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स्वरूपानंद महाविद्यालय में कला एवं शिक्षा विभाग द्वारा मनाया गया देवप्रबोधनी एकादशी

  भिलाई। असल बात न्यूज़।।    स्वामी श्री स्वरूपानंद सरस्वती महाविद्यालय, हुडको भिलाई में कला संकाय एवं शिक्षा विभाग के विद्यार्थियों  द्वारा...

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 भिलाई।

असल बात न्यूज़।।   

स्वामी श्री स्वरूपानंद सरस्वती महाविद्यालय, हुडको भिलाई में कला संकाय एवं शिक्षा विभाग के विद्यार्थियों  द्वारा देव्प्रबोधनी एकादशी पर्व के अवसर पर तुलसी विवाह के कार्यक्रम का आयोजन किया गया। तुलसी का पौधा हिंदू धर्म में पवित्रता का प्रतीक है तथा अपने औषधि गुना के लिए प्रसिद्ध है और लगभग हर हिंदू घर में पाया जा सकता है तुलसी विवाह उत्सव भगवान विष्णु के साथ तुलसी के पौधे का एक पारंपरिक विवाह समारोह है यह कार्तिक माह की एकादशी जिसे प्रबोधिनी एकादशी भी कहा जाता है उस दिन मनाया जाता है। 

कार्यक्रम प्रभारी स.प्रा. श्रीमती लक्ष्मी वर्मा एवं श्रीमती ज्योति मिश्रा ने कहा कि कि लक्ष्मी जी और तुलसी जी का संबंध भगवान विष्णु के साथ होने से पुराने में कहा गया है कि जिस घर के आंगन में तुलसी का पौधा नहीं होता वहां लक्ष्मी जी का निवास भी नहीं होता अतः तुलसी जी का पौधा हर घर के आंगन में होना चाहिए। 

महाविद्यालय के मुख्य कार्यकारी अधिकारी डॉ. दीपक शर्मा एवं डॉ मोनिशा शर्मा ने कहा की महाविद्यालय में कैसे कार्यक्रमों का आयोजन हमारे सनातन धर्म की महत्व को बताने में मददगार होते हैं क्योंकि माता को हिंदू धर्म में पूजने माना गया है कहा जाता है कि जिस घर में तुलसी का वास होता है वहां सुख समृद्धि बनी रहती है दीपक शर्मा ने कार्यक्रम की सराहना करते हुये कहा कि ऐसे कार्यक्रम कराकर के भारतीय संस्कृति एवं परंपराओं का हस्तांतरण करते रहना चाहिए। महाविद्यालय की प्राचार्य डॉ. हंसा शुक्ला ने तुलसी श्लोक का उच्चारण करते हुए तुलसी विवाह के सौंदर्य का वर्णन किया- “वृंदा वृंदावन विश्व पूजिता विश्व पावनी।।पुष्प सारा नंदिनी तुलसी कृष्ण जीवनी।।“ देवउठनी एकादशी की बधाई देते हुए विद्यार्थियों को भविष्य में भी ऐसे कार्यक्रमों में भाग लेने हेतु प्रोत्साहित किया। 

उप प्राचार्य डॉ. अज़रा हुसैन ने कहा की लक्ष्मी और तुलसी का संबंध भगवान विष्णु के साथ होने के कारण जिस घर में नियमित रूप से तुलसी जी का पूजन विधि - विधान एवं एवं श्रद्धा पूर्वक होता है वही लक्ष्मी जी निवास करती हैं धार्मिक मान्यताओं के अनुसार तुलसी जी की जड़ में सभी तीर्थ मध्य में सभी देवताओं और ऊपरी शाखों में सभी वेद स्थित हैं। कार्तिक माह में भगवान विष्णु की पूजा तुलसीदास से करने का विशेष महत्व है।

कला संकाय अध्यक्ष डॉ. सावित्री शर्मा ने कहा की धर्म शास्त्रों के अनुसार कार्तिक माह में यदि तुलसी विवाह किया जाए तो कन्यादान के समान पुण्य की प्राप्ति होती है विधि विधान से तुलसी पूजन एवं तुलसी विवाह करने से भगवत कृपा द्वारा घर में सुख शांति एवं समृद्धि का वास होता है। हिंदुओं के संस्कार के अनुसार सभी शुभ मांगलिक कार्यों में तुलसी जल अनिवार्य माना गया है। तुलसी घर आंगन के वातावरण को सुख में तथा स्वास्थ्यवर्धक बनती है इसलिए प्रतिदिन तुलसी में जल देना तथा उसकी पूजा करना आरोग्य दायक है।

डीएलएड प्रथम वर्ष के विद्यार्थियों ने देवउठनी एकादशी के अवसर पर महाविद्यालय प्रांगण में रंगोली बनाकर माता तुलसी और शालिग्राम का आवहन किया तत्पश्चात् विद्यार्थियों ने वीडियों बनाकर उसके माध्यम से देवउठनी एकादशी मनाने के कारण को बताया, तारनी साहू ने पौराणिक गाथा के माध्यम से देवउठनी एकादशी की महत्ता बताई, दीपाली साहू ने तुलसी और शालिग्राम की कथा को विस्तारपूर्वक बताया, कृष्णा सेठ ने विष्णुजी का शापित होना और शालिकराम बन जाने की कथा का वर्णन किया। देविका सिन्हा ने तुलसी विवाह की कथा सुनाई, निशा ने जालघर और वृंदा की कहानी बताई, वीणा साहू ने वृंदा का तुलसी का रूप लेने की कथा को बताया।

इस कार्यक्रम में इस पावन अवसर पर बीए प्रथम वर्ष की छात्रा ट्विंकल नायक ने कहा कि देवउठनी के अवसर पर रंगोली बनाने की परंपरा है यह हमें अपनी संस्कृति से जोड़े रखने में मदद करती है साथ ही बीए द्वितीय वर्ष की छात्रा प्रत्यक्षा शुक्ला ने बताया कि इस देवउठनी पर्व पर न केवल हमें कुशलता से रंगोली बनाने से हमारे सृजनशीलता का विकास होता है बल्कि हमें अपने पर्वों के बारे में जानने का अवसर प्राप्त होता है ।    

इस कार्यक्रम में कला एवं शिक्षा विभाग के समस्त छात्र छात्राए एवं समस्त प्राध्यापक उपस्थित होकर इसे सफल बनाया।