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देश के रक्षा मंत्रालय में देशीय वस्तुओं का उपयोग बड़ा

  पिछले तीन वर्षों में रक्षा मंत्रालय में उपयोग होने वाली 12 हजार ,300 से अधिक वस्तुओं का निर्माण देश में ही हुआ; डीपीएसयू ने घरेलू विक्रेता...

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पिछले तीन वर्षों में रक्षा मंत्रालय में उपयोग होने वाली 12 हजार ,300 से अधिक वस्तुओं का निर्माण देश में ही हुआ; डीपीएसयू ने घरेलू विक्रेताओं को 7,572 करोड़ रुपये का काम दिया 

 नई दिल्ली .
 असल बात न्यूज़. 

देश में रक्षा क्षेत्र को आयात से मुक्त करने की कोशिश की जा रही है. यहां पूरा सिस्टम आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देने में लगा हुआ है. हमें यह जानकर प्रसन्नता हो सकती है कि देश में अब तक रक्षा मंत्रालय की जरूरत से जुड़ी लगभग 2 हजार 972 वस्तुओं का भारत में निर्माण होने लगा है और उन्हीं चीजों से रक्षा  जरूरतों की आपूर्ति की जा रही है.. जिस देश को लगभग 3 हजार 400 करोड रुपए की बचत हो रही है. रक्षा मंत्रालय के द्वारा अभी 346 नई वस्तुओं कोई चेंज किया गया है जिनका देश में ही निर्माण होगा और वही रक्षा मंत्रालय में उपयोग किया जाएगा.रक्षा मंत्रालय देशी उद्योगों को रक्षा मंत्रालय की जरूरत की वस्तुओं के निर्माण के लिए प्रोत्साहित कर रहा है.

रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देने और रक्षा क्षेत्र के सार्वजनिक उपक्रमों (डीपीएसयू) द्वारा आयात को कम करने के लिएरक्षा मंत्रालय के रक्षा उत्पादन विभाग (डीडीपी) ने देश में ही निर्मित 346 वस्तुओं की पांचवीं सकारात्मक स्वदेशीकरण सूची (पीआईएल) अधिसूचित की है। इनमें रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण लाइन रिप्लेसमेंट यूनिट/सिस्टम/सब-सिस्टम/असेंबली/सब-असेंबली/स्पेयर और कंपोनेंट तथा कच्चा Just शामिल हैजिसका आयात मूल्य 1,048 करोड़ रुपये है। सृजन पोर्टल ( https://srijandefence.gov.in ) पर उपलब्ध सूची में दर्शाई गई समयसीमा के पश्चात भारतीय उद्योग जगत से ही इन वस्तुओं की खरीद की जाएगी। ये वस्तुएं संलग्न सूची में उपलब्ध हैं।

(डीपीएसयू के लिए 5वीं सकारात्मक स्वदेशीकरण सूची - डीडीपी)

रक्षा मंत्रालय ने 2020 में सृजन पोर्टल लॉन्च किया था। इस पोर्टल पररक्षा क्षेत्र के सार्वजनिक उपक्रम (डीपीएसयू) और सेवा मुख्यालय (एसएचक्यू) सूक्ष्मलघु और मध्यम उद्यम (एमएसएमई) तथा स्टार्ट-अप उद्योगों को स्वदेशीकरण के लिए रक्षा वस्तुओं के निर्माण का प्रस्ताव करते हैं। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के 'आत्मनिर्भर भारतसंकल्प के लिए विस्तृत पैमाने पर किए गए प्रयासों से रक्षा वस्तुओं के देश में ही निर्माण होने के उल्लेखनीय परिणाम सामने आए हैं। रक्षा मंत्री श्री राजनाथ सिंहरक्षा उत्पादन में आत्मनिर्भरता के दृष्टिकोण को साकार करने के प्रयासों को आगे बढ़ा रहे हैं।

रक्षा क्षेत्र के सार्वजनिक उपक्रम (डीपीएसयू) की पांचवीं जनहित याचिका में उल्लिखित वस्तुओं का देश में ही निर्माण विभिन्न तरीकों से करेंगेजिसमें 'मेकप्रक्रिया या एमएसएमई सहित अन्य उद्योगों को शामिल करते हुए इनका स्वदेश में ही विकास करना शामिल है। इससे अर्थव्यवस्था में वृद्धि को गति मिलेगीरक्षा क्षेत्र में निवेश बढ़ेगा और आयात पर निर्भरता कम होगी। इससे अकादमिक और शोध संस्थानों की भागीदारी के कारण घरेलू रक्षा उद्योग की डिजाइन क्षमताओं में वृद्धि होगी।

हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल)भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (बीईएल)भारत डायनेमिक्स लिमिटेड (बीडीएल)बीईएमएल लिमिटेडइंडिया ऑप्टेल लिमिटेड (आईओएल)मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स लिमिटेड (एमडीएल)गोवा शिपयार्ड लिमिटेड (जीएसएल)गार्डन रीच शिपबिल्डर्स एंड इंजीनियर्स लिमिटेड (जीआरएसई) और हिंदुस्तान शिपयार्ड लिमिटेड (एचएसएल) पांचवीं जनहित याचिका के रक्षा मदों से जुड़े रक्षा क्षेत्र के सार्वजनिक उपक्रम हैं। इन कंपनियों ने अपनी-अपनी वेबसाइट पर रुचि की अभिव्यक्ति और प्रस्ताव के लिए अनुरोध जारी करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है, इस उद्देश्य के लिए डिज़ाइन किए गए 'सृजन पोर्टल डैशबोर्ड ( srijandefence.gov.in/DashboardForPublic ) पर एक लिंक दिया गया हैऔर उद्योग/एमएसएमई/स्टार्ट-अप बड़ी संख्या में भाग लेने के लिए आगे आ सकते हैं।

इससे पहलेरक्षा उत्पादन विभाग (डीडीपी) द्वारा डीपीएसयू के लिए 4,666 वस्तुओं से संबंधित चार जनहित याचिकाएँ अधिसूचित की गई थींजिनमें 2,972 का आयात प्रतिस्थापन मूल्य 3,400 करोड़ रुपये है। इनका पहले ही स्वदेशीकरण किया जा चुका है। डीपीएसयू के लिए ये पांच सूचियां सैन्य मामलों के विभाग (डीएमए) द्वारा अधिसूचित 509 वस्तुओं की पांच सकारात्मक स्वदेशीकरण सूचियों के अतिरिक्त हैं। इन सूचियों में अत्यधिक जटिल प्रणालियांसेंसरहथियार और गोला-बारूद शामिल हैं।

जून 2024 तकडीपीएसयू और एसएचक्यू द्वारा स्वदेश में ही निर्माण के लिए उद्योग को 36,000 से अधिक रक्षा वस्तुओं की पेशकश की गई थी। उनमें सेपिछले तीन वर्षों में 12,300 से अधिक वस्तुओं का स्वदेशीकरण किया गया है। परिणामस्वरूपडीपीएसयू ने घरेलू विक्रेताओं को 7,572 करोड़ रुपये के ऑर्डर दिए हैं।