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3 नए कानूनों के लागू होने पर जिला कबीरधाम के सभी थाना में मनाया गया उत्सव

दुर्ग 1 जुलाई 2024 को भारतीय न्याय प्रणाली में एक नए युग की शुरुआत हुई जब तीन नए आपराधिक कानून—भारतीय न्याय संहिता (BNS), भारतीय नागरिक सुरक...

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दुर्ग


1 जुलाई 2024 को भारतीय न्याय प्रणाली में एक नए युग की शुरुआत हुई जब तीन नए आपराधिक कानून—भारतीय न्याय संहिता (BNS), भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (BNSS), और भारतीय साक्ष्य अधिनियम (BSA)—देशभर में लागू हो गए। 

इस ऐतिहासिक दिन को उत्सव के रूप में मनाने के लिए छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित जिला कबीरधाम के समस्त थानों में विशेष कार्यक्रमों का आयोजन किया गया।

जिला कबीरधाम के थानों में आयोजित इन कार्यक्रमों में मुख्य अतिथि के रूप में क्षेत्र के जनप्रतिनिधियों ने भाग लिया। उन्होंने इन नए कानूनों की शुरुआत पर अपने विचार व्यक्त किए और इस महत्वपूर्ण बदलाव को न्याय प्रणाली के लिए एक बड़ा कदम बताया। कार्यक्रम के दौरान पुलिस अधिकारियों, कानूनी विशेषज्ञों, और स्थानीय नागरिकों ने नए कानूनों की विशेषताओं और उनके संभावित प्रभावों पर चर्चा की।


तीन नए आपराधिक कानून

1. भारतीय न्याय संहिता (BNS): यह कानून, पुराने भारतीय दंड संहिता (IPC) की जगह लेता है और न्यायिक प्रक्रियाओं को अधिक प्रभावी और पारदर्शी बनाने का लक्ष्य रखता है। इसमें अपराधों की परिभाषाएं और दंड की श्रेणियों को संशोधित किया गया है, ताकि न्याय प्रणाली को आधुनिक और सटीक बनाया जा सके।


2. भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (BNSS): इस कानून का उद्देश्य नागरिकों की सुरक्षा को मजबूत करना और न्याय प्रक्रिया में तेजी लाना है। यह कानून पुराने दंड प्रक्रिया संहिता (CRPC) की जगह लेता है और इसमें नागरिक अधिकारों की सुरक्षा के लिए नए प्रावधान जोड़े गए हैं।


3. भारतीय साक्ष्य अधिनियम (BSA): यह कानून पुराने भारतीय साक्ष्य अधिनियम को प्रतिस्थापित करता है और साक्ष्य प्रस्तुत करने की प्रक्रियाओं को सरल और प्रभावी बनाता है। इसमें डिजिटल साक्ष्य और आधुनिक तकनीकों को मान्यता दी गई है, जिससे न्यायालयों में मामलों का निपटारा तेजी से हो सके।


इस ऐतिहासिक दिन को उत्सव के रूप में मनाने से यह स्पष्ट होता है कि भारतीय समाज इन नए कानूनों को सकारात्मक बदलाव के रूप में देखता है। नए कानूनों का उद्देश्य केवल न्यायिक प्रक्रियाओं को सुधारना ही नहीं, बल्कि समाज में न्याय, सुरक्षा और पारदर्शिता को बढ़ावा देना भी है। यह दिन भारतीय न्याय प्रणाली में एक नई शुरुआत का प्रतीक है, जो भविष्य में हमारे समाज को अधिक न्यायपूर्ण और समतामूलक बनाने में सहायक होगा।