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एशिया की दूसरी सबसे बड़ी माने जाने वाली मंडीप खोल गुफा को आज भक्तों के लिए खोला गया

  खैरागढ़. एशिया की दूसरी सबसे बड़ी माने जाने वाली मंडीप खोल गुफा को आज भक्तों के लिए खोला गया, जहां भोलेनाथ के दर्शन करने बड़ी संख्या में श्...

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 खैरागढ़. एशिया की दूसरी सबसे बड़ी माने जाने वाली मंडीप खोल गुफा को आज भक्तों के लिए खोला गया, जहां भोलेनाथ के दर्शन करने बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंचे. दरअसल हर वर्ष अक्षय तृतीया के बाद पड़ने वाले पहले सोमवार को इस गुफा का द्वार श्रद्धालुओं के लिए एक दिन के लिए खोला जाता है और हजारों की संख्या में भक्त भोलेनाथ के दर्शन के लिए पहुंचते हैं. भक्तों की संख्या साल दर साल बढ़ती ही जा रही है.



भोलेनाथ को समर्पित इस गुफा के दर्शन के लिए प्रदेश ही नहीं बल्कि देश के कोने कोने से हजारों श्रद्धालु पहुंचते हैं. दुर्गम रास्ते, घने जंगल और नदी नालों को पार कर श्रद्धालु बाबा मंडीप खोल के दरबार में पहुंचे हैं. गुणिराम बैगा, विष्णु पुजारी ने बताया, मंडीप खोल गुफा को लेकर कई रियासत कालीन मान्यताएं जुड़ी है. वर्षो से ठाकुरटोला के जमीदार इस गुफा को अक्षय तृतीया के बाद पड़ने वाले सोमवार को केवल एक दिन के लिए विधिवत पूजा अर्चना कर खोलते हैं. चट्टान हटाने से जंगली जानवरों से बचाव के लिए पहले हवाई फायर भी किया जाता है. गुफा में पहला प्रवेश जमीदार परिवार के लोग ही करते हैं और वहां स्थित शिवलिंग सहित अन्य देवी देवताओं की विधि विधान से पूजा अर्चना कर क्षेत्र की खुशहाली की कामना करते हैं.

गुणिराम बैगा, विष्णु पुजारी ने बताया, मंडीप खोल गुफा कई तरह के रहस्य और रोमांच से भरी हुई है. बाहर पड़ रही भीषण गर्मी गुफा के भीतर जाते ही शीतलता में बदल जाती है. सकरे मुख वाली इस गुफा के अंदर अनेक बड़े कक्ष हैं. कुछ साल पहले पुरातत्व विभाग ने इस गुफा का सर्वेक्षण किया था, जिसमें यह पाया गया कि यह गुफा देश की सबसे लंबी और एशिया की दूसरी सबसे लंबी गुफा है. इसके इतिहास में काफी रहस्य छिपे हुए हैं, जिन पर अभी अनुसंधान होना बाकी है.

मैकल पर्वत में है मंडीप गुफा

भौगोलिक दृष्टिकोण से मंडीप खोल गुफा मैकल पर्वत माला के खूबसूरत हिस्से में स्थित है, यहां पहुंचना सरल नहीं है, क्योंकि गुफा तक पहुंचने का कोई स्थाई रास्ता नहीं है. पैलीमेटा या ठाकुरटोला तक ही सड़क मार्ग मौजूद है. इसके बाद भक्तों को घोर जंगल से होते हुए पगडंडियों की सहायता से पहाड़ों को पार कर रास्ते में पड़ने वाले नदी और नालों को भी पार करना पड़ता है. गुफा के पास स्थित कुंड से निकलने वाली श्वेत गंगा को श्रद्धालु रास्ते में 16 बार पार करते हैं और बाबा भोलेनाथ के दर्शन पाते हैं.