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मनुष्य वह है जो व्यक्तिगत जीवन और काम के साथ, दूसरों के लिए भी जीता है -विधि एवं न्याय राज्य मंत्री स्वतंत्र प्रभार अर्जुन राम मेघवाल

   श्री मेघवाल ने बल दिया कि शरीर, मन, बुद्धि और आत्मा को पोषण की आवश्यकता होती है और उन्हें समझना सफलता की कुंजी है डॉ. नंदितेश निलय ने एक ...

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 श्री मेघवाल ने बल दिया कि शरीर, मन, बुद्धि और आत्मा को पोषण की आवश्यकता होती है और उन्हें समझना सफलता की कुंजी है

डॉ. नंदितेश निलय ने एक प्रेरक व्याख्यान देते हुए सभी को आत्मनिरीक्षण करने और अपनी अंदर की आवाज सुनने तथा किसी भी स्थिति का निष्पक्ष विश्लेषण करने का आह्वान किया 

नई दिल्ली. 
असल बात news.  
विधि एवं न्याय मंत्रालय के विधि विषयक मामलों के विभाग ने  राष्ट्रीय मीडिया केन्‍द्र में अपने वरिष्ठ अधिकारियों और कर्मचारियों के लिए 'हैप्‍पीनैस – अ स्‍टेट ऑफ ह्यूमन वैल्‍यूज' विषय पर आज एक प्रेरक व्याख्यान का आयोजन किया। यह प्रेरक व्याख्यान लेखक, मानवीय मूल्यों के समर्थक और नेतृत्व एवं जीवन कौशल प्रशिक्षक डॉ. नंदितेश निलय ने दिया। इस अवसर पर विधि एवं न्याय राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्री अर्जुन राम मेघवाल भी उपस्थित थे।

इस अवसर पर कार्यक्रम के आयोजन की पहल करने के लिए मंत्रालय के अधिकारियों की सराहना करते हुए श्री मेघवाल ने कहा कि जीवन के सार को समझने के लिए इस तरह के कार्यक्रम आवश्यक हैं। उन्होंने कहा कि जो भी कार्य सौंपा जाए, उसे कुशलतापूर्वक करने का अभ्यास बहुत महत्वपूर्ण है। आत्मनिरीक्षण के महत्व पर जोर देते हुए उन्होंने जोर देकर कहा कि शरीर, मन, बुद्धि और आत्मा को पोषण की आवश्यकता होती है और सफलता के लिए इन्हें समझना बहुत आवश्यक है। शरीर के लिए व्यायाम, मन के लिए मैत्री, बुद्धि के लिए ज्ञान, आत्मा के लिए अध्यात्म स्वस्थ और सुखी जीवन की आवश्यक शर्तें हैं। उन्होंने जोर देकर कहा कि मन और आत्मा का पवित्रीकरण उतना ही महत्‍वपूर्ण है जितना एक शरीर को स्‍वस्‍थ बनाए रखना। मंत्री ने कहा कि बड़ों का आशीर्वाद लेने से आत्मा को पोषण मिलता है तथा ज्ञान और शिक्षा प्राप्त करने से बुद्धि को पोषण मिलता है। 

अपने व्याख्यान में, डॉ. नंदितेश निलय ने अपने जीवन के अनुभवों को बताते हुए श्रोताओं से कहा कि वे आत्मनिरीक्षण करें कि कैसे हम अपने दैनिक जीवन में खुश रह सकते हैं। उन्होंने सभी से प्रकृति में खुशी खोजने का आग्रह किया।  उन्होंने जोर देकर कहा कि जब निष्पक्षता और धार्मिकता के बीच का अंतर कम हो जाएगा, धार्मिकता विनम्रता का अभ्यास करने में है, कृतज्ञता के मूल्यों को विकसित करने में है, तब समाज रहने के लिए एक अद्भुत स्थान होगा।

आरंभ में विधि कार्य विभाग के सचिव डॉ. राजीव मणि ने वक्ता का परिचय कराया तथा इस व्याख्यान के आयोजन के उद्देश्य को रेखांकित किया।

इस अवसर पर विधि कार्य विभाग, विधि एवं न्याय मंत्रालय, पत्र सूचना कार्यालय तथा मीडिया बिरादरी के वरिष्ठ अधिकारी एवं कर्मचारी उपस्थित थे। यह उल्लेख करना उचित है कि तनाव मुक्त कार्य वातावरण सुनिश्चित करने के अपने समग्र उद्देश्य के तहत, जो न केवल सभी हितधारकों को प्रेरित करता है, बल्कि आउटपुट की गुणवत्ता और मात्रा को भी बढ़ाता है, विधि कार्य विभाग समय-समय पर इसी तरह के आयोजन करता रहा है।