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स्वरूपानंद महाविद्यालय विद्यार्थियों ने आयुर्वेद को जाना नई शिक्षा नीति के तहत

  भिलाई. असल बात news.   नई शिक्षा नीति में आयुर्वेद से विद्यार्थियों को परिचित कराने की बात कही गई है जिससे विद्यार्थी हमारी प्राचीन ज्ञान ...

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भिलाई.

असल बात news.  

नई शिक्षा नीति में आयुर्वेद से विद्यार्थियों को परिचित कराने की बात कही गई है जिससे विद्यार्थी हमारी प्राचीन ज्ञान परंपरा को समझ सके साथ ही वनस्पत्ति विज्ञान के छात्रों को व्यवहारिक शिक्षा देने के उद्देश्य से विज्ञान संकाय  विद्यार्थियों व एमएससी माइक्रोबॉयोलॉजी छात्रों को राजीव लोचन आयुर्वेद मेडिकल कॉलेज व चन्दखुरीअस्पताल ले जाया गया। 

कार्यक्रम प्रभारी डॉ. नीना बागची विभागाध्यक्ष वनस्पत्तिशास्त्र ने बताया, औषधी महत्व के पौधों की जानकारी देने व वनस्पत्तियों से कैसे औषधी बनाई जाती है उसका निर्माण प्रक्रिया, संग्रहण व वितरण प्रणाली के बारे में बताना है जिससे वे भविष्य में आयुर्वेद के महत्व को समझने के साथ-साथ स्वरोजगार के रूप अपना सकें।

डॉ. योगेश्वर पांडे, एमडी, क्रिया शरीर, फिजियोलॉजी ने आयुर्वेद के महत्व को बताया व दिनभर की कार्यविधि निश्चित की। 

सर्वप्रथम विद्यार्थियों ने आयुर्वेद चिकित्सा परिसर का विजिट किया। वहाँ उन्होने, ह्दय, किडनी, लंग्स, लीवर व शरीर के विभिन्न अंगों को सुरक्षित कैसे किया जाता है वह देखा व उनकी प्रक्रिया को प्रत्यक्ष समझा। दिनचर्या का प्रारंभ कैसे करना चाहिये व पथ्य, अपथ्य के बारे में योगाचार्य ने जानकारी दी। डॉ. अंजु बेन ने वंडर्स ऑफ़ आयुर्वेद एवं द्रव्यगुण रसायन के बारे में जानकारी दी व विभिन्न प्रकार के औषधी महत्व के बारे में बताया। डॉ. मंजूषा सोन पिपरे ने कहा उत्तम स्वास्थ्य के लिए आयुर्वेद को जीना है वस्तुतः आयुर्वेद एक जीवन पद्धति है उसे अगर आप अपनाते है तो आप हमेशा प्रसन्न रहेगें।

डॉ. अंजू बेन के निर्देशन में विद्यार्थियों ने 250 से अधिक औषधिय महत्व के पौधों को देखा जिसमें कोशाम्र, श्रीआंवला अशोक के दोनों प्रजातियों, पारस-पीपल, मकोई, गुगल, रीठा, वसा, बड़ी इलायची, जीवंती, कदम, निर्मली, कपूर, भारंगी, सत्तपर्णी, एलिफेंट एप्पल, कुट्ज, रक्तचंदन, बच, काली हल्दी आदि अनेक पौधे देखे विद्यार्थियों ने उत्साह पूर्वक बताया की इन पौधों का हमने सिर्फ नाम सुना था आज प्रत्यक्ष देखा।

विद्यार्थियों ने शिशुरोग विभाग, गायनोकालॉजी, हेल्थ एण्ड योगा, एनाटामी विभाग, श्लाक्य तंत्र कायचिकित्सा एवं विभिन्न लैब को देखा। गायनोकोलोजी विभाग में गर्भ संस्कार व स्वर्णप्राशन के बारे में जानकारी दी।  विद्यार्थियों ने अपनी शंकाओं का समाधान किया।

डॉ. राजू साहू, डायरेक्टर एवं डॉ. वंदना फैटिंग प्रिंसिपल ने विशष सहयोग दिया 

महाविद्यालय के मुख्य कार्यकारिणी अधिकारी डॉ. दीपक शर्मा व प्राचार्य डॉ. श्रीमती हंसा शुक्ला ने शैक्षणिक भ्रमण की सराहना की व कहा विद्यार्थी जो क्लास रूम में दस दिनों में भी नहीं सीख पाते। वे शैक्षणिक भ्रमण में एक दिन में ही प्रत्यक्ष अनुभव द्वारा सीख जाते है क्योंकि चीजें उनके सामने प्रत्यक्ष होती है। कार्यक्रम को सफल बनाने में स.प्रा. योगिता लोखंडे, स.प्रा. समीक्षा मिश्रा ने विशेष योगदान दिया।