Page Nav

HIDE

Grid

GRID_STYLE

Pages

Classic Header

{fbt_classic_header}

Top Ad

ब्रेकिंग :

latest

Breaking News

Automatic Slideshow


जिला चिकित्सालय में सर्पदंश मरीजों का हो रहा बेहतर उपचार, चिकित्सकों की टीम द्वारा बेहतर उपचार और सजगता से दो सर्पदशं मरीजों की बचाई जान, मरीज पूरी तरह से स्वस्थ्य, जिले में सर्पदंश से बचाव और सावधानी के लिए चलाया जा रहा जागरूकता अभियान

 कवर्धा कवर्धा,  कबीरधाम जिला के जिला चिकिसालय में सर्पदंश मरीजों का बेहतर और सफल ईलाज किया जा रहा है। विगत दिनों बोड़ला विकासखण्ड के ग्राम प...

Also Read

 कवर्धा


कवर्धा,  कबीरधाम जिला के जिला चिकिसालय में सर्पदंश मरीजों का बेहतर और सफल ईलाज किया जा रहा है। विगत दिनों बोड़ला विकासखण्ड के ग्राम पालक की महिला और पंडरिया विकासखण्ड के अंतिम छोर के ग्राम मालकछारा निवासी के एक छात्र को सर्पदंश करने के बाद जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया। अस्पताल में भर्ती कराने के समय स्थिति नाजुक बनी हुई थी। कलेक्टर श्री जनमेजय महोबे के निर्देश और मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. बीएल राज के मार्गदर्शन में जिला अस्पताल के डॉक्टरों की टीम द्वारा बेहतर उपचार किया गया और उन्हें खतरे से बाहर लाया गया। चिकित्सकों की सजगता से दोनां मरीज पूर्ण रूप से स्वस्थ्य है और उन्हें अस्पताल से डिस्चार्ज कर दिया गया है।  जिले में सर्पदंश से बचाव और सावधानी के लिए लगातार जागरूकता अभियान भी चलाया जा रहा है।

कबीरधाम जिले में चार विकासखण्ड है। जिसमें बोडला पूर्णतः वनांचल और पंडरिया के भी अधिकांश हिस्सा में वनवासियों का ही बाहूलता है। वही सहसपुर लोहारा के भी कुछ हिस्सा जंगल पहाड़ो के क्षेत्र में बसा है। जिले में बरसात लगते ही सर्पदंश के मरीज आने लगते है। मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. राज ने बताया कि सर्पदंश को लेकर स्वास्थ्य विभाग लोगों को सर्पदंश और उसके बचाव के लिए लगातार जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है। वनांचल क्षेत्र होने के कारण कुछ लोग आज भी गुनिया, बैगा का सहारा लेकर झाड़ फूंक करते है, जिससे लोगो की मृत्यु हो जाती है। इसका मुख्य कारण जागरुकता की कमी है। जब कोई साँप किसी को काट देता है तो इसे सर्पदंश या ’साँप का काटना’  कहते हैं। साँप के काटने से घाव हो सकता है और कभी-कभी विषाक्तता भी हो जाती है, जिससे मृत्यु तक सम्भव है। अधिकांश सर्प विषहीन होते हैं और कुछ जहरीले साँप भी पाएं जाते हैं। साँप प्रायः अपने शिकार को मारने के लिए काटते हैं, लेकिन इसका उपयोग आत्मरक्षा के लिए भी करते हैं। सिविल सर्जन डॉ. केशव ध्रुव और एमडी मेडिसीन डॉ. गोपेश ने जिले के नागरिकों से अपील करते हुए कहा है कि सर्प दंश से झाड़ फूंक में मरीजों का समय की बर्बादी न करे, तुरंत अस्पताल लाएं जिससे मरीज की जान बचाई जा सके।  


जिला चिकित्सालय में हो रहा है बेहतर इलाज



बोडला विकासखण्ड के पालक गांव से सर्पदंश के महिला मरीज ने बताया कि रात के समय अपने घर के आंगन में सोई हुई थी। तभी एक जहरीली करैत सांप ने पेट के ऊपरी हिस्सा को काट दिया जिसके बाद परिजनो ने उसे झाड़ फूंक कराते रहे और शरीर में जहर फैल रहा था। लेकिन पीड़िता ने अपने परिजनों की बात को एक सिरे से नकारते हुए जिला अस्पताल आई और पांच दिन तक वेंटीलेटर में रहकर उसके बाद 16 तारिख को ऑक्सीजन निकाली गई। अब मैं पूर्ण रूप से स्वास्थ्य होकर डॉक्टरों द्वारा डिस्चार्ज किया गया।

पंडरिया विकासखण्ड के अंतिम छोर ग्राम मालकछारा निवासी और हाई स्कूल सराईसेत में कक्षा नवमी के एक छात्र भी सर्पदंश के शिकार हो गया। छात्र ने बताया कि वह रात को भोजन के बाद प्रतिदिन की भाती सो गया और रात में पैर के उंगली के पास को सांप ने बिस्तर में आकर काट दिया। उनके परिजनों ने अस्पताल लाने के बजाए झाड़ फूंक कराते रहे। लेकिन लाभ नही मिलने की स्थिती में उन्हें जिला अस्पताल कवर्धा आया गया। जहा बहुत ही गंभीर स्थिति मैं 11 तारिख को वेंटिलेटर मैं रखा गया। उन्होंने बताया कि 15 तारिख को वेंटिलेटर से बाहर निकाला गया और ऑक्सीजन मैं रखा गया  जहां उसकी हालत गंभीर था लेकिन  मौजूद चिकित्सको ने उसका उपचार किया। जिला चिकित्सालय के डॉक्टरों के बेहतर उपचार से छात्र स्वस्थ हो गया। एमडी मेडिसिन डॉ. गोपेश और डॉ. ओमप्रकाश गोरे, निश्चेतना विषेगय डॉ. कवि और पूरी आपातकालीन ड्रॉक्टर और स्टाफ का विशेष योगदान रहा।


सर्पदंश के लक्षण


कुछ साँपों के काटने के स्थान पर दाँतों के निशान काफी हल्के होते हैं, पर शोथ के कारण स्थान ढंक जाता है। दंश स्थान पर तीव्र जलन, तंद्रालुता, अवसाद, मिचली, वमन, अनैच्छिक मल-मूत्र-त्याग, अंगघात, पलकों का गिरना, किसी वस्तु का एक स्थान पर दो दिखलाई देना तथा पुतलियों का विस्फारित होना प्राथमिक लक्षण हैं। अंतिम अवस्था में चेतनाहीनता तथा मांसपेशियों में ऐंठन शुरु हो जाती है और श्वसन क्रिया रुक जाने से मृत्यु हो जाती है। विष का प्रभाव तंत्रिका तंत्र और श्वासकेंद्र पर विशेष रूप से पड़ता है। कुछ साँपों के काटने पर दंशस्थान पर तीव्र पीड़ा उत्पन्न होकर चारों तरफ फैलती है। स्थानिक शोथ, दंशस्थान का काला पड़ जाना, स्थानिक रक्तस्त्राव, मिचली, वमन, दुर्बलता, हाथ पैरों में झनझनाहट, चक्कर आना, पसीना छूटना, दम घुटना आदि अन्य लक्षण हैं। विष के फैलने से थूक या मूत्र में रुधिर का आना तथा सारे शरीर में जलन और खुजलाहट हो सकती है। आंशिक दंश या दंश के पश्चात् तुरंत उपचार होने से व्यक्ति मृत्यु से बच सकता है।


सर्पदंश से बचने के उपाय


कुएँ या गड्ढे में अनजाने में हाथ न डालना, बरसात में अँधेरे में नंगे पाँव न घूमना और जूते को झाड़कर पहनना चाहिए। इसके अलावा, सांप के काटने से सुरक्षित रहने का सबसे अच्छा तरीका है कि आप अपने आस-पास के बारे में जागरूक रहें और उन जगहों से बचें जहां सांप मौजूद हो सकते हैं। यदि आप किसी ऐसे क्षेत्र में हैं जहाँ साँपों के रहने के लिए जाना जाता है, तो सुरक्षात्मक कपड़े पहनें, जैसे कि लंबी पैंट और जूते, और अच्छी तरह से चिन्हित पगडंडियों पर रहें। किसी भी सांप को संभालने या स्थानांतरित करने का प्रयास न करें और पालतू जानवरों और बच्चों को उनसे दूर रखें। यदि आप एक सांप को देखते हैं, तो धीरे-धीरे पीछे हटें और क्षेत्र छोड़ दें। यदि आपको सांप ने काट लिया है, तो शांत रहें और तत्काल चिकित्सा सहायता लें।


सर्पदंश के उपचार


सर्पदंश का प्राथमिक उपचार शीघ्र से शीध्र करना चाहिए। दंशस्थान के कुछ ऊपर और नीचे रस्सी, रबर या कपड़े से बाँध देना चाहिए लेकिन यह ध्यान रखना चाहिए कि धमनी का रुधिर प्रवाह धीरे हो जाये लेकिन रुके नहीं। काटे गये स्थान पर किसी चीज़ द्वारा कस कर बांधे जाने पर उस स्थान पर खुन का संचार रुक सकता है जिससे वहाँ के ऊतको को रक्त मिलना बन्द हो जाएगा। जिससे ऊतकों को क्षति पहुँच सकती है। किसी जहरीले साँप के काटे जाने पर संयम रखना चाहिए ताकि ह््दय गति तेज न हो। साँप के काटे जाने पर जहर सीधे खून में पहुँच कर रक्त कणिकाओ को नष्ट करना प्रारम्भ कर देते है, ह््दय गति तेज होने पर जहर तुरन्त ही रक्त के माध्यम से ह््दय में पहुँच कर उसे नुक़सान पहुँचा सकता है। काटे जाने के बाद तुरन्त बाद काटे गये स्थान को पानी से धोते रहना चाहिए। यदि घाव में साँप के दाँत रह गए हों, तो उन्हें चिमटी से पकड़कर निकाल लेना चाहिए। प्रथम उपचार के बाद व्यक्ति को शीघ्र निकटतम अस्पताल या चिकित्सक के पास ले जाना चाहिए। वहाँ प्रतिदंश विष की सूई देनी चाहिए। दंशस्थान को पूरा विश्राम देना चाहिए। किसी दशा में भी गरम सेंक नहीं करना चाहिए। बर्फ का उपयोग कर सकते हैं। ठंडे पदार्थो का सेवन किया जा सकता है। घबराहट दूर करने के लिए रोगी को अवसादक औषधियाँ दी जा सकती हैं। श्वासावरोध में कृत्रिम श्वसन का सहारा लिया जा सकता है। चाय, काफी तथा दूध का सेवन कराया जा सकता है, पर भूलकर भी मद्य का सेवन नहीं कराना। अतः साँप के काटे जाने पर बिना घबराये तुरन्त ही नजदीकी प्रतिविष केन्द्र में जाना चाहिये। हम इससे बच सकते हैं। सर्पदंश की स्थिति में अपने आसपास के अस्पताल जाएं, तुरंत संजीवनी एक्सप्रेस 108 ,112 को फोन करे।