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स्वरुपानंद महाविद्यालय में वनस्पति विभाग के विद्यार्थियों ने सीखा हॉर्टीकलचर तकनीक”

भिलाई। असल बात न्यूज़।।    स्वामी श्री स्वरुपानंद सरस्वती महाविद्यालय, हुडको, भिलाई में वनस्पति विभाग द्वारा विद्यार्थियों को शासकीय उद्यान ...

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भिलाई।

असल बात न्यूज़।।   

स्वामी श्री स्वरुपानंद सरस्वती महाविद्यालय, हुडको, भिलाई में वनस्पति विभाग द्वारा विद्यार्थियों को शासकीय उद्यान रोपणी रुआबांधा, दुर्ग शैक्षणिक भ्रमण हेतु ले जाया गया यह उनके पाठ्यक्रम का हिस्सा है। डॉ. नीना बागची, विभागाध्यक्ष वनस्पतिशास्त्र ने बताया विद्यार्थी वनस्पति के विभिन्न प्रकारों से परिचित कराने व व्यवहारिक ज्ञान देने के उद्देश्य से विद्यार्थियों को शैक्षणिक भ्रमण पर ले जाया गया जहॉं विद्यार्थी पेड़-पौधों व उनके विशेष गुणों के बारे में जानकारी प्राप्त कर सके तथा भौगोलिक विविधता का पेड़-पौधों पर क्या प्रभाव पड़ता है उसका अध्ययन कर सके।

उद्यायनिकी के श्री बुधराम ने विद्यार्थियों को वर्मीकम्पोस्ट बनाने की विधि बतायी व ग्राफ्टिंग की साईड, ग्राफ्टिंग व सीधी ग्राफ्टिंग की विधियॉं सिखाई जिससे बच्चों ने स्वयं ग्राफ्टिंग कर के देखा। ग्रामीण उद्यायनिकी अधिकारी भानुप्रिया ने कलम से नया पौधा बनाने की विधि बताई वहॉं विद्यार्थियों ने ब्रायोफाइट्स, टेरिडोफाइट्स, जिम्नोस्पर्म एवं एंजियोस्पर्म के बारे में जाना।

महाविद्यालय के मुख्य कार्यकारिणी अधिकारी डॉ. दीपक शर्मा व डॉ. मोनिषा शर्मा ने कहा शैक्षणिक भ्रमण से विद्यार्थी कक्षा व लैब से निकल व्यवहारिक ज्ञान प्राप्त करते है, प्रत्यक्ष व प्रकृति के सानिध्य से प्राप्त ज्ञान विद्यार्थियों के मनोमस्तिष्क पर स्थायी प्रभाव डालता है।

महाविद्यालय की प्राचार्य डॉ. हंसा शुक्ला ने आशा व्यक्त की विद्यार्थी विविध प्रकार के पौधों के आकार व संरचना के बारे में जानकारी प्राप्त करेंगे। ग्राफ्टिंग की विधियों का प्रयोग अपने घर की बागवानी करने में करेंगे इस शैक्षणिक भ्रमण में वनस्पति विभाग के सभी विद्यार्थी शामिल हुए।

अदिती फूलजले बीएससी अंतिम वर्ष ने पूछा ग्राफ्टिंग से पौधा कितने दिन में तैयार हो जाता है तथा क्या बाजार में इसकी मांग है इसका जवाब देते हुए कहा यह लगभग एक महीने में तैयार हो जाता है तथा बाजार में इसकी बहुत मांग है इसे सीखने के बाद स्वरोजगार के रुप में अपना सकते है वहीं बीएससी द्वितीय वर्ष की छात्रा रोशनी चतुर्वेदी व दीक्षा तिवारी के पूछे जाने पर की वार्मी कम्पोष्ट को बनने में कितना समय लगता है व क्या यह रसायनिक खाद् से ज्यादा उपयोगी है इसका जवाब देते हुये बताया यह लगभग 3 महीने में तैयार हो जाता है व 15 रुपये किलो मिलता है यह पर्यावरण को कोई नुकसान नहीं पहुचांता जबकि रसायनिक खाद मनुष्य व पर्यावरण दोनो को लिये नुकसान दायक है। वार्मी कम्पोष्ट मिट्टी की उर्वरकता को बढ़ाता है।

सभी विद्यार्थियों ने कहा की शैक्षणिक भ्रमण से हमें विषय का व्याहारिक ज्ञान प्राप्त हुआ है जो हमारे लिए अत्यंत उपयोगी है।