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आत्महत्या निषेध दिवस का आयोजन

  भिलाई. असल बात news.   आत्महत्या जो की एक बहुत बड़ा कदम है यह हर साल 10 सितंबर को विश्व आत्महत्या निषेध दिवस के रूप में मनाया जाता है इसी ...

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भिलाई.

असल बात news.  

आत्महत्या जो की एक बहुत बड़ा कदम है यह हर साल 10 सितंबर को विश्व आत्महत्या निषेध दिवस के रूप में मनाया जाता है इसी तारतम में इंदिरा गांधी की शासकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय वैशाली नगर के समाजशास्त्र विभाग द्वारा विश्व आत्महत्या निषेध दिवस का आयोजन किया गया इस कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रही है महाविद्यालय की प्राचार्य डॉ श्रीमती अलका मेश्राम ने बच्चों के साथ रूबरू होकर उन्हें आत्महत्या के दुष्परिणामों की जानकारी दी

उन्होंने साथ ही साथ विद्यार्थियों में जीवन जीने की इच्छा को जागृत करते हुए उन्हें संदेश दिया कि आपके जीवन का कोई ना कोई लक्ष्य अवश्य होना चाहिए एवं विद्यार्थियों को बताया कि आप अपने आसपास किसी भी व्यक्ति को हताश और एकाकीपन का जीवन जीते देखते हैं तो भारत के नागरिक होने के नाते आपका यह फर्ज बनता है कि उनसे बातचीत करें उन्हें अपनापन दे और आत्महत्या जैसी गंभीर घटना को संपादित होने से बचाया जा सकता है उद्बोधन के इन्हीं क्रम में राजनीति विभाग के सहायक प्राध्यापक प्रोफेसर अमृतेश शुक्ला ने बताया कि वर्तमान समय में मोबाइल में अनेकों ऐसे गेम है जिससे प्रभावित होकर छोटे-छोटे बच्चों द्वारा आत्महत्या किया जा रहा है नवयुवक अपने जीवन के छोटे-छोटे  समस्याओं का सामना न कर पाने की स्थिति में आत्महत्या को ही एकमात्र रास्ता समझ लेते है। इस कार्यक्रम में वाणिज्य विभाग की प्रोफेसर अत्रिका कोमा भी उपस्थित रही एवं समाजशास्त्र विभाग की विभागाध्यक्ष डॉ श्रीमती चांदनी मरकाम ने कार्यक्रम का संचालन करते हुए बताया कि आत्महत्या को एक सामाजिक समस्या माना जाता है आत्महत्या की स्थिति तब निर्मित होती है जब व्यक्ति स्वयं को समाज के साथ सामंजस स्थापित नहीं कर पाता है और निराशावादी जीवन जीते हुए उसके मन में विचलन की स्थिति उत्पन्न होती है और आत्महत्या की ओर अग्रसर हो जाता है आज विश्व आत्महत्या निषेध दिवस के अवसर पर अनेक छात्र-छात्राओं ने आत्महत्या के कारण को जाना उससे बचने के उपाय जाना तथा समाज में जीवन जीते हुए एक अच्छे नागरिक की भूमिका निभाते हुए यह संकल्प लिया कि अपने आसपास के वातावरण को खुशनुमा बनाते हुए अपने आसपास के किसी भी व्यक्ति को एकांत में पाए जाने पर उससे बातचीत करें और आत्महत्या को रोकने के प्रयास में समाजशास्त्र के विद्यार्थी अपनी अहम भूमिका निभाएंगे इस कार्यक्रम में समाजशास्त्र के प्रथम द्वितीय एवं तृतीय वर्ष के अनेक छात्र-छात्राएं उपस्थित रहे।