रायपुर. असल बात न्यूज़. अपनी जगह दूसरे को परीक्षा में बिठाकर मेडिकल कॉलेज में प्रवेश लेने के मामले में लगभग 15 साल बाद फैसला आ गया है....
रायपुर.
असल बात न्यूज़.
अपनी जगह दूसरे को परीक्षा में बिठाकर मेडिकल कॉलेज में प्रवेश लेने के मामले में लगभग 15 साल बाद फैसला आ गया है. न्यायालय ने आरोपी को 3 साल के सश्रम कारावास और अर्थदंड की सजा सुनाई है.जुडिशल मजिस्ट्रेट फर्स्ट क्लास रायपुर के कोर्ट ने प्रकरण में दोषसिद्ध होने पर आरोपी को सजा सुनाई है. इस प्रकरण में घटना के लगभग 2 साल बाद अपराध कायम हुआ था. शक होने पर आरोपी तथा परीक्षा में बैठे छात्र के अंगूठे के निशांत का मिलान किया गया तो दोनों भिन्न पाए गए जिसके बाद मामले में अपराध कायम हुआ था.
अभियोजन के अनुसार प्रकरण के तथ्य इस प्रकार है कि आरोपी को वर्ष 2009 में चिकित्सा महाविद्यालय में प्रवेश हेतु व्यावसायिक परीक्षा मंडल के द्वारा आयोजित पीएमटी की परीक्षा देना था. आरोपी ने यह परीक्षा खुद नहीं दी. उसने आपराधिक षड्यंत्र करके अपने हमशक्ल छात्र को परीक्षा देने के लिए परीक्षार्थी के रूप में परीक्षा बिठा दिया. आरोपी का नाम सुभाष चंद्र बंदे हैं जो की गरियाबंद का निवासी है.उसे कांकेर जिले में बनाए गए परीक्षा केंद्र में परीक्षा देना था. बाद में शिकायत हुई तो अपराध अनुसंधान शाखा पुलिस मुख्यालय रायपुर के द्वारा संदेशों के संबंध में कार्रवाई शुरू की गई. इस परीक्षार्थी के भी अंगूठे के निशान और उपस्थिति पत्रक में दर्जा परीक्षार्थी के अंगूठे के निशान का मिलान किया गया तो मिलान करने पर दोनों में भिन्नता पाई गई. प्रकरण में भारतीय जनता की धारा 419 120 भी 420 467 468 471 सीजी पब्लिक एग्जामिनेशन अनफेयर मिंस प्रोबिशन एक्ट 2008 के तहत अपराध कायम किया गया.
न्यायालय ने आरोपी द्वारा अन्य के साथ षड्यंत्र के अनुसरण में फोटो प्रतिम्बित किए जाने से लेकर परीक्षा में उपस्थित होकर परीक्षार्थी के रूप में उपस्थित होने तथा प्रविष्टि करने के स्पष्ट तथ्य को युक्तियुक्त साक्षय से प्रमाणित अभिलेख माना. न्यायालय ने माना कि अभियोजन पक्षी या प्रमाणित करने में सफल रहा है कि आरोपी ने वर्ष 2009 में चिकित्सा प्रवेश हेतु व्यावसायिक परीक्षा मंडल द्वारा आयोजित पीएमटी परीक्षा में अपने हमशकल फर्जी छात्र के साथ आपराधिक षड्यंत्र करते हुए उससे परीक्षा दिलाई. न्यायालय ने एक अन्य मामले के संदर्भ में माना कि प्रवेश पत्र का स्वयं में कोई धनीय मूल्य नहीं होता, किंतु परीक्षा के अभ्यर्थी के लिए बहुत बड़ा मूल्य होता है.
न्यायालय ने आरोपी को 3 साल के सश्रम कारावास की सजा सुनाई.है .
प्रकरण में शासन की ओर से अतिरिक्त जिला लोकाभियोजक ममता चंदेल ने पेरवी की.