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मंत्रियों को विभाग देने में देरी पर आम लोगों का कोई इंटरेस्ट नहीं

मंत्रियों को विभाग देने में देरी पर आम लोगों का कोई इंटरेस्ट नहीं 0 लोग चाहते हैं,नई सरकार कुछ विशेष लोगों की नहीं, आम जनता की सरकार होनी चा...

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मंत्रियों को विभाग देने में देरी पर आम लोगों का कोई इंटरेस्ट नहीं

0 लोग चाहते हैं,नई सरकार कुछ विशेष लोगों की नहीं, आम जनता की सरकार होनी चाहिए

0 मंचीय कार्यक्रम पर भयावह पैसे खर्च करने से बचने की भी आवाज

 छत्तीसगढ़।

 असल बात न्यूज़।।  

00 रोज की डायरी/ अशोक त्रिपाठी

मंत्री देर से बनाए गए,मंत्री अभी बिना विभाग के हैं, मंत्रियों को विभाग आवंटित करने में देरी हो रही है, इन सब बातों से उनके समर्थकों कार्यकर्ताओं को दिक्कतें हो सकती हैं लेकिन आम लोगों को इसकी कोई अधिक फिक्र नहीं है। आम मतदाताओं ने इस बार बदलाव के मुद्दे पर जनादेश दिया है और लोग अब सरकार में, सरकार के कामकाज में बदलाव देखना चाहते हैं। लोग चाहते हैं कि तब विपक्षी दल ने, तत्कालीन सरकार के खिलाफ जो बातें की हैं आरोप लगाए हैं उन कमियों को दूर करते हुए अब कामकाज शुरू करें। आम लोगों का मंत्रियों के मुद्दे पर कोई बहुत अधिक इंटरेस्ट नहीं नजर आता है क्योंकि लोगों को मालूम है कि  सरकार की जो रीति नीति होगी उसके अनुसार काम होगा,मंत्रियों से कुछ बहुत अधिक नहीं होने वाला है। लोग नवनिर्वाचित सरकार की पार्टी ने, चुनाव में जो वादे किए थे उसे पूरे होते देखना चाहते हैं। सरकार के द्वारा 25 दिसंबर को पूरे प्रदेश में दो वर्षों के धान पर बोनस के वितरण का समारोह आयोजित किया गया है जिसका सभी जगह स्वागत किया जा रहा है। मंत्रियों को विभाग बांटने से अधिक भाजपा की नई सरकार के सामने छत्तीसगढ़ में यह बड़ी चुनौती है कि वह 15 वर्ष तक सत्ता में रहने के दौरान जिन बुराइयों में फंस गई थी  अब उसमें डूबने से बच सके।

छत्तीसगढ़ में विधानसभा चुनाव में चौंकाने वाले परिणाम आए हैं। यहां भारतीय जनता पार्टी को बड़ी जीत मिली है। उसे पूर्ण बहुमत मिला है। मतदाताओं ने उसे पूर्ण बहुमत के साथ सरकार बनाने का जनादेश दिया है। 3 जनवरी को चुनाव परिणाम आ जाने के बाद और भाजपा को पूर्ण बहुमत मिल जाने के बाद भी छत्तीसगढ़ में मुख्यमंत्री के चयन और मंत्रियों के चयन में काफी देरी हुई लेकिन इस पर आम लोगों को कोई प्रतिक्रिया नजर नहीं आई। कहीं ऐसा दबाव का वातावरण नजर नहीं आया कि सरकार का गठन जल्दी से जल्दी किया जाए और इसे मुख्यमंत्री बनाया जाए। लोग भी चाहते रहे थे कि, पार्टी काफी गंभीरता पूर्वक सोच विचार कर मंत्रिमंडल में नए लोगों को जिम्मेदारी दे अनुभवी लोगों को जिम्मेदारी दे,ताकि आम लोगों को अब प्रदेश में अच्छी सरकार मिल सके। ऐसी सरकार बन सके जो राज्य में भेदभाव पक्षपात को दूर करते हुए काम करने की शुरुआत कर सके। असल में आम लोगों ने पिछले 20 वर्षों के दौरान सरकार के कामकाज को समझा है। आम लोगों को मालूम है कि भारतीय जनता पार्टी सिद्धांतो को मानने वाली पार्टी है जो संगठन में निर्णय होते हैं उसी के अनुसार सरकार निर्णय लेती है। तो ऐसे में किसी को भी जिम्मेदारी मिलेगी संगठन के अनुसार ही उसे सरकार चलाना होगा। 

आम लोग राज्य में सरकार का काम देखना चाहते हैं। सरकार का कामकाज देखना चाहते हैं। तमाम जन कल्याणकारी कार्यों को शुरू होती है और पूरा होते देखना चाहते हैं। युवा अपने लिए रोजगार चाहते हैं।रोजगार की योजनाओ को शुरू होते देखना चाहते हैं। पूरा छत्तीसगढ़,नक्सल हिंसा की समस्या से मुक्ति चाहता है। लोग जो गली-गली में दारू बिक रही है, अवैध रूप से दारू बिक रही है उसे बंद होते देखना चाहते हैं। शराब फैक्ट्री से एक ही नंबर के होलोग्राम से दारू की जो सैकड़ो पेटियां अवैध रूप से निकल जा रही है उसे बंद होते देखना चाहते हैं।पूर्ण शराबबंदी नहीं हो पा रही है तो कम से कम अवैध दारू की बिक्री को तो बंद होते देखना चाहते हैं। गली गली में जो चाकूबाज,तलवारबाज ड्रग बेचने वाले पैदा हो गए थे, उसे खत्म होते देखना चाहते हैं। लाउडस्पीकर के कर्कश शोर से मुक्ति चाहते हैं।नई युवा पीढ़ी अपने लिए  तकनीकी शिक्षा के क्षेत्र में वह ब्रांच शुरू करवाना चाहती है जिससे उसे आगे रोजगार के अधिक अवसर मिल सकें। लोग यह भी जल्दी से जल्दी देखना चाहते हैं कि नई सरकार, राज्य में ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करने के लिए आखिर क्या कदम उठाने,क्या कार्यक्रम शुरू करने जा रही है। विधानसभा में वरिष्ठ सदस्य धर्मजीत सिंह ने बताया है कि आम मतदाताओं ने चुनाव में कवर्धा से विजय शर्मा और साजा विधानसभा सीट से ईश्वर साहू को किन मुद्दों पर वोट दिया है ? उन समस्याओं को दूर करने की दिशा में कदम उठाए जाने का भी लोग इंतजार कर रहे हैं।

लोग, इन समस्याओं का निराकरण  चाहते हैं।सबको मालूम है कि एक व्यक्ति की सरकार भी बड़े-बड़े निर्णय ले सकती है। पूर्ण निर्णय ले सकती है। मंत्रिमंडल के विस्तार से सबसे पहले तो राज्य का खर्च बढ़ना शुरू जाएगा। विभागों पर मंत्रियों के खर्चे का बोझ बढ़ेगा। विभागों को अपने मंत्रियों के लिए वाहन तथा दूसरी कई सुविधा उपलब्ध करनी पड़ेगी। छत्तीसगढ़ अभी भारी कर्ज में डूबा हुआ है। नई सरकार को अपने प्रत्येक कार्यक्रम को शुरू करने आगे बढ़ाने के लिए पैसों की जरूरत पड़ेगी। राज्य में आमदनी के संसाधन कम नहीं है, लेकिन जो कार्यक्रम शुरू किए जाने वाले हैं उसके लिए ये निश्चित रूप से कम पड़ेंगे। एक बात राहत पूर्ण है कि अब यहां डबल इंजन वाली सरकार काम करते दिखेगी। छत्तीसगढ़ को केंद्र सरकार से बड़ी मदद मिलने की उम्मीद की जा रही है। यहां से किसानों को दो साल का बोनस देने पर कर्ज माफी से अधिक पैसे की जरूरत पड़ेगी। पिछली सरकार के बारे में कहा जा सकता है कि वह कुछ विशेष वर्ग तक सीमित होकर रह गई थी और नई सरकार इससे बचने की जरूर कोशिश करेगी। आम मतदाताओं ने इसलिए तो बिलकुल वोट नहीं दिया है कि जीत मिल जाने के बाद सिर्फ कुछ लोगों को हाथ हिलाने के लिए सरकारी खर्च वाला मंच मिल सके। पूरे राज्य में मंचीय कार्यक्रमों पर भयावह पैसे खर्च करने से बचने की आवाज भी उठ रही है।

                Political reporter.