Page Nav

HIDE

Grid

GRID_STYLE

Pages

Classic Header

{fbt_classic_header}

Top Ad

ब्रेकिंग :

latest

Breaking News

Automatic Slideshow


CAA का 188 शरणार्थी बहनों-भाइयों को नागरिकता प्रमाण पत्र प्रदान किया गया,, केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने आज अहमदाबाद में प्रदान किया यह प्रमाण पत्र

  CAA शरणार्थियों को सिर्फ नागरिकता देने का नहीं, बल्कि उन्हें न्याय और अधिकार देने का कानून है जब विभाजन हुआ, तब बांग्लादेश में 27% हिंदू थ...

Also Read

 

CAA शरणार्थियों को सिर्फ नागरिकता देने का नहीं, बल्कि उन्हें न्याय और अधिकार देने का कानून है

जब विभाजन हुआ, तब बांग्लादेश में 27% हिंदू थे, आज 9% रह गए हैं

किसी भी शरणार्थी को डरने की जरुरत नहीं, वे नागरिकता के लिए बेझिझक आवेदन करें

नई दिल्ली.
असल बात news.  

केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री श्री अमित शाह ने आज अहमदाबाद में CAA के तहत 188 शरणार्थी बहनों-भाइयों को नागरिकता प्रमाण पत्र प्रदान किया। इस अवसर पर गुजरात के मुख्यमंत्री श्री भूपेन्द्र पटेल सहित अनेक गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।


 

अपने संबोधन में श्री अमित शाह ने कहा कि CAA देश में बसे लाखों लोगों को सिर्फ नागरिकता देने का नहीं, बल्कि न्याय और अधिकार देने का कानून है। उन्होंने कहा कि पिछली सरकारों की तुष्टिकरण की नीति के कारण 1947 से 2014 तक देश में शरण लेने वाले लोगों को अधिकार और न्याय नहीं मिला। उन्होंने कहा कि इन लोगों को न सिर्फ पड़ोसी देशों में बल्कि यहां भी प्रताड़ना सहनी पड़ी। श्री शाह ने कहा कि ये लाखों-करोड़ों लोग तीन-तीन पीढ़ियों तक न्याय के लिए तरसते रहे लेकिन विपक्ष की तुष्टिकरण की नीति के कारण इन्हें न्याय नहीं मिला। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने इन लाखों-करोड़ों लोगों को न्याय देने का काम किया है।

केन्द्रीय गृह मंत्री ने कहा कि आज़ादी के समय भारत का विभाजन धर्म के आधार पर किया गया और उस समय भीषण दंगे हुए। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान, अफ़ग़ानिस्तान और बांग्लादेश में रहने वाले करोड़ों हिंदू, बौद्ध, सिख, जैन और ईसाई समुदाय के लोग अपनी वेदना नहीं भूल सकते। उन्होंने कहा कि उस वक्त विभाजन का फैसला करते हुए तत्कालीन सरकार ने वादा किया था कि पड़ोसी देशों से आने वाले  हिंदू, बौद्ध, सिख, जैन और ईसाई संप्रदायों के लोगों को भारत की नागरिकता दी जाएगी। श्री शाह ने कहा कि चुनाव आते-आते तत्कालीन सरकार के नेता इन वादों से मुकरते गए और 1947, 1948 और 1950 में किए गए इन वादों को भुला दिया गया। उन्होंने कहा कि उस समय की सरकार ने इन लोगों को इसी लिए नागरिकता नहीं दी कि इससे उनका वोट बैंक नाराज़ हो जाएगा। उन्होंने कहा कि तुष्टिकरण की नीति के कारण इन लाखों-करोड़ों लोगों को नागरिकता से वंचित रखा गया और इससे बड़ा पाप कोई नहीं हो सकता।


श्री अमित शाह ने कहा कि ये करोड़ों लोग भाग कर और प्रताड़ना झेलकर आए, कईयों ने अपना परिवार और संपत्ति सब गंवा दी लेकिन यहां उन्हें नागरिकता तक नहीं मिली। उन्होंने कहा कि 1947 से 2019 और 2019 से 2024 तक की यात्रा को इस देश का इतिहास हमेशा याद रखेगा। उन्होंने कहा कि जो लोग अपना आत्मसम्मान बचाने यहां आए उन्हें क्यों इस देश की नागरिकता नहीं मिल सकती। श्री शाह ने कहा कि एक ओर तो पिछली सरकारों ने करोड़ों लोगों को सीमापार से घुसपैठ कराकर अवैध रूप से भारत का नागरिक बना दिया, तो दूसरी ओर कानून को मानने वाले लोगों को कहा गया कि इसके लिए कोई कानून प्रावधान नहीं है।

केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री ने कहा कि कानून लोगों के लिए होता है न कि लोग कानून के लिए होते हैं। उन्होंने कहा कि हमने 2014 में वादा किया था कि हम CAA लाएंगे और 2019 में मोदी सरकार इस कानून को लेकर आई। उन्होंने कहा कि इस कानून के माध्यम से, करोड़ों हिंदू, जैन, बौद्ध, सिख, जिन्हें न्याय नहीं मिला था, उन्हें न्याय देने की शुरूआत हुई। श्री शाह ने कहा कि ये कानून 2019 में पारित हुआ था लेकिन उसके बाद भी सबको भड़काया गया कि इससे मुस्लिमों की नागरिकता चली जाएगी। गृह मंत्री ने स्पष्ट किया कि इस कानून में किसी की नागरिकता लेने का कोई प्रावधान नहीं है और ये नागरिकता देने का कानून है। उन्होंने कहा कि हमारे ही देश के लोग हमारे ही देश में निराश्रित बनकर रह रहे हैं, इससे बड़ा दुर्भाग्य और विडंबना क्या हो सकती है। श्री शाह ने कहा कि कई सालों तक तुष्टिकरण की नीति के कारण ये नहीं हो सका था, लेकिन प्रधानमंत्री मोदी ने 2019 में इस कानून को लाने का फैसला लिया।

श्री अमित शाह ने कहा कि 2019 में  कानून पारित होने के बाद भी 2024 तक इन परिवारों को नागरिकता नहीं मिली क्योंकि देश में दंगे कराए गए और अल्पसंख्यकों को भड़काया गया। उन्होंने कहा कि CAA को लेकर देश में अफवाहें फैलाई गईं। इस कानून से किसी की नागरिकता नहीं जाती और ये हिंदू, जैन, सिख, बौद्ध शरणार्थियों को नागरिकता देने का कानून है। श्री शाह ने कहा कि आज भी कुछ राज्य सरकारें लोगों को गुमराह कर रही हैं। गृह मंत्री ने देशभर के शरणार्थियों से अपील की कि वे नागरिकता प्राप्त करने के लिए बेझिझक आवेदन करें और इससे उनकी नौकरी, घर आदि पहले की तरह बरकरार रहेंगे।

 

 

केन्द्रीय गृह मंत्री ने कहा कि इस कानून में किसी प्रकार के क्रिमिनल केस का प्रोविजन नहीं है और सबको माफी दे दी गई है और ये इसलिए किया गया है कि नागरिकता देने में देरी सरकार के कारण हुई है आपके कारण नहीं हुई है। उन्होंने कहा कि यह कानून शरणार्थियों को न्याय देने और उनके साथ हुए अत्याचारों की क्षमा के साथ परिमार्जन के लिए उन्हें सम्मान देने का काम करेगा।

श्री अमित शाह ने कहा कि जब विभाजन हुआ था तब बांग्लादेश में 27 प्रतिशत हिंदू थे, आज 9% रह गए हैं, बाकी कहां गए। उन्होंने कहा कि वहां उनका जबरन धर्म परिवर्तन कराया गया और यहां हमारी शरण में आए लोगों को क्या अपनी इच्छा के अनुसार वहां अपने धर्म का पालन करने का अधिकार नहीं है। उन्होंने कहा कि अगर पड़ोसी देश में सम्मान के साथ नहीं जी सकते और हमारी शरण में आते हैं तो हम मूक दर्शक बनकर नहीं रह सकते, यह नरेन्द्र मोदी सरकार है और इन लोगों को न्याय जरूर मिलेगा।

केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री ने कहा कि इस कानून को लाने की मांग शरणार्थी लंबे समय से कर रहे थे और प्रधानमंत्री मोदी ने 2019 में अपनी दृढ़ इच्छाशक्ति के साथ फैसला लेते हुए इस कानून को पारित कराया। उन्होंने कहा कि इस कानून के पारित होने के बाद कुछ जगह हिंसक घटनाएं भी हुई लेकिन अंततोगत्वा 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले नियम बनाकर हमने नागरिकता का अधिकार और सर्टिफिकेट दे दिया।