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नई टेक्नोलॉजी 3D प्रिंटिंग के माध्यम से हिप का सफल जोड़ प्रत्यारोपण आपरेशन श्री मेडिशाईन हॉस्पिटल में

रायपुर। असल बात न्यूज़. छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर महानगर में न्यू राजेंद्र नगर स्थित श्री मेडिशाईन हॉस्पिटल द्वारा नई तकनीक एवं आधुनिक टेक्न...

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रायपुर।

असल बात न्यूज़.

छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर महानगर में न्यू राजेंद्र नगर स्थित श्री मेडिशाईन हॉस्पिटल द्वारा नई तकनीक एवं आधुनिक टेक्नोलॉजी से निर्मित  मशीन द्वारा  3D प्रिंटिंग के माध्यम से हिप का सफल जोड़ प्रत्यारोपण किया गया, यह सफल ऑपरेशन डॉ सुशील शर्मा ऑर्थोपेडिक एवं जॉइंट रिप्लेसमेंट सर्जन के मार्गदर्शन में किया गया। यह तकनीक छत्तीसगढ़ में सर्वप्रथम श्री  मेडिशाईन हॉस्पिटल में हिप ऑपरेशन के लिए सफलतम रूप से इस्तेमाल की जा रही है

प्राप्त जानकारी के अनुसार 38 वर्षीय मरीज लक्ष्मीकांत साहू जो कि सी एस ई बी में कार्यरत है, सिकलसेल के कारण हीप जोड़ खराब हो गया था, पिछले एक साल से अपनी ड्यूटी से छुटटी पर था , 12 साल पहले हिप का आपरेशन हुआ था, परन्तु सिकलसेल होने की वजह से उसके हिप जोड़ ढीले हो गये और सॉकेट की हड्डियां गल गयी थी, जिसके कारण अपने दिनचर्या करने तथा चलने-फिरने में बहुत तकलिफ होती थी, फिर श्री मेडिशाईन हॉस्पिटल के डॉ सुशील शर्मा, आर्थोपेडिक एवं ज्वाईंट रिप्लेसमेंट सर्जन से सलाह लिये, जांच के उपरांत पता चला कि एस्टुबूलम की हड्डी गल गयी थी, और सर्जिकल चैलेजिंग आपरेशन था, जो कि मध्यभारत का सर्वप्रथम 3 डी प्रिटिंग के माध्यम से जोड़ एवं अग्युमेंट बनाया गया, और कृत्रिम जोड़ लगाकर मरीज को पूरी तरह ठीक किये और मरीज अभी स्वस्थ्य है।

इस 3 डी प्रिटिंग के माध्यम से हीप का जोड़प्रत्यारोपण सफलतापूर्वक किया जा रहा है इसमें डॉ सुशील शर्मा, (आर्थोपेडिक एवं ज्वाईंट रिप्लेसमेंट सर्जन), डॉ प्रयंक हिशीकर (आर्थोपेडिक एवं स्पोर्टइंजुरी विशेषज्ञ), डॉ अश्विनी मिश्रा, डॉ सुप्रिती शर्मा, डॉ रवि गोयल अपनी सेवाएं दे रहे हैं. एवं उक्त ऑपरेशन में  समस्त नर्सिंग एवम OT स्टाफ का सहयोग रहा.

क्या है 3 डी प्रिटिंग

3 डी प्रिटिंग में मरीज के संबंधित अंगों का 3 डी सीटी स्केन कराकर उसे प्लानिंग हेतु इंम्प्लांट डिजाईनर के पास भेजा जाता है, उसके हड्डियों का माडल तैयार कर सिटी स्केन के आधार मानकर मरीज के टाईटेनियम मेंटल का मरीज के हड्डियों एवं जोड़ो के अनुसार मरीज का कृत्रिम बनाया जाता है और विशेषकर मरीज की डायमेंशन के अनुसार बनाया जाता है।