Page Nav

HIDE

Grid

GRID_STYLE

Pages

Classic Header

{fbt_classic_header}

Top Ad

ब्रेकिंग :

latest

Breaking News

Automatic Slideshow


फ्लोराइड युक्त पानी का असर 5 साल के बच्चे से लेकर 55 साल के बुजुर्ग पर दिखाई दे रहा

  गरियाबंद। किडनी की बीमारी लगातार हो रही मौतों की वजह से पूरे प्रदेश में अपनी अलग पहचान रखने वाले गरियाबंद जिले के गांव सुपेबेड़ा का जख्म ...

Also Read

 गरियाबंद। किडनी की बीमारी लगातार हो रही मौतों की वजह से पूरे प्रदेश में अपनी अलग पहचान रखने वाले गरियाबंद जिले के गांव सुपेबेड़ा का जख्म अभी भरा नहीं है कि जिले के एक और गांव नांगलदेही में दूसरा घाव उभरने लगा है. ग्रामीणों की समस्या को सालों से नजरअंदाज करते चले आ रहे प्रशासनिक अमला की वजह से यहां भी हालत बेकाबू होने में ज्यादा दिन नहीं लगेगा.

 

देवभोग तहसील के 40 गांव में फ्लोराइड की पुष्टि 7 साल पहले हो गई थी, लेकिन अब तक समस्या का समाधान नहीं किया गया है. इन्हीं गांवों में से एक नांगलदेही में हर घर में फ्लोराइड युक्त पानी का असर 5 साल के बच्चे से लेकर 55 साल के बुजुर्ग पर दिखाई दे रहा है. ग्रामीणों का दावा है कि 700 की आबादी वाले गांव में 300 से ज्यादा लोगों पर फ्लोराइड का असर है, जिनमें से 60 से ज्यादा ऐसे हैं जिनके हड्डियों में असर दिखने लगा है.

 

देवभोग विकासखंड के 40 गांव के पानी में फ्लोराइड की अधिकता पाई गई है. तीन साल पहले स्कूलों में लगे वाटर सोर्स की जांच में इसका खुलासा हुआ था. इसके बाद पीएचई विभाग ने सभी 40 स्कूलों में 6 करोड़ रुपए खर्च कर फ्लोराइड रिमूवल प्लांट लगवाया. इनमे से 9 ऐसे सोर्स व अन्य तकनीकी खामियों के कारण शुरू ही नहीं हो सके, वहीं ज्यादातर प्लांट 3 से 4 माह चले और देख-रेख के अभाव में बंद हो गए. पिछड़े डेढ़ साल से ग्रामीणों के पास फ्लोराइड युक्त पानी पीने के अलावा कोई दूसरा विकल्प नहीं है.

ग्रामीणों पर फ्लोराइड का असर

फ्लोराइड प्रभावित गांव में सबसे ऊपर नाम नांगलदेही का आता है. तीन साल पुरानी रिपोर्ट के मुताबिक, यहां पानी के सोर्स में मिनिमम 6 पीपीएम से लेकर 14 पीपीएम तक फ्लोराइड होने की पुष्टि हुई है. सामान्य सोर्स में 1.5 पीपीएम से कम तक मानव शरीर के लिए ठीक माना गया है. पिछले 6 साल से कमर टेढ़े होने की बीमारी झेल रहे मधु सूदन नागेश बताते हैं कि बढ़े हुए फ्लोराइड की जानकारी सबको है, पर विकल्प का किसी ने इंतजाम नहीं किया. कुंए के पानी में भी फ्लोराइड की 6 पीपीएम की मात्रा है.

किसी के दांत पीले तो किसी की कमर टेढ़ी

नागेश बताते हैं कि उनके तीन बच्चे हैं, तीनो के दांत पीले हैं. पूरे गांव में 200 से ज्यादा बच्चे व युवा दांत पीले होने के शिकार हो चुके हैं. वहीं मंचू यादव (58 वर्ष), इशो नेताम (39 वर्ष), टीकम नागेश (55 वर्ष), दयाराम पटेल (52 वर्ष), दया नेताम (53 वर्ष), वैदेही बाई (52 वर्ष), उनके पति उगरे (60 वर्ष), बालमत (62 वर्ष), पद्मनी (35 वर्ष) समेत गांव में 100 से ज्यादा वयस्क ऐसे हैं, जिन्हें हड्डी संबंधी समस्या का सामना करना पड़ रहा है.

सफेद हाथी साबित हो रहे वाटर ट्रीटमेंट प्लांट

वाटर सोर्स की जांच रिपोर्ट के बाद पूर्ववर्ती सरकार ने 14.50 लाख प्रति प्लांट की दर से 40 प्लांट की मंजूरी दी. जून 2021 में आशीष बागड़ी नाम के फर्म से अनुबंध कर कार्यादेश भी जारी किया. प्लांट तो लग गया, लेकिन मेंटेनेंस की ओर किसी का ध्यान नहीं गया, लिहाजा 2022 में काम पूरा होते-होते ज्यादातर प्लांट बंद होते गए. नए अफसर आए तो मेंटेंनेंस की मंजूरी के लिए फाइल आगे बढ़ा दी, लेकिन अब तक इसकी मंजूरी नहीं मिली है. करोड़ों के वाटर ट्रीटमेंट प्लांट अब सफेद हाथी साबित हो रहे हैं. नांगलदेही के अलावा कई स्कूलों में भाभा एटॉमिक रिसर्च सेंटर, मुंबई से भी आरओ वाटर प्लांट लगाए गए हैं, जिसकी भी सुध लेने वाला कोई नहीं है.

क्या कहते हैं जिम्मेदार अधिकारी

नांगलदेही में किसी भी ग्रामीण ने इलाज के लिए संपर्क नहीं किया है. अगर ऐसा है तो जांच कराते हैं. पीड़ित मिले तो आवश्यक उपचार कराया जाएगा.
डॉ. सुनील रेड्डी, बीएमओ

मेंटेनेंस के लिए अनुबंध की फाइल विधिवत आगे बढ़ाई गई है. मंजूरी मिलते ही सभी प्लांट को दुरुस्त किया जाएगा. कहीं बंद है तो उसकी जांच कराई जाएगी.
सुरेश वर्मा, एसडीओ-पीएचई