रायपुर। कोरोना वायरस के लॉकडाउन के बाद से छत्तीसगढ़ में साइबर ठगी के मामले बढ़ने लगे हैं। बीते दिनों राजधानी में 3 अलग-अलग मामलों में साइ...
रायपुर। कोरोना वायरस के लॉकडाउन के बाद से छत्तीसगढ़ में साइबर ठगी के मामले बढ़ने लगे हैं। बीते दिनों राजधानी में 3 अलग-अलग मामलों में साइबर ठगों ने शेयर ट्रेडिंग के नाम पर लोगों को करोड़ों का चूना लगा दिया। इन मामलों के सामने आने के बाद रायपुर रेंज पुलिस महानिरीक्षक अमरेश मिश्रा के निर्देशन पर साइबर थाना रेंज रायपुर ने बड़ी कार्रवाई करते हुए पश्चिम बंगाल, दिल्ली, आंध्र प्रदेश और मध्य प्रदेश से 4 अंतरराज्यीय ठगों को गिरफ्तार किया है। इन सभी आरोपियों को पुलिस ने रायपुर कोर्ट में पेश किया था, जहां से सभी को जेल भेज दिया गया है।
पहला मामला
राजधानी की रहने वाली एक महिला से साइबर ठगों ने शेयर ट्रेडिंग में मुनाफा कमाने के नाम पर 88 लाख रुपये की ठगी की थी। महिला की शिकायत के बाद रेंज साइबर थाना में अज्ञात आरोपियों के खिलाफ मामला दर्ज कर पुलिस मामले की जांच में जुट गई। इस मामले में पुलिस ने उत्तर प्रदेश, बिहार, चेन्नई, कोलकाता से 5 आरोपियों को गिरफ्तार किया था, जबकि दो आरोपी सुमन सिल (उम्र 28 साल) और देवराज कुशवाहा (उम्र 40 साल) फरार चल रहे थे, जिन्हें रायपुर पुलिस ने क्रमशः 24 परगना, पश्चिम बंगाल और भोपाल, मध्य प्रदेश से गिरफ्तार किया है। पुलिस ने इस मामले में आरोपियों के विभिन्न बैंक खातों में मौजूद ठगी के 84 लाख रुपये होल्ड करवाए हैं।
दूसरा मामला
राजधानी के ही एक युवक ने शेयर ट्रेडिंग में मुनाफा कमाने के नाम पर 99 लाख रुपये की ठगी होने की रिपोर्ट थाना तेलीबांधा में दर्ज कराई थी। इस मामले में तेलीबांधा पुलिस ने अज्ञात आरोपियों के खिलाफ अपराध दर्ज कर मामले की जांच रेंज साइबर थाना रायपुर को सौंपी थी। मामले की जांच के दौरान साइबर टीम ने दिल्ली में छिपकर बैठे एक आरोपी दीपक (उम्र 29 साल) को जेजे कॉलोनी, द्वारका सेक्टर 3 में दबिश देकर गिरफ्तार किया। यह ठग मूल रूप से उत्तर प्रदेश के संभल जिले का रहने वाला है।
तीसरा मामला
राजधानी के रहने वाले एक व्यक्ति ने शेयर ट्रेडिंग के नाम पर उनसे 1.16 करोड़ रुपये की ठगी होने की रिपोर्ट पंडरी थाना में दर्ज कराई थी। इस मामले में साइबर टीम ने एक आरोपी को पहले गिरफ्तार किया था। इसी कड़ी में साइबर ठगी के लिए बैंक खाता उपलब्ध कराने के आरोप में पुलिस ने सैयद जानी बासा (उम्र 46 साल) को विजयवाडा, आंध्र प्रदेश से गिरफ्तार किया है। प्रकरण में सभी आरोपियों को गिरफ्तार कर न्यायिक अभिरक्षा में जेल भेजा गया है।
4 महीनों में 400 करोड़ की ठगी का भंडाफोड़, 28 गिरफ्तार
गौरतलब है कि रायपुर रेंज साइबर पुलिस ने बीते 4 महीनों के दौरान बड़े साइबर घोटालों का पर्दाफाश किया है। इसका अंदाजा आप इस बात से लगा सकते हैं कि अब तक 37 मामलों में पुलिस ने 400 करोड़ से अधिक की धोखाधड़ी का भंडाफोड़ करते हुए 28 आरोपियों को गिरफ्तार करने में सफलता हासिल की है। इन ठगों के खिलाफ देश के 30 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में 7900 से अधिक मामले दर्ज हैं।
साइबर ठगी से बचने इन बातों का रखें खास ख्याल
A) शेयर ट्रेडिंग के फर्जी एप्लीकेशन के जरिए होने वाले ठगी का शिकार होने से बचने के लिए अत्यधिक लाभ प्राप्त करने के फेर में ना पड़ें।
B) डिजिटल अरेस्ट जैसा कोई प्रावधान कानून में नहीं है, कोई भी सरकारी एजेंसी फोन पर ऐसी धमकी नहीं देती, वीडियो कॉल पर पूछताछ नहीं करती है और ना ही पैसा की मांग करती है। अगर डर लगे तो समझिए कुछ गड़बड़ है। साइबर अपराधियों के झांसे में ना आएं।
C) साइबर अपराधियों द्वारा सोशल मीडिया के द्वारा गूगल में रिव्यू लिखने के नाम से पैसे कमाने का झांसा दिया जाता है जिसके चक्कर में पड़कर कई लोग साइबर फ्रॉड का शिकार हुए हैं, इससे सावधान रहें।
D) इसी प्रकार वर्क फ्रॉम होम के बहाने फ्रॉड हो रहे हैं जिसके माध्यम से साइबर फ्रॉडस्टर आपको घर बैठे पेंसिल पैकिंग या पीडीएफ फाइल को वर्ड में कन्वर्ट करने का आदि झांसा देकर काम निकलवा लेते हैं, उसके पश्चात किए गए कार्य में गलतियां बता कर पेनल्टी लगाने की बात पर पैसे की मांग की जाती है और पैसे ना देने पर कोर्ट में झूठा मुकदमा का पेपर तैयार कर फर्जी वारंट भेजा जाता है। जिससे घबराकर लोग आरोपियों को रूपये देने तैयार हो जाते हैं। किसी लालच में ना फंसे ना ही घबराएं। कभी भी कोई भी व्यक्ति आपको घर बैठे रुपए कमाने का अवसर नहीं देगा।
पुलिस की जनता से अपील
रायपुर पुलिस ने नागरिकों से आग्रह किया है कि अगर वे किसी भी तरह के साइबर अपराध का शिकार बनते हैं, तो तुरंत अपने निकटतम पुलिस थाने में जाकर एफआईआर दर्ज कराएं। इस संबंध में पुलिस महानिरीक्षक, रायपुर रेंज ने सभी पुलिस अधीक्षकों और थाना प्रभारियों को निर्देश दिए हैं कि किसी भी साइबर अपराध की सूचना मिलने पर तुरंत एफआईआर दर्ज की जाए। अपराध पंजीकरण के बाद, आगे की जांच के लिए प्रकरण को रेंज साइबर थाने में भेजा जाएगा, जहां साइबर अपराध समाधान के लिए आवश्यक सहयोग और मार्गदर्शन उपलब्ध कराया जाएगा। यदि किसी कारणवश थाना में एफआईआर दर्ज नहीं होती है, तो नागरिक पुलिस महानिरीक्षक कार्यालय, रेंज रायपुर से संपर्क कर सकते हैं।