Page Nav

HIDE

Grid

GRID_STYLE

Pages

Classic Header

{fbt_classic_header}

Top Ad

ब्रेकिंग :

latest

Breaking News

Automatic Slideshow


कांग्रेस ने भाजपा की तिरंगा यात्रा राजनीतिक प्रोपोगंडा करार दिया, इस पर भाजपा ने कांग्रेस को इस तरह की टिप्पणी से परहेज बरतने को कहा

  रायपुर।   देश-प्रदेश की सियासत का स्तर कहां तक पहुंच गया है इस बात का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि तिरंगा यात्रा जैसी कवायद पर आरो...

Also Read

 रायपुर। देश-प्रदेश की सियासत का स्तर कहां तक पहुंच गया है इस बात का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि तिरंगा यात्रा जैसी कवायद पर आरोप-प्रत्यारोप लगाए जा रहे हैं. कांग्रेस ने भाजपा की तिरंगा यात्रा राजनीतिक प्रोपोगंडा करार दिया है. इस पर भाजपा ने कांग्रेस को इस तरह की टिप्पणी से परहेज बरतने को कहा है. 

कांग्रेस के संचार प्रमुख सुशील आनंद शुक्ला ने भाजपा के तिरंगा यात्रा को लेकर कहा कि बीजेपी ने तीन रंगों को देश के लिए घातक बताया था. राजनीतिक प्रोपग्रंडा के लिए बीजेपी तिरंगा यात्रा निकाल जनता को भ्रमित करने की कोशिश कर रही है. इस आरोप पर भाजपा प्रदेश अध्यक्ष किरण देव ने कहा कि देशवासियों में राष्ट्र प्रेम की भावना आ रही है. अगर हर घर में तिरंगा लगे तो क्या खराबी है.


उन्होंने कहा कि हमारे देश का झंडा है. उसको लेकर बीजेपी कार्यक्रम करें, तो इस पर किसी भी कीमत पर राजनीति नहीं होनी चाहिए. राजनीति करने के बहुत सारे विषय हैं. देश के सम्मान से जुड़ा है. बहुत अच्छा संदेश है. इस पर राजनीति या टिप्पणी नहीं करना चाहिए, लेकिन कांग्रेस इस पर भी टिप्पणी कर रही है.

सुशील आनंद शुक्ला ने तिरंगा यात्रा के अलावा स्पंज उद्योग द्वारा अडानी को खत लिखने पर कहा कि कुल मिलाकर जो सर्कल था वह पूरा होने की स्थिति पर है. सरकार ने अडानी को ही फायदा पहुंचाने के लिए छत्तीसगढ़ के उद्योगों के बिजली दामों को बढ़ाया था, अब उद्योगपतियों ने मजबूरी में अडानी को पत्र लिखा है. अडानी और उद्योग के बीच MOU हो जाएगा. मामला खत्म हो जाएगा.

शुक्ला ने कहा कि लोहा उद्योग व्यापार की रीढ़ की हड्डी माने जाते हैं. पिछली सरकार ने बिजली में सब्सिडी दिया था, इस सरकार ने क्यों बढ़ाया, क्यों उनकी बात नहीं मानी जा रही है, बीच के रास्ता क्यों नहीं निकाला जा रहा है.

विधानसभा के अधिकारियों के नाराजगी को लेकर कांग्रेस संचार प्रमुख ने कहा कि विधानसभा अध्यक्ष को सिर्फ नाराज ही नहीं होना था. सरकार में बैठे लोगों को उस पर लपेटना था. विधानसभा सर्वोच्च है. जनता के प्रतिनिधि के रूप में सरकार के कामकाज को सुचारू रूप से चलने में गाइडलाइन देती है. विधानसभा में कोई सवाल का जवाब नहीं दिया जा रहा है, तो आपत्तिजनक है. विधानसभा अध्यक्ष को पत्र लिखना पड़ा है, मतलब सरकार का कार्य प्रणाली क्या है.