जब थक जाती है जिंदगी... हर किसी को सफलताएं नहीं मिलती.. कभी थक जाते हैं हाथ पैर लक्ष्य होता है दूर उम्मीदों के सपने, सपने बने रहे आते हैं ...
जब थक जाती है जिंदगी...
हर किसी को सफलताएं नहीं मिलती..
कभी थक जाते हैं हाथ पैर
लक्ष्य होता है दूर
उम्मीदों के सपने, सपने बने रहे आते हैं
हर नई सुबह, नए उत्साह के साथ शुरू परिश्रम
जब छा जाता है कुछ अंधेरा शाम गहरातें तक
*लक्ष्य होता है दूर....*
*तब जिंदगी थक जाती है**
हर लक्ष्य असंभव तो नहीं होता
कठिन तो होता है जरूर...
कदम कब ठहर जाएं इसका कोई हिसाब नहीं होता
मां भर्ती है अस्पताल में
दवाई पानी तो देकर आया हूं
खेत रेग पर् दे,पैसे लेकर आया हूं
"मां'को नहीं बताया हूं
डॉक्टर ने मांगे हैं जो पैसे
जमा वह सब जमा कर आया हूं
क्या मैं सुध लूं अपनी
मां खासती रही, कराहती रही
कौन सो सकेगा उस रात, इस पीड़ा में
कैसे जा सकता हूं घर खाना खाने
अस्पताल ने बुलाया है फिर आधे घंटे बाद आना है
नौकरी से आज की भी छुट्टी ले ली है
बेरहम "पेट" है कि मानता नहीं
"छुट्टी" देता नहीं..
*तब जिंदगी थक जाती है..*
क्यों दिखाऊं अपने, आंसुओं को तुम्हें
तुम भी मुस्कुरा ना पाओगे
तुम्हारी खुशियों को छीनने का मुझे क्यों हो हक
यह पेड़ों की छांव
ठंडी हवा का झोंका
नींद देकर भूख को रोका
*सफलताएं सब तक नहीं पहुंचती..*
*तब जिंदगी थक जाती है.....*
चांद आगे बढ़ता जाता है
वह भी नहीं दिखाता सफलताओं का रास्ता
छुट्टियां इतनी अधिक कि
तय हैं नौकरी से पूरी छुट्टी मिल जाने वाली है
नींद रोक लेते हैं आंसुओं को
कहां मालूम था कि पक्की सड़क भी
ठिकाना बन सकती है
यूं मुझे ना देखो
ना टोको.....
कितनी प्यारी नींद आई है..
*सफलताएं सब तक नहीं पहुंचती*
*तब जिंदगी थक जाती है*.
Ashok Tripathi 🚩