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युक्तियुक्तकरण की नीति के निर्देशों से शिक्षा,शिक्षक और शिक्षार्थी तीनों के लिए अहितकर = फेडरेशन

    रायपुर  . असल बात न्यूज़.    प्रांताध्यक्ष राजपत्रित अधिकारी संघ के संयोजक कमल वर्मा,प्रांताध्यक्ष छत्तीसगढ़ कर्मचारी काँग्रेस के संरक्षक...

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 रायपुर  .

असल बात न्यूज़.   

प्रांताध्यक्ष राजपत्रित अधिकारी संघ के संयोजक कमल वर्मा,प्रांताध्यक्ष छत्तीसगढ़ कर्मचारी काँग्रेस के संरक्षक बी पी शर्मा,प्रांताध्यक्ष छत्तीसगढ़ प्रदेश शिक्षक फेडरेशन के सचिव राजेश चटर्जी,प्रांताध्यक्ष छत्तीसगढ़ शिक्षक संघ के प्रांतीय मंत्री प्रचार प्रसार ओंकार सिंह,प्रांताध्यक्ष छत्तीसगढ़ प्रदेश तृतीय वर्ग कर्मचारी संघ के प्रवक्ता जी आर चंद्रा,प्रांताध्यक्ष छत्तीसगढ़ तृतीय वर्ग कर्मचारी संघ के प्रवक्ता चंद्रशेखर तिवारी ने कहा है कि  युक्तियुक्तकरण की नीति के निर्देशों से शिक्षा,शिक्षक और शिक्षार्थी तीनों के लिए अहितकर साबित होने की आशंका है।इसका उद्देश्य स्कूली शिक्षा को अधिक समग्र,बहु-विषयक और लचीला बनाना है। लेकिन युक्तियुक्तकरण नीति के निर्देश विद्यार्थियों को विषय ज्ञान से वंचित करने का नीति है।सेटअप में परिवर्तन दोषपूर्ण है।इससे शिक्षा व्यवस्था में प्रगति न होकर अध्ययन-अध्यापन व्यवस्था चरमरा जायेगा। 

     छत्तीसगढ़ कर्मचारी अधिकारी फेडरेशन के संयोजक कमल वर्मा,संरक्षक बी पी शर्मा,सचिव राजेश चटर्जी,प्रचार मंत्री ओंकार सिंह प्रवक्ता जी आर चंद्रा एवं चंद्रशेखर तिवारी का कहना है कि प्राथमिक,माध्यमिक,हाई स्कूल एवं हायर सेकेंडरी के विद्यार्थियों को सभी विषयों की शिक्षा के लिये प्रशिक्षित शिक्षक उपलब्ध कराना चाहिए।लेकिन युक्तियुक्तकरण नीति में विषय कक्षाओं की संख्या को ध्यान में रखने के बजाय दर्ज संख्या को आधार बनाया गया है। जोकि युक्तिसंगत एवं व्यवहारिक नहीं है।

   उन्होंने बताया कि *प्राथमिक विद्यालय* में पहली से पांचवीं तक कक्षाओं की संख्या 5 एवं पढ़ाये जाने वाले विषय संख्या 4 है। प्रतिदिन 20 पीरियड होते हैं।

सेटअप-2008 में न्यूनतम एक प्रधानपाठक और दो शिक्षक (1+2) था।सेटअप मापदंड 2022 में 1+2 संरचना था। 

लेकिन,युक्तियुक्तकरण नीति 2024 में 1+1 किया जा रहा है !

जोकि युक्तियुक्त नहीं है।

फेडरेशन का प्रश्न है कि *5 कक्षाओं को 1 प्रधानपाठक और 1 शिक्षक कैसे पढ़ायेंगे ?* यह विचारणीय है।गैर शिक्षकीय कार्य अलग है।

  उन्होंने बताया कि *पूर्व माध्यमिक शाला* में कक्षा छटवीं से आठवीं तक कक्षाओं की संख्या 3,विषयों की संख्या 6

और पीरियड 18 होते हैं।

सेटअप 2008 में एक प्रधानपाठक और एक शिक्षक (1+4) था।सेटअप मापदंड 2022 में 1+4 था।लेकिन,युक्तियुक्तकरण नीति 2024 में 1+3 किया जा रहा है !

जोकि युक्तियुक्त नहीं है।

फेडरेशन का प्रश्न है कि *6 विषय 18 पीरियड को 1 प्रधानपाठक और 3 शिक्षक कैसे पढ़ायेंगे ?  जोकि विचारणीय है।*

उन्होंने बताया कि *हाई स्कूल* कक्षा 9 वीं एवं 10 वीं में 6 विषयों के 12 पीरियड होते हैं।

सेटअप 2008 में एक प्राचार्य और 6 व्याख्याता (1+6) था।

जिसे सेटअप मापदंड 2022 में 1+5 किया गया !

 इसी प्रकार *हायर सेकेण्डरी स्कूल* में कक्षा 11 एवं 12 वीं में गणित,बायोलॉजी, कॉमर्स और कला संकाय का कुल 32 पीरियड होता है।सेटअप 2008 में एक प्राचार्य और 11 व्याख्याता (1+11) था। जोकि संकायवार विषय आधारित था।

सेटअप मापदंड 2022 में 1+9 किया गया था।व्यवस्थित अध्ययन-अध्यापन के लिए प्रत्येक विषय व्याख्याता की आवश्यकता है। *उपरोक्त के अतिरिक्त ओपन स्कूल का कार्य भी कुछ स्कूलों में संचालित है।* विषय व्याख्याता के अभाव में शैक्षणिक योग्यता के आधार पर विषय अध्यापन का कार्य हो रहा है।

   उन्होंने बताया कि प्राथमिक शाला,पूर्व माध्यमिक शाला,हाई स्कूल/उच्चतर माध्यमिक के सेटअप में परिवर्तन किया जाना शिक्षा व्यवस्था के लिये घातक है। *विषय एवं कक्षावार अध्यापन व्यवस्था कैसे होगा ?*  इस पर विचार किये बिना दर्ज संख्या के आधार पर शिक्षकों की पदस्थापना करने की युक्तियुक्तकरण नीति शिक्षा व्यवस्था के लिए आत्मघाती कदम है,अव्यवहारिक है। *जिसके कारण न केवल वर्तमान पदस्थापना तथा भविष्य की पदोन्नति भी प्रभावित होगी।*  *साथ ही,प्राथमिक/माध्यमिक के विद्यार्थियों को विषय/कक्षा शिक्षक से वंचित होना पड़ेगा।*   लेकिन शिक्षा के गुणवत्ता पर प्रश्न शिक्षकों से पूछा जायेगा। कम परीक्षाफल के लिये दोषी शिक्षकों को ठहराया जायेगा ! विद्यार्थियों के भविष्य के चिन्ता से शिक्षकों में यह रोष व्याप्त है कि शिक्षा की गुणवत्ता कैसे संभव होगा।

       *शिक्षक विहीन विद्यालयों के विद्यार्थियों के लिये कक्षावार विषय शिक्षकों की उपलब्धता उचित है। लेकिन जिन विद्यालयों में विद्यार्थियों के लिये विषय शिक्षक उपलब्ध हैं,उनको दर्ज संख्या के आधार पर विषय शिक्षक विहीन करने का युक्तियुक्तकरण नीति अनुचित है।* *अतिशेष गणना में प्रधानपाठक प्राथमिक शाला एवं माध्यमिक विद्यालय को शामिल करना पूर्णतः गलत है।पदोन्नति के पद को उसके फीडर पद के समकक्ष रखा जाना नियम विरुद्ध है।*

  छत्तीसगढ़ कर्मचारी अधिकारी के प्रतिनिधिमंडल में शामिल कमल वर्मा,राजेश चटर्जी,केदार जैन,राकेश शर्मा,तिलक यादव,फारुख कादरी,पीताम्बर पटेल ने सचिव स्कूल शिक्षा श्री सिद्धार्थ कोमल सिंह परदेसी एवं संचालक लोक शिक्षण श्रीमती दिव्या उमेश मिश्रा से मिलकर तकनीकी विषयों से उनको अवगत कराया है कि स्कूलों का परस्पर समायोजन करने के स्थिति में udise का समस्या आयेगा। भारत सरकार से मिलने वाला अनुदान बुरी तरह प्रभावित होगा। युक्तियुक्तकरण की नीति के निर्देशों से शिक्षा,शिक्षक और शिक्षार्थी तीनों के लिए अहितकर है। फेडरेशन के मानना है कि युक्तियुक्तकरण के दोषपूर्ण निर्देशों में सुधार आवश्यक है। फेडरेशन ने शिक्षा सचिव एवं संचालक शिक्षा से माँग किया है कि फेडरेशन के द्वारा युक्तियुक्तकरण नीति में उठाये गये मुद्दों पर अंतिम निर्णय होते तक इसके क्रियान्वयन पर रोक लगाया जाये।साथ ही चेताया है कि शिक्षा,शिक्षक एवं शिक्षार्थी हित के मुद्दों पर निर्णय नहीं लिया गया तो फेडरेशन बाध्य होकर 24 अगस्त 24 के महाबैठक में युक्तियुक्तकरण नीति पर रणनीति तय करेगा।