Page Nav

HIDE

Grid

GRID_STYLE

Pages

Classic Header

{fbt_classic_header}

Top Ad

ब्रेकिंग :

latest

Breaking News

Automatic Slideshow


इंटैक दुर्ग-भिलाई अध्याय द्वारा ‘मेरी स्मारक खोज’ प्रतियोगिता का आयोजन

  भिलाई. असल बात न्यूज़.   भारतीय सांस्कृतिक निधि, इंटैक का मुख्य उद्देश्य विद्यार्थियों को भारत की समृद्ध ऐतिहासिक और सांस्कृतिक विरासत से अ...

Also Read

 


भिलाई.

असल बात न्यूज़.  

भारतीय सांस्कृतिक निधि, इंटैक का मुख्य उद्देश्य विद्यार्थियों को भारत की समृद्ध ऐतिहासिक और सांस्कृतिक विरासत से अवगत कराना है जिससे आने वाली पीढ़ी अपने समृद्ध इतिहास से परिचित हो सके। ऐसे एतिहासिक धरोहर जो रूग्ण अवस्था में है उनके ऐतिहासिक और पुरातात्विक महत्व को विद्यार्थी जान सकें तथा उन्हें संरक्षित रखने के लिए संकल्पित हों इसलिये मेरी स्मारक खोज स्थानीय कम ज्ञात विरासत पर पोस्टर एवं लेख प्रतियोगिता का आयोजन किया गया।

इंटैक दुर्ग-भिलाई अध्याय की संयोजिका डाॅ. हंसा शुक्ला ने बताया कि इस प्रतियोगिता का आयोजन स्वामी श्री स्वरूपानंद महाविद्यालय, हुडको में किया गया। प्रतियोगिता में दुर्ग-भिलाई के चार विद्यालयों के कक्षा सातवीं से नवमीं के छत्तीस विद्यार्थियों ने सहभागिता दी। विद्यार्थियों को बताया गया कि पोस्टर में एक स्थानीय विरासत को दर्शाया जाना चाहिए, जो की कोई किला, महल, पूजा स्थान (मंदिर, गुरूद्वारा, चर्च, मस्जिद, आदि) सामाजिक भवन, शैक्षणिक संस्थान, आदि हो सकता है तथा उससे संबंधित दो सौ शब्दों का लेख ए-4 कागज पर होना चाहिए। सभी प्रतिभागियों को सहभागिता प्रमाण पत्र दिया जायेगा तथा सौ क्षेत्रीय विजेता एवं दस राष्ट्रीय विजेता चुने जायेंगे। 

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि श्री वीरेन्द्र सतपथी, सेवानिवृत्त नगर पुलिस अधीक्षक तथा डाॅ. ज्योति धारकर विभागाध्यक्ष इतिहास, शासकीय विश्वनाथ यादव तामस्कर स्नातकोत्तर महाविद्यालय थी।

श्री वीरेन्द्र सतपथी ने अपने आतिथ्य उद्बोधन में कहा कि किसी भी देश की समृद्धि का सूचक वहाॅं कि सांस्कृतिक एवं ऐतिहासिक धरोहर होता है। धरोहर केवल ईंट-पत्थर से बने ईमारत नहीं होते बल्कि धरोहर में विभिन्न कला का भी समावेश होता है तथा सांस्कृतिक धरोहर भारत की एक महत्वपूर्ण धरोहर है इस कड़ी में उन्होंने विद्यार्थियों को बताया कि ऋषिमुनि जमीन में बैठकर पत्तल में खाना खाते थे खाने से पहले पत्तल के चारों ओर पानी डालते थे ऐसा इसलिए किया जाता था कि पत्तल के चारों ओर पानी होने से चींटी या कीड़ें पत्तल तक नहीं पहुँच पाते थे क्योंकि पहले लाइट नहीं होता था इसलिए शुद्धता और कीटों से सुरक्षा के लिए यह व्यवस्था थी। इस प्रकार के प्रतियोगिता के माध्यम से बच्चे अपने सांस्कृतिक एवं ऐतिहासिक धरोहर से परिचित होंगे।

डाॅ. ज्योति धारकर ने अपने आतिथ्य उद्बोधन में कहा कि छत्तीसगढ़ का इतिहास अत्यंत समृद्ध है आठवीं सदी में बनी सिरपुर की इमारत ईट से बनी हुई है जो इस बात की परिचायक है कि उस सदी में कारीगर ईटों पर नक्काशी करते थे तथा ईट बनाने के लिए जो मिश्रण और तापमान चाहिए वह उस समय के लोग जानते थे अर्थात हम विज्ञान की दृष्टि से अत्यंत समृद्ध थे। भोरमदेव मंदिर की तुलना खजुराहों और कोणार्क मंदिर से की जाती है। ग्यारहवीं शताब्दी में नागरशैली में बने इस मंदिर की शिल्पकला अनूठी है इस मंदिर में रखे अष्टभुजी गणेशजी की मूर्ति पूरी दुनिया में सिर्फ भोरमदेव में है इसलिए हम सब भाग्यशाली हैं जो ऐतिहासिक और सांस्कृतिक दृष्टि से समृद्ध छत्तीसगढ़ में है।

प्रतियोगिता में दिल्ली पब्लिक स्कूल, रिसाली भिलाई, आमदी विद्या निकेतन विद्यालय, हुडको, भिलाई, श्री शंकराचार्य विद्यालय, हुडको, भिलाई, श्री शंकरा विद्यालय सेक्टर-10, भिलाई से 36 विद्यार्थियों ने भाग लिया।

कार्यक्रम का संचालन एवं धन्यवाद ज्ञापन इंटैक दुर्ग-भिलाई अध्याय की संयोजक डाॅ. हंसा शुक्ला ने किया। प्रतियोगिता में दुर्ग भिलाई इंटैक आजीवन सदस्य श्रीमती विद्या गुप्ता, श्री रविन्द्र खण्डेलवाल, श्री विश्वास तिवारी उपस्थित थे।