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सुबह की कविता

*सुबह की कविता*  दो विशिष्ट महाशक्तियों ने है किया संवाद  दुनिया को नई आस बँधी है  तूफानी बर्फीली हवाएं,समुद्र की बाधाएं, दूर होती   विशेषाध...

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*सुबह की कविता* 


दो विशिष्ट महाशक्तियों ने है किया संवाद 

दुनिया को नई आस बँधी है 

तूफानी बर्फीली हवाएं,समुद्र की बाधाएं, दूर होती  

विशेषाधिकार प्राप्त रणनीतिक साझेदारी के और सुदृढ़ होने का इतिहास रचेगा 

कूटनीति  ईमानदार और व्यावहारिक सहयोग दे जाएगी नई चेतना 


वह जो बेंत चले 

कुछ आक्रोश भी तो था वहां

पांच सालों में जो इतना लपेट गए, कुछ भड़ास तो निकली है 

क्यों भूल जाते हो,राजनीति.., जिंदगी से जुड़ जाती है तो वास्तविकताओं का ताना-बाना जुड़ने लगता है

कहीं आक्रोश की झलक भी तो थी वहां 

कौन कह गया..नासूर बन रहे विवादों की बुनियादो पर ऐसे ही बेंत चलने को सहमति देते, जाएंगे लोग 


बरेली के बाजार में गिरा झुमका 

अब कैसे खोजे उसको 

नजर आया वह तो उन कानों में 


इतना उत्साह,इतनी खुशियां कम ही  दिखती है, भगवान श्री कृष्ण, जन्मदिन मनाने गली-गली में उमड़ आई भीड़, हर गलियां हो गई..वृंदावन की गलियां...


खिलाड़ियों की खुशियां,भी तो अब कम नहीं हो रही 

राज्य खेल अलंकरण उनके लिए आया है

उत्कृष्ट खिलाड़ी, भी बन जाएंगे, तो जाकर नौकरियों में भाग्य आजमाएंगे 


नर्मदा मैया,रौद्र रूप को दिखा रही हैं 

वह भरूच डूबा हुआ है, जो साल दर साल, सूखे में बीत जाता 

गणेश बप्पा आ रहे हैं.

डूबे हुए खेत लहराते नजर आएंगे.


🙏🙏🚩🚩

 *सुप्रभात* 

🙏🙏🚩🚩

               Ashok Tripathi 🚩