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निर्वाचन के दौरान मीडिया का बेहतर उपयोग सुनिश्चित करने प्रमाणन समितियां होंगी सक्रिय

*निष्पक्ष निर्वाचन के लिए आदर्श आचरण संहिता को सही ढंग से समझे अधिकारी -  श्री निलेश क्षीरसागर *एमसीसी, एमसीएमसी, डीईएमसी के नोडल अधिकारियों...

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*निष्पक्ष निर्वाचन के लिए आदर्श आचरण संहिता को सही ढंग से समझे अधिकारी -  श्री निलेश क्षीरसागर

*एमसीसी, एमसीएमसी, डीईएमसी के नोडल अधिकारियों और मास्टर ट्रेनर्स का हुआ गहन प्रशिक्षण


रायपुर .

असल बात news.    

 अतिरिक्त मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी श्री निलेशकुमार महादेव क्षीरसागर ने कहा है कि निर्वाचन के दौरान आदर्श आचरण संहिता का पालन सुनिश्चित कराने में निर्वाचन क्षेत्र के अधिकारियों की भूमिका अहम होती है। हर स्तर के अधिकारी आचार संहिता के सभी पहलुओं को जानें, तभी नियमों का पालन सुनिश्चित हो सकेगा। लोकसभा निर्वाचन की तैयारियों की कड़ी में आज वे आदर्श आचरण संहिता, मीडिया प्रमाणन तथा निगरानी समिति एवं व्यय निगरानी समिति के जिला स्तरीय नोडल अधिकारियों और मास्टर ट्रेनर्स के एक दिवसीय प्रशिक्षण को संबोधित कर रहे थे। इसमें प्रदेश के 17 जिलों के अधिकारियों ने हिस्सा लिया। शेष जिलों के अधिकारियों के लिए 1 मार्च को यह प्रशिक्षण आयोजित है।

मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी श्रीमती रीना बाबासाहेब कंगाले के मार्गदर्शन में आगामी लोकसभा आम निर्वाचन के दृष्टिगत भारत निर्वाचन आयोग के निर्देशानुसार निर्वाचन से जुड़े विभिन्न स्तरों के अधिकारियों का प्रशिक्षण आयोजित किया जा रहा है। इसके पूर्व जिला निर्वाचन अधिकारियों, रिटर्निंग अधिकारियों और सहायक रिटर्निंग अधिकारियों सहित अन्य अधिकारियों के लिए भी प्रशिक्षण आयोजित किए जा चुके हैं।

प्रशिक्षण के दौरान आज मास्टर ट्रेनर तथा उप मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी श्री यू.एस. अग्रवाल और श्री अपूर्व प्रियेश टोप्पो, मास्टर ट्रेनर श्री दुष्यंत रायस्त, सहायक मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी श्री रूपेश वर्मा और श्रीमती शारदा अग्रवाल ने एमसीसी, एमसीएमसी तथा ईईएम से संबंधित तकनीकी और व्यावहारिक जानकारी अधिकारियों को दीं। 

उप मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी श्री यू.एस. अग्रवाल ने प्रशिक्षण में बताया कि भारत निर्वाचन आयोग द्वारा निर्वाचन की घोषणा होते ही आदर्श आचरण संहिता लागू हो जाती है। इस स्थिति में प्रशासनिक अधिकारी निर्वाचन की प्रक्रिया पूर्ण होने तक यह सुनिश्चित करें कि इस दौरान किसी भी शासकीय भवन, शासकीय मशीनरी का उपयोग राजनीतिक गतिविधियों के लिए न हो। इस दौरान धन के बड़े पैमाने पर लेन-देन, जुलूस, राजनीतिक सभा, समारोह की रिकॉर्डिंग, आपत्तिजनक भाषा में राजनीतिक भाषण, वाहनों की अनाधिकृत आवाजाही, प्रचार सामग्री के परिवहन सहित अन्य विषय जो सीधे अथवा परोक्ष रूप से निर्वाचन गतिविधि के तहत संपन्न हो रही है, ऐसे सभी कार्यों पर आदर्श आचरण संहिता के तहत निगरानी रखें। आचार संहिता के उल्लंघन की स्थिति में तत्काल कार्रवाई सुनिश्चित करना प्रशासनिक अधिकारी का दायित्व है। प्रशिक्षण के दौरान वाहनों के उपयोग, विश्राम भवनों तथा स्कूल भवनों के उपयोग जैसे विषयों को लेकर भारत निर्वाचन आयोग के निर्देशों की भी जानकारी दी गई। 

मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी कार्यालय के अधिकारियों और मास्टर ट्रेनर्स ने आदर्श आचरण संहिता के व्यापक दायरे तथा अधिकारियों के दायित्वों और सीमाओं पर नोडल अधिकारियों तथा जिला स्तरीय मास्टर ट्रेनर्स की जिज्ञासाओं का समाधान किया। मास्टर ट्रेनर श्री दुष्यंत रायस्त और श्री अपूर्व प्रियेश टोप्पो ने निर्वाचन व्यय निगरानी समितियों के दायित्वों की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि लोकसभा निर्वाचन के दौरान प्रत्याशियों को प्रतिदिन अपने निर्वाचन व्यय का संधारण करना है। अभ्यर्थियों के प्रचार के दौरान विभिन्न निगरानी समितियों के माध्यम से भी इस बात का मिलान करें कि व्यय की गणना मापदंडों के अनुरूप हो रही है या नहीं।

सहायक मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी श्रीमती शारदा अग्रवाल ने प्रशिक्षण में अधिकारियों को निर्वाचन के दौरान मीडिया प्रमाणन तथा निगरानी समितियों की जिम्मेदारियों की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि इलेक्ट्रॉनिक मीडिया और सोशल मीडिया का राजनीतिक विज्ञापन के लिए उपयोग निर्वाचन के दौरान लगातार बढ़ा है। एमसीएमसी के जरिए राजनीतिक दलों और  प्रत्याशियों के प्रचार-प्रसार के तरीकों पर नजर रखी जाती है। श्रीमती अग्रवाल ने अन्य प्रशासनिक अधिकारियों के साथ समन्वय कर इसे और प्रभावी तथा कारगर बनाने को कहा। उन्होंने कहा कि प्रत्येक जिले में इलेक्ट्राॅनिक मीडिया, सोशल मीडिया एवं प्रिन्ट मीडिया सेल का गठन करें। इलेक्ट्राॅनिक मीडिया एवं सोशल मीडिया में प्रसारित विज्ञापन बिना अधिप्रमाणन प्रसारित होने पर नियमानुसार कार्यवाही की जाए। उन्होंने बताया कि एमसीएमसी समिति के पास पर्याप्त अधिकार है कि आदर्श आचार संहिता के उल्लंघन वाले विज्ञापन को प्रमाणन के स्तर पर ही अनुमति प्रदान नहीं करें। संदिग्ध पेड न्यूज के प्रकरणों पर भी विशेष ध्यान देकर नियमानुसार कार्यवाही की जाए।