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छत्तीसगढ़ की 'जीत'' पर, दिल्ली में भी चर्चाएं.... माना जा रहा है कि पाटन में तत्कालीन मुख्यमंत्री को घेर लेने में मिली सफलता का भी रहा है जीत में बड़ा योगदान

  नई दिल्ली.  असल बात न्यूज़.        00  अशोक त्रिपाठी, दिल्ली में      अब लोकसभा चुनाव की तैयारियां शुरू हो गई है. दोनों मुख्य राजनीतिक दलो...

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 नई दिल्ली.

 असल बात न्यूज़.

       00  अशोक त्रिपाठी, दिल्ली में    



 अब लोकसभा चुनाव की तैयारियां शुरू हो गई है. दोनों मुख्य राजनीतिक दलों के लिए पिछली बातों को भूल जाने का समय आ गया है.और हो भी यही रहा है राजनीतिक दल,अब अपना पूरा ध्यान लोकसभा चुनाव पर केंद्रित करने मे लग गए हैं लेकिन जब राजनीतिक बातें शुरू होती है, राजनीतिक समीक्षा का दौर शुरू होता है,तो पांच राज्यों में पिछले महीने संपन्न, विधानसभा चुनाव की जीत- हार के बारे में जरूर चर्चा शुरू हो जाती है. वह विधानसभा चुनाव कई मायनों में काफ़ी महत्वपूर्ण रहा है.राजनीतिक पार्टियों के लिए यह चुनाव काफी महत्वपूर्ण इसलिए भी रहा है क्योंकि इसमें मतदाताओं ने काफी चौंकाने वाला परिणाम दिए हैं.उम्मीद के विपरीत कहीं से किसी की सत्ता चली गई तो किसी राजनीतिक दल की कहीं सत्ता में वापसी हुई है. राजनीतिक पार्टियां,इस चुनाव के परिणाम से वास्तव में बहुत कुछ सीखना चाहेंगी कि आखिर किस वजह से जीत मिली और जहाँ हार हो गई तो उसकी आखिर क्या-क्या वजह रही है.ऐसी चर्चाओ के दौर में राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि छत्तीसगढ़ में दुर्ग जिले के पाटन विधानसभा सीट पर तत्कालीन मुख्यमंत्री को घेरने में जिस तरह से सफलता मिल गई,वह भी जीत का एक बड़ा कारण साबित है.

 राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में अभी कड़ाके की ठंड पड़ रही है. शाम ढलने के बाद से सुबह तक यहां तापमान 15 डिग्री से नीचे चला जाता है.कपकंपा  देने वाली ठंड तो नहीं कहा जा सकता है लेकिन ठंड ऐसी तो जरूर है कि आबादी वाले क्षेत्रों में रात 8:00 के बाद से सन्नाटा पसरने लग जाता है. लेकिन ऐसे अलसाए हुए वातावरण में राजनीतिक दलों को मालूम है कि कहीं कोई लापरवाही नहीं करनी है. देश का सबसे बड़ा आम चुनाव सिर पर आने जा रहा है. थोड़ी सी लापरवाही, कमजोरी बड़ा खेल बिगाड़ सकती है. तो मुख्य राजनीतिक दलों के राष्ट्रीय कार्यालयों में इन दिनों जमकर गहमग़हमी और सक्रियता नजर आ रही है. लगातार नई योजनाएं बन रही है.समीक्षाओ का दौर चल रहा है. नई जिम्मेदारियां दी जा रही हैं. कहां कौन सा मुद्दा अधिक असरकारक साबित हो सकता है,कहां कौन नेता अधिक प्रभावी हो सकता है, कहां किसको बदलने की जरूरत है? जैसे मुद्दों पर लगातार समीक्षा कर आगे की रणनीति बनाई जा रही है तो जब इतनी बड़ी तैयारी चल रही हैं. पूरे देश भर की राजनीतिक रणनीति बनाने की तैयारी चल रही है तो यहां राजनीतिक गलियारे में कहीं सन्नाटा कैसे नजर आ सकता है.

 इससे इंकार नहीं किया जा सकता है कि छत्तीसगढ़ में पिछले पांच वर्षों के दौरान कांग्रेस पार्टी काफी आक्रामक होकर काम करती रही है. पिछले विधानसभा चुनाव में यहां कांग्रेस को अप्रत्याशित जीत मिली थी और वह यहां 65 सीटों पर जीत हासिल कर सत्ता में लौटी थी और उसके बाद प्रत्येक विधानसभा उपचुनाव में जीत हासिल करते हुए उसके विधायको की संख्या लगातार बढ़ती गई. तो ऐसे हालात में कांग्रेस के लोगों का आत्मविश्वास यहां काफी बड़ा हुआ था और कांग्रेस के नेताओं के साथ कार्यकर्ताओं का मानना था कि यहां पार्टी, सत्ता में दोबारा वापस लौटेगी. लेकिन ऐसा हो नहीं सका. मतदाताओं ने यहां चौकाने वाला परिणाम दिया. मतदाताओं ने भारतीय जनता पार्टी को पूर्ण बहुमत के साथ सरकार बनाने का जनादेश दिया है. अब जब चुनाव  के बाद छत्तीसगढ़ में भाजपा की सरकार बन गई है तो स्वाभाविक तौर पर राष्ट्रीय स्तर पर भी इसकी समीक्षा की जा रही है कि वह जीत के प्रमुख कारण क्या-क्या रहे हैं और यह मुद्दे आगे कितने प्रभावी साबित हो सकते हैं .

 छत्तीसगढ़ के बारे में कहा जा सकता है कि यहां जीत हासिल करने के लिए भारतीय जनता पार्टी लगातार योजना बनाने पर काम कर रही थी. भाजपा की रणनीति में तब संभवत  तत्कालीन  मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को को चारों तरफ से घेरना भी शामिल था. पाटन में पार्टी को बहुत कुछ करना था, इसी कड़ी में पाटन विधानसभा क्षेत्र के लिए भाजपा ने अपने प्रत्याशी की घोषणा लगभग 85 दिन पहले कर दी. सांसद विजय बघेल को वहां मुख्यमंत्री के खिलाफ चुनाव मैदान में उतारा गया. इसके बाद चुनामे यह सीट हाई प्रोफाइल विधानसभा सीट बन गई.इस मुकाबले की ओर पूरे देश की नजर लगी हुई थी.पार्टी के राष्ट्रीय नेताओं का मानना है कि पाटन में जिस तरह से घेरेबंदी के गई उसका फायदा मिला. यहां एक वरिष्ठ भाजपा नेता ने हमसे बातचीत करते हुए कहा कि उस विधानसभा चुनाव में किसी भी राज्य को आसान नहीं माना जा रहा था. पार्टी ने सभी राज्यों को काफी चुनौती पूर्ण तरीके से लिया. इससे अलग सीधे-सीधे यह कहा जा सकता कि भारतीय जनता पार्टी पांच राज्यों के चुनाव को काफी गंभीरता पूरक ले रही थी इन राज्यों में जीत हासिल करने के लिए पूरी ताकत झोंक देने की तैयारी की गई थी. ताकत झोंकने का सिलसिला जारी रहा तो छत्तीसगढ़ से मुकाबला 50-50 का होने की खबर आने लगी. फिर और आगे बढ़ गए और अब पूरा परिणाम सबके सामने है.