पेरिस 2024 पैरालंपिक में नितेश कुमार ने ऐतिहासिक स्वर्ण पदक जीता Sumit Antil’s Golden Throw कुमार के बेहतरीन प्रदर्शन से पेरिस 2024 में भा...
पेरिस 2024 पैरालंपिक में नितेश कुमार ने ऐतिहासिक स्वर्ण पदक जीता
Sumit Antil’s Golden Throw
कुमार के बेहतरीन प्रदर्शन से पेरिस 2024 में भारत को मिला दूसरा स्वर्ण
परिचय
भारतीय पैरा-शटलर नितेश कुमार ने पेरिस 2024 पैरालंपिक में पुरुष एकल एसएल3 श्रेणी में स्वर्ण पदक जीतकर इतिहास रच दिया। पैरालंपिक उन एथलीटों के लिए है, जिनके एक या दोनों निचले अंग दिव्यांग हैं और उनका चलने या दौड़ने में संतुलन खराब है। 29 वर्षीय नितेश कुमार यह उल्लेखनीय उपलब्धि हासिल करने वाले तीसरे भारतीय बन गए, उन्होंने अपने सभी मैचों में अपराजित रहकर पूरे टूर्नामेंट में शानदार प्रदर्शन किया। फाइनल मैच काफी उतार-चढ़ाव भरा रहा, जिसमें नितेश ने अंततः ब्रिटेन के डेनियल बेथेल को 21-14, 18-21, 23-21 से हराकर जीत हासिल की। इससे पहले निशानेबाज अवनी लेखरा ने स्वर्ण पदक हासिल किया था, जिसने भारत को 2024 पैरालंपिक खेलों में अपना दूसरा स्वर्ण दिलाया।
शुरुआत और सफलता
हरियाणा के चरखी दादरी से ताल्लुक रखने वाले 30 दिसम्बर,1994 को जन्मे नितेश कुमार वर्तमान में पुरुष एकल एसएल3 श्रेणी में विश्व नंबर 1 रैंक पर हैं। उनकी यात्रा शिक्षा और खेल दोनों के प्रति असाधारण प्रतिबद्धता को दर्शाती है। आईआईटी-मंडी से इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग स्नातक, नितेश का खेल के प्रति जुनून बचपन में फुटबॉल से शुरू हुआ था। हालाँकि, 2009 में एक दुर्घटना ने उनका जीवन पूरी तरह बदल दिया जिसमें उनके पैर को हमेशा के लिए खराब हो गए। इसके बावजूद, खेलों के प्रति उनका लगाव बना रहा, खासकर आईआईटी-मंडी में रहते हुए उन्होंने बैडमिंटन में गहरी रुचि विकसित की।.
The Unstoppable Force of Indian Para-Athletics at Paris 2024
Sumit Antil, born on June 7, 1998, in Sonipat, Haryana, has become a symbol of inspiration in the world of para-athletics. Competing in the Men's Javelin Throw F64 category at the Paris 2024 Paralympics, Sumit once again showcased his unparalleled skills and determination by winning Gold, thus reinforcing his status as one of the world's premier para-athletes.
Early Life and Challenges
Sumit’s life took a drastic turn after a tragic accident on his way home from a coaching class. The promising wrestler from Sonipat lost his leg in the incident, a devastating blow that could have ended his athletic career. However, Sumit's indomitable spirit refused to let this setback define him. Supported by his father's service in the Indian Air Force, Sumit received treatment at the Army Hospital, where a prosthetic leg was fitted on his left lower limb.
मनीष नरवाल ने पेरिस 2024 पैरालंपिक में रजत पदक जीता
समर्पण और सफलता की मिसाल
प्रीति पाल ने पेरिस 2024 पैरालिंपिक में दो कांस्य पदक जीते
ट्रैक एंड फील्ड में ऐतिहासिक उपलब्धि
प्रीति पाल ने पेरिस 2024 पैरालिंपिक में अपने असाधारण प्रदर्शन से सबको अचंभित कर दिया। महिलाओं की टी35 श्रेणी में 100 मीटर और दूसरा 200 मीटर स्पर्धाओं में उन्होंने दो कांस्य पदक जीते । यह उपलब्धि न केवल उनके करियर में एक महत्वपूर्ण पड़ाव साबित हुई है, बल्कि इसके साथ ही वह एक ही पैरालिंपिक खेल में दो पदक जीतने वाली पहली भारतीय महिला ट्रैक एंड फील्ड एथलीट भी बन गई हैं। पेरिस 2024 में प्रीति की सफलता वर्षों की कड़ी मेहनत का परिणाम है।
शुरुआती जीवन: चुनौतियों से भरा बचपन
उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर में 22 सितंबर, 2000 को जन्मी प्रीति पाल का शुरुआती जीवन चुनौतियों एवं कठिनाइयों से भरा था। उनके पैरों की कमजोरी और अनियमित मुद्रा के कारण जन्म के छह दिन बाद ही उनके शरीर के निचले हिस्से में प्लास्टर लगा दिया गया। इससे उन्हें कई तरह की स्वास्थ्य समस्याओं का सामना करना पड़ा। बचपन में उन्होंने अपने पैरों को मजबूत बनाने के लिए पारंपरिक उपचार भी करवाए।पांच साल की उम्र में उन्हें कैलिपर्स लगाए गए और उसे उन्होंने आठ साल तक पहना। प्रीति ने अपनी इच्छा शक्ति के दम पर सभी बाधाओं को पार किया।
मोना अग्रवाल ने जीता कांस्य पदक!
पैरा शूटिंग में उभरता सितारा
परिचय
असाधारण प्रतिभा की धनी खिलाडी मोना अग्रवाल अपनी कड़ी मेहनत के दम पर पैरा शूटिंग में कामयाबी की मिसाल बन गयी हैं । पैरालिंपिक्स 2024 में आर2 महिला 10 मीटर एयर राइफल एसएच1 प्रतियोगिता में कांस्य पदक जीत उन्होंने दुनिया भर में खेल जगत में अपना दबदबा कायम किया है। मोना के धैर्य और दृढ़ संकल्प का नतीज़ा है कि शुरुआती जीवन की तमाम चुनौतियों को पार कर पैरा शूटिंग में उन्होंने यह मुकाम हासिल कर अंतर्राष्ट्रीय मंच पर देश को गौरवान्वित किया।
प्रारम्भिक जीवन और शिक्षा
मोना का जन्म राजस्थान के सीकर में 8 नवंबर, 1987 हुआ था। मोना को जीवन के शुरूआत में ही एक बड़ी चुनौती का सामना करना पड़ा। वह केवल नौ महीने की उम्र में पोलियो से पीड़ित हो गईं, जिससे उनके दोनों निचले अंग प्रभावित हुए। इसके बावजूद उन्होंने दृढ़ संकल्प के साथ अपनी शिक्षा प्राप्त करते हुए कला विषय में डिग्री हासिल की। वर्तमान में दूरस्थ शिक्षा कार्यक्रम के माध्यम से वह मनोविज्ञान विषय में स्नातकोत्तर कर रही हैं।