गरियाबंद। जिले के घुमरापदर में ग्रामीणों ने बीते 3 दिनों से 200 बैग राशन से लदे ट्रक को बंधक बनाने का मामला सामने आया है। यह ट्रक 20 सि...
गरियाबंद। जिले के घुमरापदर में ग्रामीणों ने बीते 3 दिनों से 200 बैग राशन से लदे ट्रक को बंधक बनाने का मामला सामने आया है। यह ट्रक 20 सितंबर को देवभोग वेयर हाउस से राशन छोड़ने यहां पहुंचा था, राशन डंप करने के बाद गाड़ी दुकान प्रांगण में फंस गई। ट्रक ड्राइवर ने गाड़ी को बाहर निकालने के लिए गांव के एक ग्रामीण को ट्रैक्टर लेकर बुलाया। इस दौरान ट्रक ने ट्रैक्टर को चपेट में ले लिया, जिससे ट्रैक्टर ड्राइवर गंभीर रूप से घायल हो गया. इस दौरान ड्राइवर के आक्रोशित परिजनों और ग्रामीणों ने भरपाई की मांग करते हुए ट्रक को ही बंधक बना लिया। आज अमलीपदर पुलिस छुड़ाने गई थी लेकिन बात नही बनी।
दरअसल, 20 सितंबर को देवभोग वेयरहाउस से ट्रक राशन छोड़ने निकली थी। घुमरापदर में राशन डंप के बाद गाड़ी वहीं दुकान प्रांगण में फंस गई। जिसे बाहर निकालने गांव के ही मधूराम के ट्रैक्टर को बुलाया गया। ट्रैक्टर मधु का बेटा जितेंद्र (26 वर्ष) चला रहा था। टोचन के बाद ट्रक किसी तरह स्टार्ट हुई, तो ट्रैक्टर उसे आगे बढ़ने के लिए साइड दिया। ट्रक आगे बढ़ी लेकिन प्रांगण की चढ़ाई नहीं चढ़ पाई, उल्टे रिवर्स होकर ट्रैक्टर की मुंडी को टक्कर मार दिया। पहली बार में केवल ट्रैक्टर के परखच्चे उड़ गए। चालक ने लापरवाही से दूसरी बार टक्कर मारी, तो ट्रैक्टर चालक जितेंद्र के कान फट गए। चालक बुरी तरह जख्मी हो गया। पहले अमलीपदर फिर देवभोग अस्पताल में भर्ती किया गया। मामला गंभीर था, इसलिए उसे रायपुर के लिए रेफर किया गया। 20 की रात से जितेंद्र राजधानी के एक निजी अस्पताल में भर्ती है। पिता मधूराम ने ट्रक मालिक से इलाज का पूरा खर्च मांगने पर अड़ा हुआ है, परिवार के सदस्य ग्रामीणों के साथ मिलकर पिछले तीन दिनों से ट्रक को 200 बैग राशन समेत बंधक बना लिया है। हैरानी की बात है कि मामला गंभीर होने के बावजूद अमलीपदर पुलिस ने अब तक मामला दर्ज नहीं किया है।
इधर, पुलिस ने आज राजस्व अफसरों के साथ गांव पहुंचकर मान-मनव्वल कराने में जुटी हुई थी। इलाज का खर्च मांग रहे परिवार को 40 हजार जुटाकर देने का प्रयास किया गया, लेकिन परिवार उपचार का पूरा खर्च मांग रहा है।
मामले में अमलीपदर थाना प्रभारी जय सिंह ध्रुवे ने कहा कि घटना की तारीख के बाद से पीड़ित परिवार को प्रार्थी बनने के लिए कहा जा रहा है। उनका कहना है कि अगर मामला दर्ज हुआ तो उन्हें ट्रक मालिक से इलाज में खर्च नहीं मिल पाएंगे। आज फिर जाकर कहा गया है, परिवार मानने को तैयार नहीं है। कल किसी भी हाल में मैं मामला दर्ज कर लूंगा।