कला और कलाकारों का गढ़ बना नजर आया अहिवारा अहिवारा,दुर्ग. असल बात news. 0 विशेष संवाददाता दुर्ग जिले का,अहिवारा विकासखंड,उस रात...
कला और कलाकारों का गढ़ बना नजर आया अहिवारा
अहिवारा,दुर्ग.
असल बात news.
0 विशेष संवाददाता
दुर्ग जिले का,अहिवारा विकासखंड,उस रात,कला और कलाकारों का गढ बना नजर आया. इस समय वहां पूरे और और ताल के साथ छत्तीसगढ़ के लोकगीतों पंडवानी, चंदैनी, ,ददरिया, बांस गीत की गूंज सुनाई दी जिससे श्रोता मंत्र मुग्ध नजर आए तो वहीं दर्शकों को पण्डवानी, बस्तरिया और सरगुजिया लोक नृत्य भी देखने को मिले, जिसका तालियां बजाकर जोरदार तरीके से स्वागत किया गया। एक से बढ़कर एक कलाकार... अपनी हर एक प्रस्तुति से मन मोह लेने वाले कलाकार..... कला का यह संगम.. देर रात तक बना रहा. एक समय में इतने सारे कलाकारों की उपस्थिति, दर्शकों और श्रोताओं को उत्साहित कर रही थी.उल्लेखनीय है कि अहिवारा तथा इसके आसपास के किनारो के क्षेत्र से,कई लोक कलाकार निकले हैं,जिन्होंने छत्तीसगढ़, ही नहीं, पूरे देश- दुनिया में अपनी धाक जमाई है. इन लोक कलाकारों का अपने-अपने क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान के लिए यहां सम्मान भी किया गया.
उस मंच पर पद्मश्री उषा बारले भी उपस्थित थी. तो यहां इसी समय अपनी सुरीली मधुर आवाज से जादू बिखेर देने वाली रजनी रजक, कविता वासनिक पूर्वी यादव, सुनील सोनी भी उपस्थित थे. इतने सारे कलाकारों की एक साथ उपस्थित देखकर कोई भी कह सकता था कि छत्तीसगढ़ सिर्फ, अनेकानेक खनिज की ही धरती नहीं है, सिर्फ लोहा-कोयला की धरती नहीं है.वरन यह,कला और कलाकारों की भी धरती है. छत्तीसगढ़ ने वर्षों-वर्षों, पूर्व से एक से बढ़कर एक महान कलाकार दिए हैं. जब टॉकीज में पिक्चर नहीं लगती थी,उसके पहले से यहां लोकगीत और लोक नृत्य प्रचलित था.उसमें कई ख्यातिनाम कलाकार अपनी प्रस्तुतियां देते थे जिनकी ख्याति,दूर-दूर तक फैली हुई थी.तथा उन्हें देखने,हजारों लोगों की भीड़ जुटती थी और रात भर जगकर, टकटकी लगाकर यह नृत्य और गीत -संगीत देखती और सुनती थी. जहां यह कार्यक्रम होता था उस रात वहां का नजारा,अद्भुत होता था. लोग दिल ढलने के बाद से यह कार्यक्रम देखने की तैयारी करने में लग जाते थे और रात के आठ -नौ बजने तक तो सब लोग,बोरा लेकर कार्यक्रम स्थल पर पहुंच जाते थे और अपनी जगह छेक लेते थे. इसमें बच्चों की भी भीड़ होती थी तो बुजुर्गों की भी और महिलाओं के भी भीड़ होती थी. दरी-बोरा पर बैठकर रात भर जगकर यह कार्यक्रम देखने की अलग अनुभूति होती थी अलग आनंद होता था. उस रात भी, अहिवारा में यह कार्यक्रम देर रात तक चला, लेकिन कभी भी दर्शकों श्रोताओं की भीड़ कम नहीं हो रही थी.
यहां, छत्तीसगढ़ी लोक कलाकार तरुणा साहू का पंडवानी गीत देखने और सुनने को मिला.सुनील सोनी के गाने को सुनने के लिए तो काफी उत्साहित नजर आ रहे थे.और छत्तीसगढ़ की माटी में पला बढ़ा कौन दर्शक, श्रोता..... पद्मश्री उषा बारले की पंडवानी, आदिवासी बस्तरिया सरगुजिया लोक नृत्य, कविता वासनिक, रजनी रजक की मधुर आवाज में गीत संगीत को नहीं सुनना चाहेगा. यहां सांसद विजय बघेल भी उपस्थित थे. जिनकी मोर संग चलो रे.... गीत की वजह से.. अलग पहचान है और छत्तीसगढ़ के कई क्षेत्र में इसकी प्रस्तुति दे चुके हैं. तो स्वाभाविक रूप से उनसे भी गाने को प्रस्तुत करने आग्रह किया गया और उन्होंने सु-मधुर आवाज में संगीत के साथ इसे प्रस्तुत किया. इस समय पर सांसद से अधिक, एक कलाकार और कलाकारों के साथी नजर आए.
वास्तव में यह, छत्तीसगढ़ प्रदेश लोक कलाकार कल्याण संघ का यहां पितृ पक्ष के अवसर पर लोक महोत्सव एवं सम्मान समारोह -" पुरखा के सुरता "कार्यक्रम का आयोजन था. उपर्युक्त ख्यातिनाम लोक कलाकारों के साथ इसमें, सरगुजिया गीत गायक किरण कुशवाहा, नरेश रजक,सुरेश ठाकुर महेश वर्मा,चेतन परवार,नमंति प्रजापति, सिद्धार्थ महाजन, मानक चंद्रवंशी, संजय मानिकपुरी भुवनेश्वर जोगी, रानी यादव सुरेंद्र गोस्वामी जैसे कलाकारों की भी उपस्थित थी.
अहिवारा में कार्यक्रम था तो स्वाभाविक तौर पर स्थानीय जनप्रतिनिधि भी मंच पर उपस्थित थे. इस अवसर पर बोलते हुए सांसद विजय बघेल ने छत्तीसगढ़ में लोक कलाकारों के शानदार प्रदर्शन को याद करते हुए कहा कि छत्तीसगढ़ के लोक कलाकारों ने पूरी दुनिया में अपनी धाक जमाई है. छत्तीसगढ़ नया राज्य बना है और इस राज्य के निर्माण में यहां के लोक कलाकारों के भी महत्वपूर्ण भूमिका है जिन्हें कभी भुलाया नहीं जा सकता. यहां के लोक कलाकारों ने अपने गीत, संगीत- नृत्य के माध्यम से छत्तीसगढ़ की पहचान और महत्व को जन- जन, तक पहुंचाया है.देश दुनिया में पहुंचाया है. ऐसे ही प्रयासों के फलस्वरूप छत्तीसगढ़ राज्य का निर्माण हो सका. वहीं पूर्व विधायक लाभ चंद्र बाफना ने कहा कि छत्तीसगढ़ की मुख्यमंत्री विष्णु देव साय के नेतृत्व वाली प्रदेश सरकार ने यहां के लोक कलाकारों के लिए अब कभी फंड की कमी नहीं होने की घोषणा कर दी है. लोक कलाकारों को हर कार्यक्रम के लिए मंच उपलब्ध कराया जाएगा. छत्तीसगढ़ भाषा की फिल्मों को भी प्रोत्साहित किया जा रहा है और इसी का परिणाम है कि यहां अब,प्रत्येक सप्ताह छत्तीसगढ़ी फिल्म रिलीज हो रही है.
कार्यक्रम का संचालन श्री लीलाधर ने किया. मंच पर सर्वश्री नटवर ताम्रकार, रवि शंकर सिंह अशोक बाफना, चंदेश्वरी बांधे, राम धनकर इत्यादि भी उपस्थित थे.