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रायपुर मेँ फांसी की सजा, चार वर्ष के बालक को बर्बरतापूर्वक पेट्रोल डालकर जिंदा जला देने के आरोपी को फांसी की सजा

  रायपुर  . असल बात न्यूज़.               0  विधि संवाददाता      यहां न्यायालय ने चार वर्ष के अबोध बालक को सुनसान खेत-खार में ले जाकर बर्बरत...

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 रायपुर  .

असल बात न्यूज़.  

            0  विधि संवाददाता    

यहां न्यायालय ने चार वर्ष के अबोध बालक को सुनसान खेत-खार में ले जाकर बर्बरतापूर्वक पेट्रोल डालकर,जिंदा जलाकर हत्या कर देने के आरोपी को फांसी की सजा सुनाई है. अभियुक्त और प्रार्थी के परिजन एक दूसरे से परिचित हैँ तथा आसपास ही रहते थे. न्यायालय ने माना  कि अभियुक्त ने जिस बर्बरतापूर्वक हत्या की है उससे उसे दंड देने में नरमी बरतना न्यायोचित नहीं होगा. यह घटना अप्रैल 2022 की है जिसमें 2 साल 8 महीने के भीतर न्यायालय का निर्णय आ गया है. सप्तम सत्र न्यायाधीश रायपुर श्रीमती वंदना दीपक देवांगन के न्यायालय ने यह सजा सुनाई है. आरोपी गिरफ्तार के बाद से लगातार न्यायिक हिरासत में है. 

 अभियोजन पक्ष के अनुसार मामले का संक्षिप्त विवरण इस प्रकार है कि प्रकरण में अमृत बालक की मां श्रीमती पुष्पक चेतन ने गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराई थी. वह उरला थाना क्षेत्र के अंतर्गत के निवासी है. उसने थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई कि आरोपी पंचराम उर्फ़ मन्नू उसके दोनों लड़कों को दिव्यांश उम्र 5 वर्ष और हर्ष चेतन उम्र 4 वर्ष को मोटरसाइकिल से बिठाकर घूमने ले गया था. बड़े लड़के को तो लाकर छोड़ दिया. हर्ष को नहीं लाया और वह भी गायब हो गया. जिस पर उसने अपने बच्चों के गुमशुदगी की  रिपोर्ट दर्ज करायी. पुलिस ने जांच शुरू की तो आरोपी के मोबाइल का लोकेशन नागपुर महाराष्ट्र में होना पाया गया. उसके आधार पर पुलिस टीम वहां पहुंची और आरोपी को गिरफ्तार किया गया है. प्रकरण में यह तथ्य सामने आया है कि आरोपी ने, प्रार्थया श्रीमती पुष्पा चेतन के अव्यस्क पुत्र हर्ष चेतन को उसके विधिपूर्ण संरक्षक्त में से व्यपहरण किया और उसकी हत्या किए जाने के आशय से उसे ग्राम नेवनारा एवं अकोली खेतखार के मध्य थाना बेरला जिला बेमेतरा में बाबुल झाड़ के पास ले जाकर पेट्रोल डालकर उसे जिंदा जला दिया. 

 न्यायालय ने दोष सिद्ध होने पर अभियुक्त को भारतीय जनता की धारा 363 के अपराध में 5 वर्ष धारा 364 के अपराध में 10 वर्ष के सश्रम कारावास और धारा 302 के अपराध में मृत्युदंड फांसी की सजा सुनाई है. न्यायालय ने अपने निर्णय में कहा है कि अभियुक्त को उसकी गर्दन में फांसी लगाकर तब तक लटकाया जाए जब तक उसकी मृत्यु ना हो जाए. न्यायालय ने इस प्रकरण को वायरस से विरलतम माना है और अपने निर्णय में कहा है कि अपराध का हेतु जिस तरह से अपराध कृत किया गया उसमें कुर्ता पजाकारों के मध्य वेश्वशीक संबंध एवं न्यास की स्थिति, बालक हर्ष चेतन का श्राद्ध निर्देश आसाराम निहत्था होना अपराध की भयावता, ये तथ्य इस प्रकरण को विरल से विरलतम बनाते हैं. अभियुक्त के कृत्य की प्रकृति को देखते हुए उसके साथ न्यायिक नम्रता की गई तो इसे न्यायिक पंगुता मानकर ऐसे अपराधी,अपराध के लिए प्रोत्साहित होंगे. 4 वर्षीय बोध मासूम बालक की मृत्यु कारित करने का कोई कारण नहीं था. दंड के माध्यम से समाज से अपराध की पुनरावृति को कड़ाई से रोका जा सकता है.

 न्यायालय ने प्रकरण में पीड़ित  के माता-पिता को पीड़ित प्रतिकर  योजना के तहत समुचित प्रतिकर राशि प्रदान करने का भी आदेश सुनाया है.


  प्रकरण मेँ अभियोजन पक्ष की ओर से अतिरिक्त लोक अभियोजक पारेश्वर बाघ में पैरवी की.