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स्वरूपानंद महाविद्यालय में विद्यार्थियों ने जाना नया भारतीय न्यायिक अधिनियम 2023

  भिलाई. असल बात न्यूज़.     स्वामी श्री स्वरूपानंद सरस्वती महाविद्यालय भिलाई में राष्ट्रीय सेवा योजना द्वारा नये न्यायिक अधिनियम 2023 के तहत...

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भिलाई.

असल बात न्यूज़.    

स्वामी श्री स्वरूपानंद सरस्वती महाविद्यालय भिलाई में राष्ट्रीय सेवा योजना द्वारा नये न्यायिक अधिनियम 2023 के तहत भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा, भारतीय साक्ष्य अधिनियम 2023 के प्रावधान से प्राध्यापको एवं विद्यार्थियों को अवगत कराने के उद्देश्य से अतिथि व्याख्यान का आयोजन किया गया जिसमें वक्ता के रूप में डॉ. नागेन्द्र शर्मा वरिष्ठ अधिवक्ता, दुर्ग जिला न्यायालय उपस्थित हुए।

कार्यक्रम के उद्देश्यों पर प्रकाश डालते हुये स.प्रा. संयुक्ता पाढ़ी राष्ट्रीय सेवा योजना प्रभारी ने बताया नये न्यायिक अधिनियम में परिवर्तन आया है जो सबके लिये त्वरित न्याय की उपलब्धता पर आधारित है जो दण्ड देने पर नहीं अपितु न्याय देने पर विश्वास करता है।

प्राचार्य डॉ. हंसा शुक्ला ने कार्यक्रम आयोजन के लिए बधाई देते हुए कहा न्यायिक अधिनियम एक जुलाई 2024 से लागू हो रहा है उन्होंने आशा व्यक्त की अब त्वरित न्याय मिलेगा पहले हमारे अपराधिक कानून में न्याय मिलने में देर होती थी इससे लोग अदालत जाने से ही डरते थे।

महाविद्यालय के मुख्य कार्यकारी अधिकारी डॉ. दीपक शर्मा, श्री शंकराचार्य नर्सिंग महाविद्यालय की मुख्य कार्यकारी अधिकारी डॉ. मोनिषा शर्मा ने कार्यक्रम आयोजन के लिए बधाई दी।

अपने व्याख्यान में डॉ. नागेन्द्र शर्मा ने बताया भारतीय न्याय संहिता 2023 में 358  धाराएँ है आईपीजी में 511 धारायें थी संहिता में कुल 20 नये अपराध जोड़े गये है तथा 33 अपराधों के लिए कारावास की सजा बढ़ाई गई है। 83  अपराधों में जुर्माने की राशि बढ़ा दी गई है। 23 अपराधों में न्यूनतम सजा की शुरूआत हुई है। पुलिस विवेचना में अब तकनीक का उपयोग अधिक से अधिक होगा। इसके लिए डिजिटल साक्ष्यों को भी मान्यता दी गई है। ई- एफआईआर व जीरो एफआईआर की भी व्यवस्था की गई है। नये न्याय प्रणाली में तकनीक का अधिक से उपयोग करना को महत्व दिया गया है जिससे शिकायतकर्ता का उत्पीड़न न हो और न ही किसी निर्दोष व्यक्ति को दण्ड मिले। अपराध की जांच के लिये फॉरेंसिक साक्ष्यों का उपयोग अधिक से अधिक हो। नये कानून में वीडियो कॉन्फ्रेसिंग से गवाही कराने के भी व्यापक प्रबंध किये गये है। एनआईसी में नये ई-साक्ष्य एप बनाया गया है जिसमें घटना स्थल की वीडियोग्राफी की जा सकेगी तथा उसे डिजीटल लॉकर में सुरक्षित किया जायेगा जिससे कोर्ट में साक्ष्य प्रस्तुत करने में किसी प्रकार की तकनीकी बाधा नहीं होगी। डॉ. शर्मा ने बताया नये कानून में महिलाओं व बच्चों के खिलाफ अपराधिक मामलों में जांच को प्राथमिकता दी गई है व दुष्कर्म व पाक्सो एक्ट के मामलों में दो माह के भीतर जांच पूरी करने की व्यवस्था की गई है। डॉ. शर्मा ने महिला के प्रति हिंसा, शादी के नाम से की जाने वाली यौन शोषण, गैंग रेप, नाबालिकों के साथ यौन हिंसा व नाबालिक अपराधों से संबंधित कानूनों की जानकारी दी साथ ही बताया अप्रचलित उर्दू शब्दों के स्थान पर हिंदी में प्रचलित शब्दों का प्रयोग किया गया है जिससे सामान्य व्यक्ति भी कानून की भाषा समझ सकें।

डॉ. सुनीता चन्द्राकर स.प्रा. शिक्षा विभाग द्वारा प्रश्न पूछे जाने पर क्या अपराधी द्वारा अपराध स्वीकार कर लेने पर 30 दिन की सजा कम हो जायेगी का जवाब देते हुये डॉ. शर्मा ने बताया अपराध स्वीकार करने पर उसे तुरंत सजा मिलेगी पर वह उच्च न्यायालय में पुनः अपील नहीं कर पायेगें 

डॉ. शमा ए. बेग के पूछे जाने पर क्या फॉरेंसिक रिपोर्ट में फेरबदल नहीं होगा जैसे पूना में ब्लड सैंपल की चेंज कर दिया गया था। का जवाब देते कहा पूरे जांच की विडियोंग्राफी होगी। बीएड विद्यार्थी कुलदीप ने पूछा 10 वीं के बाद बच्चे 11 वीं में एडमिशन नहीं लेते है व ग्रुप बनाकर घूमते है व अपराधिक घटनाओं को अंजाम देते है उनके लिये नये न्यायिक संहिता में क्या प्रावधान किया गया है तो उन्होंने कहा विद्यार्थियों को सुधारने की पहली जिम्मेदारी माता-पिता की है आपके बाद बाल सुधार गृह में रखा जाता है। आनंद चौरसिया शिक्षा विभाग के विद्यार्थी द्वारा पूछे जाने पर वाहन चालक दुर्घटना करके भाग जाते है उस पर क्या कार्यवाही होनी चाहिये का जवाब देते हुये कहा सबके पास मोबाइल है गाड़ी नंबर का फोटो खींचकर रखें उस आधार पर कार्यवाही होगी।  

डॉ. सुनीता वर्मा विभागाध्यक्ष हिंदी के पूछे जाने पर न्याय में देरी न्याय न मिलने के बराबर है। न्याय प्रक्रिया इतनी लंबी है कि कई बार गवाह की मृत्यु हो जाती है या गवाह घटना को भूलने लगते है इससे अपराधी छूट जाते है। उन्होंने कहा नये कानून में तवरित न्याय पर बल देते हुये समय सीमा निर्धारित की गई है। 

डॉ. पूनम शुक्ला स.प्रा. शिक्षा विभाग द्वारा वर्तमान समय में आने वाले अपराधिक काल जैसे आपके बच्चे का दुर्घटना हो गया है, ड्रग बेचते हुए पकड़ा गया है, अपराधिक कृत्य किया है का जवाब देते हुए कहा सावधानी बरते व पहले बच्चों से बात करें और साइबर क्राइम शाखा में शिकायत करे।

अंत में उन्होंने कहा कानून अंधा होता है। वह साक्ष्य के आधार पर ही निर्णय देता है अतः उन्होंने साक्ष्य रखने पर बल दिया।

कार्यक्रम में मंच संचालन व धन्यवाद स.प्रा. संयुक्ता पाढ़ी, विभागाध्यक्ष अंग्रेजी ने दिया। कार्यक्रम में महविद्यालय के समस्त प्राध्यापक व विद्यार्थी शामिल हुये।