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जंगली जानवरों के हमलों में मृत्यु या स्थायी रूप से विकलांगता के मामले में अनुग्रह सहायता की राशि बढ़ा दी गई है

  नई दिल्ली. असल बात न्यूज़.   पिछले 5 वर्षों के दौरान  वर्ष 2021-22 के दौरान हाथियों, बाघों   और   तेंदुओं   सहित   जंगली   जानवरों   के   ह...

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नई दिल्ली.
असल बात न्यूज़.  

पिछले 5 वर्षों के दौरान  वर्ष 2021-22 के दौरान हाथियों,बाघों और तेंदुओं सहित जंगली जानवरों के हमले में 35 लोगों की जान चली गई. यहां यह आंकड़ा सिर्फ केरल जिले का है. इधर केंद्र सरकार के द्वारा जंगली जानवरों के हमलों में      मृत्यु या स्थायी रूप से विकलांगता के मामले में अनुग्रह   सहायता की राशि बढ़ा दी गई है।                                

मंत्रालय में उपलब्ध रिपोर्टों के अनुसारविभिन्न राज्यों में पिछले पांच वर्षों के दौरान हाथियों और बाघों के हमले के कारण मानवीय मृत्यु का विवरण अनुबंध- I और अनुबंध II में दिया गया है। केरल राज्य के संबंध में उपरोक्त जानकारी अलग से दी गई हैजैसा कि नीचे दिया गया है।

जैसा कि केरल राज्य सरकार द्वारा सूचित किया गया हैकि पिछले पांच वर्षों में हाथियोंबाघों और तेंदुओं सहित जंगली जानवरों के    हमले के कारण मानव मौतों की संख्या इस प्रकार है:

वर्ष

हाथियों के हमले में हुई मौत की संख्या

बाघों के हमले में हुई मौत की संख्या

तेंदुओं के हमले में हुई मौत की संख्या

अन्य जंगली जानवरों के हमले में हुई मौत की संख्या

कुल मौत की संख्या

2019-20

13

2

शून्य

77

92

2020-21

27

1

शून्य

60

88

2021-22

35

1

शून्य

78

114

2022-23

27

1

शून्य

70

98

2023-24

12

1

शून्य

71

94



मंत्रालय ने दिसंबर 2023 के दौरान जंगली जानवरों के हमलों के कारण मृत्यु या स्थायी रूप से विकलांगता के मामले में अनुग्रह सहायता की राशि बढ़ा दी है। वर्तमान में केंद्र प्रायोजित योजनाओं - 'वन्यजीव आवासों का विकासयोजना के अंतर्गत देय अनुग्रह राहत की राशि, 'बाघ और हाथी परियोजनाइस प्रकार है:

क्रम संख्या

जंगली जानवरों से होने वाली क्षति का स्वरूप

अनुग्रह राहत की राशि

i.

मृत्यु या स्थायी अक्षमता

10.00 लाख रुपये

ii.

गंभीर रूप से घायल

2.00 लाख रुपये

iii.

मामूली रूप से घायल

उपचार की लागत प्रति व्यक्ति 25,000/- रूपये तक

iv.

संपत्ति/फसल की हानि

राज्य/केंद्र शासित प्रदेश सरकार उनके द्वारा निर्धारित लागत मानदंडों का पालन कर सकती है।

 

वन्यजीवों की सुरक्षा और प्रबंधन मुख्य रूप से राज्य सरकारों/केंद्रशासित प्रदेश प्रशासनों का दायित्व है। मंत्रालय केंद्र प्रायोजित योजनाओं - 'वन्यजीव आवासों का विकास', 'बाघ और हाथी परियोजनाके अंतर्गत वन्यजीवों और उनके आवासों के संरक्षण के लिए राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों को वित्तीय सहायता प्रदान करता है। इसमें जंगली जानवरों के कारण होने वाली जान-माल की हानि के लिए अनुग्रह राशि का भुगतान शामिल है।