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इंटैक दुर्ग-भिलाई अध्याय एवं स्वरूपानंद महाविद्यालय द्वारा गोस्वामी तुलसीदास जयंती पर चित्रकला व परिचर्चा का आयोजन

  भिलाई. असल बात news.   इंटैक दुर्ग-भिलाई अध्याय एवं स्वरूपानंद महाविद्याललय के हिंदी विभाग द्वारा गोस्वामी तुलसीदास जयंती का आयोजन किया गय...

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भिलाई.

असल बात news.  

इंटैक दुर्ग-भिलाई अध्याय एवं स्वरूपानंद महाविद्याललय के हिंदी विभाग द्वारा गोस्वामी तुलसीदास जयंती का आयोजन किया गया इस अवसर पर विद्यार्थियों ने “गोस्वामी तुलसीदास की कृति कालजयी धरोहर” विषय पर आयोजित परिचर्चा में अपने विचार व्यक्त किये साथ तुलसी की प्रासंगिकता व उनकी उपादेयता को व्यक्त करने वाले चित्रकला प्रतियोगिता में भाग ले अपनी कल्पना के इन्द्रधनुषी रंग बिखेरे।  इंटेक दुर्ग भिलाई से श्रीमती रजनी नेल्सन,श्री रविंद्र खंडेलवाल,श्री दीपक रंजन दास, वी. के. श्रीवास्तव, विश्वास तिवारी, आशिष कुमार  उपस्थित हुए।

कार्यक्रम के उद्देश्यों पर प्रकाश डालते हुए डॉ. सुनीता वर्मा विभागाध्यक्ष हिंदी ने कहा गोस्वामी तुलसीदास का साहित्य हमारी संस्कृति की अनमोल धरोहर है, जहां तुलसी का साहित्य भक्तिभावना जागृत करता है वही सामाजिक चेतना का भी प्रसार करता है उनकी सामाजिक और लोकवादी दृष्टि मध्यकाल के कवियों से अधिक गहरी व व्यापक है। तुलसी के काव्य के बिना हिंदी साहित्य का स्वर्णकाल अपनी आभा खो देगा उन्होंने अपने काव्य में भारतीय संस्कृति के प्रेरक और उज्जवलापक्षों का प्रस्तुत किया है।

इंटैक दुर्ग भिलाई अध्याय की संयोजिका डॉ. हंसा शुक्ला ने कहा विश्व में दैहिक दैविक और भौतिक ताप होता है पर गोस्वामी तुलसी ने रामराज्य की जो कल्पना की थी वह इन तीनों तापों से रहित थे। क्योंकि त्रेतायुग में मनुष्य और प्रकृति का घनिष्ट संबंध था सूर्य व चन्द्रमा भी अपने समय चक्र का पालन करते थे। युवा जो देश की धरोहर है उसे अपने माता-पिता, गुरू, मित्र, सेवक से कैसा व्यवहार करना है ये सीखना चाहिये। राम ने कभी दैविक शस्त्रों का उपयोग नहीं किया अपितु वे मानव के समान युद्ध लड़े और मर्यादा पुरूषोत्तम राम कहलायें। 

महविद्यालय के मुख्य कार्यकारी अधिकारी डॉ. दीपक शर्मा एवं डॉ. मोनिषा शर्मा ने तुलसी जयंती की बधाई देते हुए कार्यक्रम की सराहना की। 

निर्णायक के रूप में उपस्थित डॉ. रजनी नैल्सन ने गोस्वामी के व्यक्तित्व व कृतित्व पर प्रकाश डालते हुये कहा हम अपनी सांस्कृतिक विरासत व जीवन मूल्यों के कारण ही विश्व  गुरू के रूप में जाने जाते है हमे अपनी इस सांस्कृतिक धरोहर को मान सम्मान देना है गोस्वामी जी ने रामचरित मानस में राम के सम्पूर्ण चरित्र का वर्णन कर राम का आदर्श रुप लोगों के सामने रख लोगों को प्रेरणा दी व टूटते हुये संबंधों  के सामने भाई-भाई के आदर्श को सामने रखा। उन्होंने बताया तुलसी दास का जीवन संघर्षों से भरा था बचपन से ही उनके परिवार ने उनका त्याग कर दिया गुरु नरहरिदास ने उन्हें दीक्षा दिया वे कालांतर में भारत के लोकनायक व सर्वश्रेष्ठ रचनाकार के रुप में प्रसिद्ध हुआ। उन्होंने परिस्थितियों से हार नहीं मानी श्रीमती नेल्सन ने काव्य का सस्वर पाठ कर दर्षकों को मंत्रमुग्ध कर दिया।

निर्णायक श्री रविन्द्र खण्डेलवाल ने अपने उद्बोधन में कहा गोस्वामी  तुलसीदास के बारे में बताना सूरज को दिये दिखाने के समान है उन्होंने सहज व सरल भाषा में राम काव्य को लोगों तक पहुचाया उनका साहित्य लोगों का कण्ठ हार है। उन्होंने पिता-पुत्र, भाई-भाई, स्वामी सेवक, पति-पत्नि का आदर्श लोगों तक पहुचाया।

इस अवसर पर तुलसी दास की कृति कालजयी संस्कृतिक धरोहर  विषय पर परिचर्चा का आयोजन किया गया जिसमें प्रथम स्थान प्राप्त नंदनी कर बीकॉम द्वितीय वर्ष ने राम की सांस्कृतिक  महत्ता उनके साहित्य में निहित नैतिकता, संस्कार व संस्कृति  संबंधी  विचारों पर प्रकाश डालते हुये उसे भारत की अनमोल धरोहर कहा।

द्वितीय स्थान पर रही पृथ्वी यादव बीएससी प्रथम सेमेस्टर ने कहा गोस्वामी तुलसीदास ने भाई-भाई, सेवक स्वामी का जो आदर्श रखा व भारतीय संस्कृति का सबसे उज्ज्वल पक्ष है। वहीं तृतीय स्थान पर रहे अमन बत्रा बीसीए प्रथम सेमेस्टर ने बताया रामचरित मानस में वर्णित रामराज्य की कल्पना हमारी अनमोल धरोहर है।  चित्रकला में अदिति पाण्डे बीएससी तृतीय वर्ष प्रथम स्थान पर रही, नंदनी कर बी.कॉम द्वितीय ने द्वितीय स्थान प्राप्त किया वहीं रश्मि बीकॉम तृतीय, तृतीय स्थान पर रही ।

कार्यक्रम में मंच संचालन करते हुये स.प्रा. अंग्रेजी हितेस सोनवानी ने बताया तुलसी दास जी का जीवन हमें काम से राम में परिवर्तित होने का संदेश देते है व जीवन में पत्नी का साहचर्य कितना महत्वपूर्ण होता है कि उनके तिरस्कार ने उनके जीवन की दशा व दिशा बदल दी। वे राम बोला से लोकनायक गोस्वामी तुलसी दास बन गये।

कार्यक्रम को सफल बनाने में स.प्रा. एन.बबीता विभागाध्यक्ष भौतिक विज्ञान, स.प्रा. गणित कामिनी वर्मा, स.प्रा. गणित मधु पटवा ने विशेष योगदान दिया। कार्यक्रम में डॉ. सावित्री शर्मा प्रो. शिक्षा विभाग, श्री मुरली मनोहर तिवारी क्रीड़ा अधिकारी, डॉ. पदमजा सप्रा. शिक्षा विभाग, स.प्रा. जीवविज्ञान जया तिवारी, डॉ. मंजू कन्नौजिया स.प्रा. शिक्षा विभाग स.प्रा. गोल्डी राजपूत उपस्थित हुये। 

धन्यवाद ज्ञापन स.प्रा. अंग्रेजी हितेश सोनवानी ने किया। कार्यक्रम में महाविद्यालय के प्राध्यापक व छात्र-छात्रायें उपस्थित हुये।