विकसित राष्ट्र बनने की और बढ़ रहे हैं कदम, थोड़ा सा ऋणों को कम करने की ओर भी ध्यान देना जरुरी नई दिल्ली . असल बात न्यूज़. 0 विशेष संव...
विकसित राष्ट्र बनने की और बढ़ रहे हैं कदम, थोड़ा सा ऋणों को कम करने की ओर भी ध्यान देना जरुरी
इस पर पिछले कुछ वर्षों से बहुत बातें हो रही हैं कि भारत देश विकसित राज्य बनने की और आगे बढ़ रहा है. इस पर तरह-तरह के तर्क दिए जा रहे हैं कि इस दिशा में क्या -क्या किए जा रहे हैं. हर देश, प्रत्येक राष्ट्र का लक्ष्य कि वह विकसित राष्ट्र की ओर बढ़ने के लिए प्रगति करना चाहता है. दुनिया में तमाम तरह की कठिनाइयां है और जो पहले से विकसित राष्ट्र है वह कतई नहीं चाहते होंगे कि कोई और राष्ट्र उनकी बराबरी का दर्जा प्राप्त कर सके. लगभग सारे राष्ट्र बढ़ती जनसंख्या, बेरोजगारी, प्राकृतिक आपदा जैसी समस्याओं से जूझ रहे हैं. वही आतंकवाद, घुसपैठ और अंदरूनी विरोधी तत्वों की सक्रियता ने भी पूरे देश को परेशान कर रखा है. भारत देश में समस्याओं से जुड़ता आ रहा है और अभी भी इन सब मामलों में उसकी परेशानियां खत्म नहीं हुई है. पड़ोसी कई सारे देश भी ऐसे तत्वों को उकसाते रहते हैं और आर्थिक तथा हथियार से मदद कर इस क्षेत्र में सक्रिय रहने के लिए मदद करते हैं. भारतीय जनता पार्टी ने 2040 के दशक तक भारत देश को विकसित राष्ट्र बनाने का लक्ष्य रखा है. वह पिछले चुनावों में भी इस मुद्दे को लेकर जनता के बीच गई है. हालांकि अभी हुए लोकसभा चुनाव में उसे पूर्ण बहुमत नहीं मिला है लेकिन फिर भी वह देश में तीसरी बार सरकार बनाने में सफल हो गई है और अभी देश में सबसे अधिक सीटों पर जीत हासिल करने वाली सबसे बड़ी पार्टी है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश को विकसित राष्ट्र बनाने के रास्ते पर चलने की बार-बार प्रतिबद्धता दोहराई है. हम आर्थिक मामलों की बात करें तो जो ताजा आंकड़े हैं भारत देश की राजस्व प्राप्तियों में बढ़ोतरी हो रही है. विकसित राष्ट्र बनने की और आगे बढ़ रहे हमारे देश के लिए यह शुभ संकेत है. चालू वित्तीय वर्ष के बजट में जिस तरह से अनुमान किया गया है उसके अनुरूप राजस्व की प्राप्तियां हो रही है. मई महीने में तो बजट अनुमान के अनुरूप 18.6% की राजस्व प्राप्तियां हुई है. राजस्व की प्राप्तियां उम्मीद के अनुरूप हो रही हैं तो हमें अभी देखना होगा कि हम, इसका किस तरह का सदुपयोग करते हैं. हमें कई सारी जन कल्याणकारी योजनाओं को शुरू करने की दिशा में तो आगे बढ़ाना है. कई पिछले हुए क्षेत्र में इन्फ्रास्ट्रक्चर डेवेलप करना है. इस दिशा में बहुत सोचसमझ कर आगे बढ़ना होगा कि हमें मुफ्त की योजनाओं को कितना अधिक शुरू करना है और कितना आगे बढ़ाना है. मुफ्त की योजनाएं, और तो दिला सकती हैं आम जनता को खुश कर सकती हैं, लेकिन इनके आगे चलकर देश के लिए बड़ा सिर दर्द बन जाने के आशंका से इनकार नहीं किया सकता. कई देश और प्रदेश ऐसी मुफ्त की योजनाओं को चलाने के कारण ही आर्थिक तौर पर खस्ता हाल होते देखे गए हैं. आंकड़े बता रहे हैं कि देश के राजस्व प्राप्तियां तो बढ़ रही हैं लेकिन देश का अभी भी अरबो रुपए ब्याज के भुगतान में चला जा रहा है.आम जनता को तमाम योजनाओं में सब्सिडी देने पर भी करोड रुपए चला जा रहा है.फिलहाल यह सब्सिडी देने का कहीं कोई विरोध नहीं है, लेकिन सब्सिडी गलत, लोगों तक पहुंच रही हो तो उसकी समीक्षा जरूर की जानी चाहिए.
देश में केंद्र में फिर से भारतीय जनता पार्टी की सरकार बन गई है तो भारत देश को विकसित राष्ट्र बनाने के मुद्दे पर बार-बार बात होती रहेगी. इस दिशा में क्या कदम उठाए जा रहे हैं और उनमें कहीं कोई खामियां तो नहीं है इसका लगातार विश्लेषण किया जाता रहेगा. भारत में पिछले वर्षों के दौरान राजस्व प्राप्तियां के प्रतिशत में लगातार बढ़ोतरी दर्ज की गई है. यह बढ़ोतरी अभी भी बनी हुई है.अभी जो ताजा आंकड़े सामने आए हैं उसके अनुसार चालू वित्त वर्ष के पिछले 3 महीने में भारत सरकार को 5 लाख 72 हजार 845 करोड़ की प्राप्तियां हुई है. इसमें से कर राजस्व के रूप में 3 लाख 19 हजार 36 करोड रुपए प्राप्त हुए हैं.वहीं इसी अवधि के दौरान गैर-कर राजस्व के रूप में 2,51,722 करोड़ रुपये और गैर-ऋण पूंजी प्राप्तियों के रूप में 2,087 करोड़ रुपये प्राप्त हुआ है,जो ऋणों की वसूली से प्राप्त हुए हैं। इस अवधि तक भारत सरकार द्वारा करों के हिस्से के हस्तांतरण के रूप में राज्य सरकारों को 1,39,751 करोड़ रुपये हस्तांतरित किए गए हैं, जो पिछले वर्ष की तुलना में 21,471 करोड़ रुपये अधिक है।
यह वास्तविकता है कि पिछले वर्षों में देश की तस्वीर काफी कुछ बदली है. जो क्षेत्र वर्षों वर्षों तक पिछड़े हुए क्षेत्र थे पहुंच विहीन क्षेत्र थे, वहां भी अब विकास के कई Slept को देखा जा सकता है. उन क्षेत्रों में भी चमकती सड़क, बिजली पानी की सुविधाए और महंगी गाड़ियां पहुंच गई है. मध्यवर्गीय शहरों में भी यातायात की कई सारी सुविधाए उपलब्ध हो गई है और बड़े-बड़े ब्रिज बन गए हैं ताकि परिवहन की सुविधा शुभम हो सके. इन क्षेत्रों में केंद्र सरकार ने कई सारे काम करने की योजना तैयार कर रखी है. और कई योजनाओ को पूरा किया गया है. भारत राष्ट्र के छोटे बड़े सभी शहरों को घुसपैठ की बड़ी समस्या से योजना पड़ रहा है.जो घुसपैठियों तत्व है वह कहीं से भी किसी भी शहर में पहुंच जा रहे हैं और वहां बस कर शासन की योजनाओं का फायदा उठा रहे हैं.इस तरह से हमारी सरकारों पर आर्थिक बोझ लगातार बढ़ता जा रहा है. केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने घुसपैठ को रोकने के लिए कई सारे ठोस कदम उठाने के बारे में बहुत बार बातें कही हैं लेकिन इस दिशा में अभी भी बहुत सारे कदम उठाया जाना जरूरी है. छत्तीसगढ़ के बस्तर जैसे सुदूर वन क्षेत्र में भी घुसपैठ बड़े पैमाने पर देखने में मिलता है. यह सच्चाई है कि देश में घुसपैठ करने वाले तत्वों को शासन की योजनाओ का सरलता से फायदा मिलने लगता है, इसलिए विकसित और विकासशील राष्ट्रों को घुसपैठ की समस्या से अधिक जूझना पड़ रहा है.
भारत सरकार की राजस्व प्राप्तियां बढ़ी है तो यहां व्यय भी बढ़ता जा रहा है. आम लोगों के द्वारा किया गया व्यय, बाजार में खुशियां लेकर आता है, रौनक लेकर आता है नहीं चमक लेकर आता है.पूरी दुनिया में भारत एक बड़ा बाजार बन गया है.भारत सरकार द्वारा पिछले तीन महीना अप्रैल, मई,जून के दौरान किया गया कुल व्यय 6,लाख 23 हजार ,460 करोड़ रुपये (संगत बजट अनुमान 2024-25 का 13.1%) है, जिसमें से 4,79,835 करोड़ रुपये राजस्व खाते पर और 1,43,625 करोड़ रुपये पूंजी खाते पर हुए है। कुल राजस्व व्यय में से 1लाख ,23हजार ,810 करोड़ रुपये ब्याज भुगतान के कारण और 54,688 करोड़ रुपये प्रमुख सब्सिडी के कारण हुए हैं। देश को फिलहाल अपने ऋणों को कम करना होगा ऋणों पर किए जा रहे, ब्याज के भुगतान को कम करने की दिशा में कदम उठाना होगा.