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खिलाड़ी के संघर्ष की कहानी… विदर्भ के Shubham Dubey चंद मिनट में बन गए करोड़पति

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 IPL Mini Auction 2024: इंडियन प्रीमियर लीग नीलामी (IPL Auction) अक्सर अनकैप्ड भारतीय क्रिकेटरों को जीवन बदलने वाले अनुबंधों से पुरस्कृत करती है और मंगलवार को विदर्भ के शुभम दुबे (Shubham Dubey) के लिए भी यह अलग नहीं था. दिल्ली कैपिटल्स (DC) के खिलाफ लंबी और रोमांचक बोली की लड़ाई के बाद राजस्थान रॉयल्स (RR) ने इस विस्फोटक बल्लेबाज को 5.80 करोड़ रुपए में खरीदा. आईपीएल की शुरुआती चैम्पियन राजस्थान रॉयल्स (RR) ने नागपुर (Nagpur) के क्रिकेटर पर भरोसा जताते हुए उसके बेस प्राइस से 29 गुणा ज्यादा रकम खर्च कर अपनी टीम से जोड़ा. अब वह फर्श से अर्श तक पहुंचने वाले खिलाड़ियों की सूची में शामिल हो गए हैं. बता दें कि, विदर्भ का यह धुरंधर बल्लेबाज उत्तरी नागपुर के वैशाली नगर में एक गरीब परिवार में पला-बढ़ा और उसके पास इतने पैसे नहीं थे कि वह क्रिकेट किट तक खरीद सके. उन दिनों शुभम उधार की किट से खेलता था. इसके बाद उन्हें दिवंगत अधिवक्ता सुदीप जायसवाल (Adv. Sudeep Jaiswal) के बारे में पता चला, जो एडवोकेट इलेवन क्रिकेट क्लब (Advocate XI cricket Club) चलाते थे. दयालु अधिवक्ता जायसवाल ने क्रिकेट से लेकर कभी-कभी उनके आहार तक का ख्याल रखा. और शुभम अपने पहले गुरु और पिता तुल्य एडवोकेट जायसवाल को धन्यवाद देना नहीं भूले.शुभम ने कहा कि, आज मैं जो कुछ भी हूं, वह एडवोकेट सुदीप जयसवाल की वजह से हूं. वह एक ईश्वर-संत देवदूत थे. किट, महंगी टोपियां खरीदने से लेकर अपने आहार का ख्याल रखने तक, उन्होंने मुझे कभी भी खाली हाथ नहीं जाने दिया. विदर्भ क्रिकेट एसोसिएशन (VCA) की लीग में इलेवन स्टार क्रिकेट क्लब के लिए खेलने वाले शुमन ने कहा कि जब मैंने क्रिकेट खेलना शुरू किया तो मेरे परिवार की आर्थिक स्थिति बहुत कमजोर थी और सुदीप सर ने मेरी बहुत मदद की. अगर सुदीप सर नहीं होते तो मैं यहां तक नहीं पहुंच पाता. उन्होंने मुझे अपनी टीम के लिए खेलने का मौका दिया और स्थानीय प्रतियोगिताओं में टीम का नेतृत्व करने के लिए भी कहा. इससे मुझे बहुत आत्मविश्वास मिला.



शुभम ने कहा कि, मेरी मां जयश्री गृहणी और पिता बद्रीप्रसाद दुबे छोटा-मोटा काम करते हैं. शुभम ने उन दिनों को भी याद किया जब वह पैसे कमाने के लिए टेनिस बॉल और क्रिकेट खेला करते थे, ताकि वह अपने परिवार की मदद कर सकें. एक बार विदर्भ के पूर्व विकेटकीपर अनिरुद्ध चोरे (Aniruddh Chore) ने मुझे मुंबई में खेले जाने वाले टाइम्स शील्ड टूर्नामेंट से परिचित कराया, जहां मैं प्रति माह 10,000 रुपए कमाता था. इससे मुझे आजीविका कमाने में मदद मिली. मैंने छह महीने तक मुंबई में खेला और फिर वापस आकर विदर्भ और उसके आसपास टेनिस बॉल क्रिकेट खेला. इससे मुझे मैन ऑफ द मैच का नकद पुरस्कार जीतने में मदद मिली. एक तरह से वह मेरी कमाई थी.

रोहित कैसलवार ने शुभम की बहुत मदद की. उन्होंने कहा कि, रोहित भाई ने मुझे बहुत प्रेरित किया और मुझे विदर्भ और मध्य भारत में टेनिस बॉल टूर्नामेंट के बारे में जानकारी दी. यहां तक कि रॉयल क्रिकेट एसोसिएशन क्लब में भी मुझे नेट्स में प्रशिक्षण के दौरान खुली छूट मिली. शुभम ने कहा कि समय पर मदद के लिए इरफान रज्जाक सर (Irfan Rajjak) को भी धन्यवाद. शुभम का जीवन तब बदल गया जब उन्हें विदर्भ टीमों के लिए खेलने के लिए चुना गया. जब से मैंने विदर्भ के लिए खेलना शुरू किया है तब से वित्तीय स्थिरता आ गई है. विदर्भ से मैच फीस और अन्य वित्तीय सहायता ने मुझे बहुत मदद की.