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देश में Communal Civil Code को क्या अब Secular Civil Code में बदलने का जल्दी रास्ता निकलता नजर आएगा ?

  "कानूनों को जो कानून धर्म के आधार पर देश को बांटते हैं ,   जो ऊंच-नीच का कारण बन जाते हैं ,   ऐसे कानूनों का आधुनिक समाज में कोई स्‍थ...

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"कानूनों को जो कानून धर्म के आधार पर देश को बांटते हैं, जो ऊंच-नीच का कारण बन जाते हैं, ऐसे कानूनों का आधुनिक समाज में कोई स्‍थान नहीं सकता है और इसलिए मैं तो कहूंगा, अब देश की मांग है, अब देश में एक Secular Civil Code हो, हमने Communal Civil Code में 75 साल बिताएं हैं। अब हमें Secular Civil Code की तरफ जाना होगा, और तब जाकर के देश में धर्म के आधार पर जो भेदभाव हो रहें, सामान्‍य नागरिकों को दूरी महसूस होती है, उसमें हमें मुक्‍ति मिलेगी।"

     0 अशोक त्रिपाठी /0 विशेष संवाददाता  

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर लाल किले की प्राचीर से  देश के लगभग सभी मुद्दों पर बातें कहीं है. उन्होंने उच्च शिक्षा के बारे में बात की है, रोजगार के अवसर के बारे में बात की है,स्पेससेंटर के बारे में बात की है, महिलाओं की आर्थिक स्थिति,और भ्रष्टाचार के बारे में बात की है. भ्रष्टाचार के मुद्दे पर गहरी चिंता व्यक्त करते हुए उन्होंने कहा है कि भ्रष्‍टाचार का जो महिमामंडन हो रहा है, भ्रष्‍टाचारियों की स्‍वीकार्यता बढ़ाने का जो निरंतर प्रयास चल रहा है, वो स्‍वस्‍थ समाज के लिए बहुत बड़ी चुनौती बन गया हैइस दौरान उन्होंने देश के संविधान के बारे में भी बात की है और कहा है कि भारत के लोकतंत्र को मजबूती देने में हमारे देश के संविधान की बहुत बड़ी भुमिका रही है। हमारे देश के दलित, पीड़ित, शोषित, वंचित को सुरक्षा देने का बहुत बड़ा काम हमारे संविधान ने किया है। उन्होंने यहां से Uniform Civil Code का भी उल्लेख किया है. इस पर उन्होंने जो कह दिया है वह आगे चलकर बड़ा बहस का मुद्दा बन सकता है.  उन्होंने कहा है कि जिस Civil Code को हम लेकर के जी रहे हैं वो Civil Code सचमुच में तो एक प्रकार का Communal Civil Code है, भेदभाव करने वाला Civil Code है। प्रधानमंत्री श्री मोदी ने लाखों की भीड़ वाले समारोह में देश की जनता को संबोधित करते हुए यूनिफॉर्म सिविल कोड का जिस तरह से उल्लेख किया है और उसकी कमियां बताइ हैं उसे लगता है कि सरकार आने वाले समय में इसमें बदलाव लाने की दिशा में बड़ा कदम उठा सकती है.

यूनिफॉर्म सिविल कोड पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए किसी ने कहा कि अलग-अलग धर्म के लोगों की अपनी विवाह करने की अलग पद्धति है और वे सब उसके अनुसार,अपनी -अपनी परंपराओं का पालन करते हुए विवाह संपन्न करते हैं. मुझे लगता है कि जब यूनिफॉर्म सिविल कोड की बात होती है तो विवाह की पद्धति के बारे में नहीं बात की जा रही है,कि किस समाज में सात फेरे लेकर विवाह करने की परंपरा है अथवा किसी समाज में आयतें पढ़कर विवाह कर लेने को मान्यता दी गई है. विवाह किस पद्धति से होता है यह शायद ही कभी बहस का विषय बना होगा. चिंता तो विवाह के बाद की परिस्थितियों पर होती है. प्रथाओं का सहारा लेकर स्त्रियों का जिस तरह से शोषण किया जाता है उस पर चिंता व्यक्त की जाती है. तलाक देने की जिस तरह की दिल दहला देने वाली प्रथा है आलोचना, उसकी होती है. स्त्री शक्ति को आज भी जानवरों की तरह रखने की जो दलीले दी जाती हैं आलोचना उसकी होती है. और आप उस स्थिति की कल्पना कीजिए जब दूसरे धर्म का व्यक्ति दूसरे धर्म की स्त्री से शादी कर लेता है, चाहे वह  शादी प्रलोभन देकर करें, बहला फुसला कर करें, अथवा दबाव बनाकर करें, उसके बाद स्त्री पर धर्म परिवर्तन के लिए दबाव बनाया जाता है. जबरदस्ती धर्म परिवर्तन करा दिया जाता है. लड़की के परिजनों की सहमति के बिना उसका धर्म परिवर्तन करना दिया जाता है. शादी करते समय आप सब धर्म को बराबर मानते हैं एक समान मानते हैं एक समान करने की डाली देते हैं. लेकिन शादी हो जाने के बाद आप यूनिफॉर्म सिविल code को नहीं मानने की दलील लेते हैं. यह दुर्भावना है. यह शोषण का एक रास्ता है. समाज में इसके बदलाव के लिए बहुत पहले से आवाज उठाई जा रही है. नारियों को शोषण से मुक्ति दिलाना है, समाज़ में बराबरी का दर्जा दिलाना है तो इस कदम को उठाया जाना अनिवार्य हो गया है.

प्रधानमंत्री श्री मोदी ने इस मुद्दे पर बोलते हुए बड़ी बात कही है. उन्होंने कहा है कि हमें Secular Civil Code की तरफ जाना होगा, और तब जाकर के देश में धर्म के आधार पर जो भेदभाव हो रहें, सामान्‍य नागरिकों को दूरी महसूस होती है, उसमें हमें मुक्‍ति मिलेगी। उन्होंने यह जो बातें कही है समझ में आप अंदर तक घुसेंगे समाज में मौजूद कमियों को महसूस करेंगे जो शोषण का रास्ता जो रास्ता बना रखा गया है उसे महसूस करेंगे, उसकी वास्तविकता को समझेंगे तब  यह शोषण की कितनी खतरनाक समस्या है इसे समझ सकेंगे. यह स्वीकार करना होगा कि जब बेटे और बेटियों को न्याय दिलाने की बात होगी तो उन्हें धर्म के आधार पर नहीं बांटा जा सकता. न्याय का कोई धर्म नहीं होना चाहिए. न्याय तो सिर्फ इंसानियत  के आधार पर ही होना चाहिए. प्रधानमंत्री श्री मोदी जी  ने कहा कि हमारे देश में Supreme Court में बार बार Uniform Civil Code को लेकर के चर्चा की है। अनेक बार आदेश दिए हैं क्‍योंकि देश का एक बहुत बड़ा वर्ग मानता है और इसमें सच्‍चाई भी है कि जिस Civil Code को हम लेकर के जी रहे हैं वो Civil Code सचमुच में तो एक प्रकार का Communal Civil Code है, भेदभाव करने वाला Civil Code है। ऐसे Civil Code जब संविधान के 75 वर्ष मना रहे हैं और संविधान की भावना भी जो हमें कहती है करने के लिए, देश की Supreme Court भी हमें कहती है करने के लिए और तब जो संविधान निर्माताओं का सपना था, उस सपने को पूरा करना हम सब का दायित्‍व है और मैं मानता हूं कि इस विषय पर देश में चर्चा हो, व्‍यापक चर्चा हो। हर कोई अपने विचारों को लेकर के आए और कानूनों को जो कानून धर्म के आधार पर देश को बांटते हैं, जो ऊंच-नीच का कारण बन जाते हैं, ऐसे कानूनों का आधुनिक समाज में कोई स्‍थान नहीं सकता है और इसलिए मैं तो कहूंगा, अब देश की मांग है, अब देश में एक Secular Civil Code हो, हमने Communal Civil Code में 75 साल बिताएं हैं। 

 प्रधानमंत्री श्री मोदी ने इस दौरान बांग्लादेश के ताजा हालात पर भी गहरी चिता जाहिर की है.उन्होंने कहा है कि बांग्‍लादेश में जो कुछ भी हुआ है, उसको लेकर पड़ोसी देश के नाते चिंता होना, मैं इसको समझ सकता हूं। मैं आशा करता हूं कि वहां पर हालात जल्‍द ही सामान्‍य होंगे। खासकर के 140 करोड़ देशवासियों की चिंता कि वहां हिंदू, वहां के अल्‍पसंख्‍यक, उस समुदाय की सुरक्षा सुनिश्‍चित हो। भारत हमेशा चाहता है कि हमारे पड़ोसी देश सुख और शांति के मार्ग पर चलें। शांति के प्रति हमारा Commitment है, हमारे संस्‍कार हैं। हम आने वाले दिनों में बांग्‍लादेश की विकास यात्रा में हमेशा हमारा शुभ चिंतन ही रहेगा क्‍योंकि हम मानव जाति की भलाई सोचने वाले लोग हैं। 

 प्रधानमंत्री श्री मोदी ने भ्रष्टाचार को  समाज के लिए सबसे बड़ी चिंता चिंता का विषय बताया  है। उन्होंने सवाल उठाते हुए कहा कि  क्‍या कोई कल्‍पना कर सकता है कि मेरे ही देश में, इतना महान संविधान हमारे पास होने के बावजूद भी कुछ ऐसे लोग निकल रहे हैं जो भ्रष्‍टाचार का महिमामंडन कर रहे हैं ? खुलेआम भ्रष्‍टाचार का जय-जयकार कर रहे हैं ? समाज में इस प्रकार के बीज बोने का जो प्रयास हो रहा है, भ्रष्‍टाचार का जो महिमामंडन हो रहा है, भ्रष्‍टाचारियों की स्‍वीकार्यता बढ़ाने का जो निरंतर प्रयास चल रहा है, वो स्‍वस्‍थ समाज के लिए बहुत बड़ी चुनौती बन गया है, बहुत बड़ी चिंता का विषय बन गया है, बहुत बड़ी चुनौती का विषय बन गया है। भ्रष्‍टाचारियों के प्रति, समाज में दूरी बना रखने से ही किसी भी भ्रष्‍टाचारी को उस रास्‍ते पर जाने से डर लगेगा। अगर उसका महिमामंडन होगा, तो जो आज भ्रष्‍टाचार नहीं करता है, उसको भी लगता है कि ये तो समाज में प्रतिष्‍ठा का रंग बन जाता है, उस रास्‍ते पर जाने में बुरा नहीं है। 


 प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लाल किले से आम जनता को संबोधित करते हुए कहा कि हमारे संविधान को 75 वर्ष हो रहे हैं। भारत के संविधान की 75 वर्ष यात्रादेश को एक बनाने देश को श्रेष्‍ठ बनाने में बहुत बड़ी भूमिका रही है। अब जब संविधान के 75 वर्ष हम मनाने जा रहे हैं तब हम देशवासियों ने संविधान में निर्दिष्‍ट कर्तव्‍य के भाव पर बल देना बहुत जरुरी है और जब मैं कर्तव्‍य की बात करता हूं तब मैं सिर्फ नागरिकों पर बोझ बनाना नहीं चाहता। कर्तव्‍य केंद्र सरकार के भी हैंकर्तव्‍य केंद्र सरकार के हर मुलाजिम के भी हैंकर्तव्‍य राज्‍य सरकारों के भी हैंराज्‍य सरकार के मुलाजिम के हैं। कर्तव्‍य हर स्‍थानीय स्‍वाराज संस्‍था के हैं चाहें पंचायत होनगरपालिका होंमहानगरपालिका होंतहसिल होजिला होहर किसी के कर्तव्‍य हैं। लेकिन साथ साथ 140 करोड़ देशवासियों के कर्तव्‍य हैं। अगर हम सब मिलकर के अपने कर्तव्‍यों का निर्वाह करेंगे तो हम अपने आप औरों के अधिकारों की रक्षा करने के लिए निमित्त बनेंगे और जब कर्तव्‍य का पालन होता हैतब अधिकारों की रक्षा निहित होती हैउसके लिए कोई अलग से प्रयास करने की जरुरत नहीं पड़ जाती है। 


 प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, देश में लगातार तीसरा प्रधानमंत्री बने हैं और लाल किले की प्राचीन से आम जनता को संबोधित करते हुए परिवारवाद और जातिवाद पर भी आक्रमण करते नजर आए हैं. उन्होंने कहा  कि वह हमेशा कहते रहे कि परिवारवादजातिवाद भारत के लोकतंत्र को बहुत नुकसान कर रहा है। आज हम जब  My Bharat की बात करते हैं जिसके अनेक मिशन हैं।हमें, देश कोराजनीति को हमें परिवारवाद और जातिवाद से मुक्ति दिलानी होगी।  एक मिशन ये भी है कि हम जल्द से जल्द देश में राजनीतिक जीवन में जनप्रतिनिधि के रूप में एक लाख ऐसे नौजवानों को आगे लाना चाहते हैं शुरूआत मेंएक लाख ऐसे नौजवानों को आगे लाना चाहते हैं जिनके परिवार में किसी का भी कोई राजनीतिक background न हो। जिसके माता-पिताभाई-बहनचाचामामा–मामी कभी भी राजनीति में नहीं रहे। किसी भी पीढ़ी में नहीं रहे ऐसे होनहार नौजवानों को fresh blood एक लाख चाहे वो पंचायत में आएचाहे नगर पालिका में आएचाहे जिला परिषदों में आएचाहे विधानसभा में आएलोकसभा में आए। एक लाख नए नौजवान कोई भी प्रकार का पूर्व का राजनीतिक इतिहास उनके परिवार का न हो ऐसे fresh लोग राजनीति में आए ताकि जातिवाद से मुक्ति मिलेपरिवारवाद से मुक्ति मिलेलोकतंत्र को समृद्धि मिले और जरूरी नहीं है कि एक दल में जाएउनको जो पसंद हो उस दल में जाए। उस दल में जाकर के वो जनप्रतिनिधि बनकर के आगे आए। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की यह बातें निश्चित रूप से देश के नौजवानों को काफी पसंद आएगी.. हो सकता है कि भारतीय जनता पार्टी में ही जो लोग वर्षों से जमे हुए हो बरसों से वैसे लोग पार्टी को अपने अनुसार चलते रहे हो उन्हें यह यह सब बातें पसंद आए, लेकिन देश के आम नौजवानों को यह बातें जरूर पसंद आने वाली है.