. दुर्ग द्वारा शासकीय /शासकीय अनु.ज.जा.पो.मैट्रिक ळपतसे भ्वेजमस जेल रोड दुर्ग में (4) श्री जनार्दन खरे, प्रथम व्यवहार न्यायाधीश वर्ग-1 के प्रथम अति.न्यायाधीश दुर्ग द्वारा चंद्रशेखर आजाद ठवले  भ्वेजमस, जल परिसर, जी.ई.रोड दुर्ग में (5) श्रीमती सरोजनी जनार्दन खरे, प्रथम व्यवहार न्यायाधीश वर्ग-1 के द्वितीय अति.न्यायाधीश दुर्ग, श्रीमती शीलू केसरी, पंचम व्यवहार न्यायाधीश वर्ग-2, दुर्ग द्वारा शासकीय पोस्ट मैट्रिक एस.सी. ठवले  भ्वेजमस, मालवीय नगर दुर्ग में तथा (6) कु0 अंकिता मदनलाल गुप्ता, अष्टम व्यवहार न्यायाधीश वर्ग-2, दुर्ग कु0 अंकिता तिग्गा, पंचदश व्यवहार न्यायाधीश वर्ग-2 दुर्ग द्वारा शासकीय मैट्रिक एस.सी. ठवले  भ्वेजमस,मालवीय नगर दुर्ग में एवम् (7) श्रीमती केवरा राजपूत, प्रथम व्यवहार न्यायाधीश वर्ग-2 दुर्ग, श्री नीलेश बद्येल, सप्तम व्यवहार न्यायाधीश वर्ग-2 दुर्ग, कु0 सुरभि धनगढ़ प्रथम व्यवहार न्यायाधीश वर्ग-2, दुर्ग के द्वितीय अति. न्यायाधीश दुर्ग द्वारा स्थान प्रयास ळपतसे , जल परिसर, आर.टी.ओ. ऑफिस के सामने दुर्ग में विधिक जागरूकता शिविर का आयोजन किया गया। उक्त आयोजित शिविर में उपस्थितजनों/विद्यार्थियों को माननीय न्यायधीशगणों द्वारा ’’भारत के संविधान की उद्देशिका’’ के वाचन से कार्यक्रम की शुरूआत करते हुए बताया गया कि - भारतीय लोकतंत्र में आज का दिन (26 नवंबर) काफी महत्वपूर्ण है। लोकतांत्रिक व्यवस्थाओं की आत्मा हमारा ’’संविधान’’ जिसे हमने आज ही के दिन 26 नवंबर 1949 को स्वीकार किया था और जिसे 26 जनवरी 1950 को लागू किया गया। यह एक ऐतिहासिक पल है। इसी दिन एक राष्ट्र के तौर पर हमने तय किया था कि अब आगे हमारी दिशा किन ’’निर्देशों’’ पर होगी किन ’’नियमों’’ पर होगी ’’सविधान’’ उक्त निर्देश/नियम के एक-एक शब्द पवित्र व पूजनीय हैं। हमारा संविधान जितना जीवंत है उतना संवेदनशील तथा जितना जवाबदेह है उतना सक्षम भी है।  ’’संविधान’’ ही है जो देश को लोकतंत्र के रास्ते पर बनाए रखता है और उसे भटकने से रोकता है अर्थात भारत का संविधान विधि के नियमों को स्थापित करने के साथ-साथ लोकतंत्र का ’’रक्षक’’ भी है और मानवाधिकारों की रक्षा करता है।

  न्यायाधीशगणों द्वारा उक्त  जागरूकता शिविरों में आगे यह भी बताया गया  कि- देश में ’’विधि दिवस’’ के आयोजन की परंपरा 1979 से प्रारंभ हुई तथा ’’भारत का संविधान’’ विश्व का सबसे बड़ा लिखित संविधान है जिसमें सभी वर्गो, धर्मो, विचारों, भाषाओं, क्षेत्रों को समान स्थान प्रदान किया गया है। इसमें आवश्यकता मांग के अनुसार समय-समय पर संशोधन कर इसे और अधिक प्रभावशाली प्रासंगिक बनाया गया है। शिविर में उपस्थित विद्यार्थियों को संविधान में प्रदत्त नागरिकों के मूल कर्तव्य, मूल अधिकारों के बारे में बताते हुए इन्हें एक नागरिक के रूप में उनकी जिम्मेदारियों के बारे में भी विस्तार से जानकारी दी गयी ।

     26 नवंबर ’’संविधान-दिवस’’ के अवसर पर  न्यायाधीशगणों द्वारा विभिन्न स्थानों पर आयोजित उक्त जागरूकता शिविरों में लगभग 840 विद्यार्थी/आमजन लाभांवित हुए है। वहीं उक्त अवसर पर जिला विधिक सेवा प्राधिकरण दुर्ग क्षेत्रांतर्गत स्थापित कार्यालय लीगल एड डिफेंस कौसिंल द्वारा केन्द्रीय जेल दुर्ग में आयोजित विधिक जागरूकता शिविर में जेल के अधिकारियों/कर्मचारियों तथा जेल में निरूद्ध सजायाप्ता व विचाराधीन बंदियों को ’’भारत के संविधान की उद्देशिका’’ का वाचन करते हुए बंदियों को उनके अधिकारों के बारे में जानकारी दी गयी। विधि दिवस पर जेल में आयोजित इस जागरूकता शिविर में लगभग 85 बंदी लाभांवित हुए है।