Page Nav

HIDE

Grid

GRID_STYLE

Pages

Classic Header

{fbt_classic_header}

Top Ad

ब्रेकिंग :

latest

Breaking News

Automatic Slideshow


इलाज के अभाव के चलते निजी अस्पताल में 7 वर्षीय आदिवासी मासूम बच्चे की मौत, बिना लाइसेंस चल रहा अस्पताल

   लोरमी.  मुंगेली जिले के लोरमी में एक निजी अस्पताल में 7 वर्षीय आदिवासी मासूम बच्चे की मौत का मामला सामने आया है. दरअसल निजी अस्पताल में इ...

Also Read

  लोरमी. मुंगेली जिले के लोरमी में एक निजी अस्पताल में 7 वर्षीय आदिवासी मासूम बच्चे की मौत का मामला सामने आया है. दरअसल निजी अस्पताल में इलाज के अभाव के चलते भोले भाले मरीजों की जाने जा रही है. इस पूरे मामले में कुछ दिनों पहले ही अस्पताल प्रबंधन के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की गई थी. बावजूद इसके खुलेआम नियम विरुद्ध निजी अस्पताल का संचालन किया जा रहा है. वहीं घटना की जांच के लिए एसडीएम ने स्वास्थ्य विभाग को निर्देशित किया है.



दरअसल यह घटना 1 नवम्बर की बताई जा रही है, जहां लोरमी तहसील अंतर्गत मोहबंधा गांव के आश्रित गांव बांधी निवासी ओंकार गोंड रात करीब 11 बजे मस्तिष्क ज्वर (झटके) से पीड़ित अपने बेटे 7 वर्षीय धनंजय को 50 बिस्तर सामुदायिक अस्पताल में भर्ती कराया. प्राथमिक उपचार के बाद उसे बेहतर इलाज के लिए आधे घंटे बाद जिला अस्पताल के लिए रेफर कर दिया गया. निजी एम्बुलेंस के दलालों ने कम खर्च में बेहतर इलाज का झांसा देकर बच्चे को बुध केयर हॉस्पिटल में एडमिट करने कहा तो परिजनों ने बच्चे को निजी एम्बुलेंस की मदद से निजी अस्पताल में एडमिट कर दिया, जहां बच्चे का समय पर उपचार नहीं होने एवं चाइल्ड विशेषज्ञ चिकित्सीय व्यवस्था नहीं होने के अभाव में मासूम की जान चली गई.

इस मामले काे लेकर मोहबंधा गांव के आश्रित गांव बांधी के सरपंच प्रतनिधि हेमपाल मरावी ने बताया कि घटना के दिन अस्पताल में भर्ती के पहले निजी अस्पताल के स्टाफ से अस्पताल में भर्ती करने को लेकर जाने समय बहस भी हुआ है. बावजूद इसके निजी अस्पताल के स्टाफ ने मनमानी करते हुए उन्हें निजी एंबुलेंस में निजी अस्पताल बुध केयर लेकर चले गए, जहां पर मौके पर कोई भी चाइल्ड रोग के विशेषज्ञ डॉक्टर मौजूद नहीं थे. सरपंच प्रतिनिधि हेमपाल सिंह ने कहा कि मामले को अस्पताल प्रबंधन दबाना चाहती है. आदिवासियों ने प्रशासन से निष्पक्ष जांच कर दोषियों पर उचित कार्रवाई की मांग की है.

सरपंच ने यह भी बताया कि वह रात में बुध केयर हॉस्पिटल में अपने पड़ोसी 7 साल के युवक को भर्ती कराकर घर लौट गए थे. इसके बाद उन्हें सुबह करीब साढ़े 4 से 5 बजे मृतक के परिजनों का कॉल आया कि अस्पताल में पैसा जमा करना है तो उनके द्वारा PNB बैंक ब्रांच के राम सहाय नाम के शख्स के खाते में दो हजार रुपए फोन पे के माध्यम से ट्रांजैक्शन भी किया गया है, जिसका स्क्रीनशॉट वायरल हो रहा है.

नाम बदला काम वही

जानकारी के अनुसार कुछ महीने पहले भी एक गर्भवती महिला की मौत इस निजी अस्पताल में लापरवाही के कारण हुई थी. तब इस अस्पताल का नाम आन्या हॉस्पिटल रखा गया था, जिसमें राजपूत समाज ने जमकर विरोध के बाद दोषी अस्पताल प्रबंधन के खिलाफ पुलिस ने एफआईआर दर्ज करने के बाद उन्हें जेल दाखिल कर दिया गया था, जो इन दिनों जमानत में बाहर आ गए हैं. इसके अलावा कुछ अन्य लोगों द्वारा अस्पताल का संचालन किया जा रहा है, जिनके संरक्षण में बेख़ौफ निजी अस्पताल चल रहा है, जिसका नाम परिवर्तन कर अब बुध केयर अस्पताल रखा गया है. इनके द्वारा मरीजों की जान के साथ खुलेआम खिलवाड़ किया जा रहा है. सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक मामला उजागर होने के बाद अब परिजनों को दबाव देकर शिकायत नहीं करने के लिए लालच देने की बातें भी सामने आई है.

इस घटना को लेकर लोरमी के SDM अजीत पुजारी ने बताया कि 7 साल के मासूम बच्चे की मौत निजी बुध केयर अस्पताल के संचालक की मनमानी से होने की खबर मिली है. इस पूरे मामले में जांच के बाद कार्रवाई की जाएगी. इस बीच उन्होंने लोरमी क्षेत्र के लोगों से निजी क्लीनिक या अस्पताल में इलाज नहीं कराने की अपील करते हुए सभी से सामुदायिक अस्पताल में इलाज कराने की अपील भी की है, ताकि लोगों के जान के साथ निजी अस्पताल संचालकों के द्वारा खिलवाड़ न कर सके.

नर्सिंग होम एक्ट में मनमानी

लोरमी क्षेत्र में नर्सिंग होम एक्ट का खुलेआम उल्लंघन निजी अस्पताल संचालकों द्वारा किया जा रहा है, जिसका ताजा मामला सामने आया है, जो चिकित्सीय व्यवस्था पर बड़ा सवाल खड़ा करता है. एक 7 साल के मासूम बच्चे की मौत हो गई है इस पूरे मामले में अब जिम्मेदार अधिकारी जांच के बाद उचित कार्रवाई के बाद भी कह रहे हैं यह वही अस्पताल है, जहां कुछ माह पहले भी अस्पताल को सील करने के कार्यवाही के साथ प्रबंधन को जेल भेजने की कार्यवाही पुलिस विभाग ने की थी. बावजूद इसके जेल से छूटने के बाद खोलआम धड़ल्ले से सभी नियमों को ताक में रखते हुए अस्पताल का नाम परिवर्तन कर संचालन किया जा रहा है. इससे क्षेत्रवासियों में आक्रोश का माहौल है. बहरहाल इस पूरे मामले में देखना होगा कि संबंधित विभाग द्वारा कब तक 7 साल के मासूम आदिवासी बच्चों की मौत पर जांच के बाद दोषियों के खिलाफ उचित कार्रवाई की जाएगी.