छत्तीसगढ़ . असल बात न्यूज़. नगर पालिका संशोधन विधेयक 2024 क्रमांक 11 और क्रमांक 12 स्वीकृत, स्थानीय निकायों के चुनाव में अध्यक्ष और महाप...
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नगर पालिका संशोधन विधेयक 2024 क्रमांक 11 और क्रमांक 12 स्वीकृत, स्थानीय निकायों के चुनाव में अध्यक्ष और महापौर का चुनाव प्रत्यक्ष विधि से कराने का रास्ता खुलेगा, विपक्ष ने नहीं लिया चर्चा में हिस्सा
छत्तीसगढ़ में नगर निगम,नगर पंचायत और नगर पालिकाओ.में महापौर और अध्यक्ष का चुनाव अब प्रत्यक्ष विधि से कराये जाने का रास्ता खुलता जा रहा है. विधानसभा में आज नगर पालिका संशोधन विधेयक 2024 क्रमांक 11 और क्रमांक 12 को पास कर लिया गया है.इस विधेयक में नगर पंचायत, नगर पालिका और नगर निगमों में अध्यक्ष और महापौर का चुनाव प्रत्यक्ष विधि से कराए जाने का प्रावधान किया गया है.इसके साथ ही इन चुनाव में अन्य पिछड़ा वर्ग को सुप्रीम कोर्ट की नई गाइडलाइन के अनुसार आरक्षण देने का भी प्रावधान किया गया है.वहीं अब नए विधेयक के क़ानून बन जाने के बाद अक्टूबर 2024 तक की तिथि तक 18 वर्ष की आयु पूरी कर लेने वाले युवाओं को मतदान करने का अधिकार मिल सकेगा.और संभवत यह नई मतदाता सूची बन जाने के बाद ही नगरीय निकायो को चुनाव कराया जाएगा.ऐसे में नगरीय निकायों का चुनाव कराने में निर्धारित समय से अपेक्षाकृत कुछ देरी हो सकती है.वार्डों और महापौर के पदों का आरक्षण नए कानून के अनुसार हो सकता है.सदन में विपक्ष ने इन दोनों संशोधनों को संविधान के प्रावधानों के विपरीत बताते हुए वाकआउट कर दिया और इसकी चर्चा में हिस्सा नहीं लिया.
नगरीय प्रशासन एवं विकास मंत्री उपमुख्यमंत्री अरुण साव ने सदन में दोनों विधेयकों को अलग-अलग प्रस्तुत किया.इस प्रस्ताव को सदन में प्रस्तुत करने के पहले नेता प्रतिपक्ष चरण दास महंत,उमेश पटेल, राघवेंद्र सिंह और विपक्ष के अन्य सदस्यों ने इस विधेयक को संविधान के प्रावधानों के विपरीत बताया. सदस्य राघवेंद्र सिंह ने सुरेश महाजन वर्सेस स्टेट आफ मध्य प्रदेश सहित विभिन्न न्यायिक निर्णयों का हवाला देते हुए कहा कि इस डिसीजन में जो प्रावधान किया गया है वह सिर्फ मध्य प्रदेश और झारखंड तक सीमित नहीं है बल्कि यह पूरे देश में प्रावधानित होता है. हम ऐसे विधेयक लाकर कॉन्स्टिट्यूशन के ऊपर कैसे जा सकते हैं. नेता प्रतिपक्षप्रति पक्ष श्री महंत ने इसे प्वाइंट आफ ऑर्डर के विषय के के माध्यम से सदन में उठाते हुए कहा कि यह विधेयक संविधान को सुपरसीट करने का विषय है. इस पर ना तो विधानसभा में विधे यक लाया जा सकता है ना ही राज्यपाल इस पर कानून बना सकते हैं.सदस्य उमेश पटेल ने कहा कि नगरीय निकायों के चुनाव की अवधि 5 साल की है तो 5 साल की ही अवधि होनी चाहिए इसे बढ़ाया नहीं जाना चाहिए. संविधान को एक तरफ रखकर विधे यक को पास करने का कैसे निर्णय लिया जा सकता है.
विपक्ष के सदस्यों ने इस पर आसंदी से व्यवस्था मांगी.स्पीकर डॉक्टर रमन सिंह ने इस पर व्यवस्था देते हुए कहा कि इस विधायक को सदन पर पुनर्स्थापन के समय विपक्ष के सदस्यों के द्वारा आपत्ति की गई थी. उन्होंने उल्लेख करते हुए कहा कि उस समय सदस्य भूपेश बघेल ने इस विधायक के पुनर्स्थापना पर आपत्ति करते हुए कहा था कि इस विधेयक के माध्यम से नगर पालिका नगर निगमों का कार्यकाल 6 महीने बढ़ाने का प्रावधान किया जा रहा है.जबकि यह विधेयक सिर्फ कार्यकाल बढ़ाने के प्रावधान से संबंधित नहीं है. पूर्व में कई स्थानीय निकायों में विशेष परिस्थितियों में चुनाव नहीं कराया गया,उस स्थिति में उत्पन्न विसंगतियों को दूर करने के लिए यह विधेयक लाया गया है.विपक्ष के सदस्य,आसंदी की व्यवस्था से संतुष्ट नहीं हुए और सभी सदस्यों ने नारेबाजी करते हुए सदन से बहिर्गमन कर दिया. इसके पहले सदस्यों ने यह विधेयक सदन में लाये जाने पर बोलते हुए कहा कि इस विधेयक के तकनीकी पहलुओं पर विषय के विशेषज्ञों कानूनविदो से चर्चा कर ली जाए तब इसे सदन में रखा जाए.हम संविधान की सुरक्षा के लिए बैठे हैं.डेमोक्रेसी में सही समय में चुनाव कर लेना जरूरी है और यह लोगों की मांग भी है. विधेयक एक दिन बाद प्रस्तुत कर ले तो हम सब सहयोग कर सकते हैं.इसके सभी पहलुओं पर हम सब मिल बैठकर चर्चा करेंगे. संविधान के विपरीत चर्चा होगी तो हम इसका हिस्सा नहीं बन सकते.
आसंदी की व्यवस्था होने के बाद विभाग के मंत्री उपमुख्यमंत्री अरुण साव ने सदन में इस विधेयक को प्रस्तुत करते हुए कहा कि ग्राम पंचायत के चुनाव में पांच और सरपंच के चुनाव के स्पष्ट प्रावधान है.सरपंच नहीं रहता तो 6 महीने के भीतर उसका चुनाव कर लिया जाता है.नगर निगम में इसका स्पष्ट प्रावधान नहीं है.उन्होंने उल्लेखित किया कि भारत निर्वाचन आयोग ने अभी मतदाता सूची बनाने के विषय में महत्वपूर्ण संशोधन किया है. अब हर तीसरे महीने में मतदाता सूची में नाम जुड़वाया जा सकता है.यह विधेयक,नए मतदाताओं को भी मतदान करने का अधिकार प्रदान करेगा.नए विधेयक से स्थानीय निकायों के चुनाव के लिए पार्षद, अध्यक्ष और पार्षदों की आयु सीमा भी निश्चित हो जाएगी.इसमें पार्षद पद के लिए 21 वर्ष और अध्यक्ष व महापौर पद के लिए 25 वर्ष आयु सीमा निर्धारित की जा रही है.विभागीय मंत्री ने विधेयक प्रस्तुत करते हुए कहा कि यह विधेयक बिल्कुल भी असंवैधानिक नहीं है.यह संशोधन राज्य का सब्जेक्ट है.विधेयक के माध्यम से नगर पालिका,नगर निगम में कहीं भी कार्यकाल बढ़ाने का निर्णय नहीं हो रहा है. इसके माध्यम से सुप्रीम कोर्ट ने जो नई गावरान दी है ओबीसी कैटेगरी के रिजर्वेशन के संदर्भ में उसे पर भी प्रावधान किया जाएगा और ओबीसी वर्ग को आरक्षण का लाभ मिल सकेगा.
नगर पालिका संस्थान विधायक 2024 क्रमांक 12 को प्रस्तुत करते हुए विभागीय मंत्री अरुण साव ने कहा कि पिछले सरकार ने अपने लोगों को लाने के लिए नगर निगम नगर पालिका नगर पंचायत के चुनाव में संशोधन कर लिया. यह संविधान की मूल भावना के विपरीत था. हम नए विधेयक के माध्यम से जवाब दे पारदर्शी नगर प्रशासन का गठन करने का प्रयास कर रहे हैं. छत्तीसगढ़ राज्य बनने के बाद से यहां स्थानीय निकायों के महापौर और अध्यक्ष को चुनने का अधिकार आम जनता के पास था हम यह अधिकार उन्हें फिर से देने जा रहे हैं.भारत निर्वाचन आयोग ने मतदाता सूची बनाने के संबंध में नए प्रावधान किए हैं ताकि कोई भी बात मतदाता मतदान करने से वंचित ना रह जाए. कल्याण आयोग की सिफारिश के अनुसार ओबीसी वर्ग को 50% तक आरक्षण मिल सकता है. नए कानून से स्थानीय निकायों में एक मजबूत जवाबदेह सरकार बनेंगी जो बेखौफ होकर काम कर सकेगी. उस पर बार-बार हटाए जाने का दबाव नहीं रहेगा. वह सरकार विकास के कामों पर पूरा ध्यान केंद्रित कर सकेगी. सदस्य रोहित साहू ने इस पर बोलते हुए कहा कि अब युवाओं को प्रत्येक 3 माह में, मतदाता सूची में नाम जुड़वाने का अवसर मिल सकेगा.
इस विषय पर सदस्य रिकेश सेन, मोतीलाल साहू तथा धर्म लाल कौशिक सिंह ने भी अपने विचार रखें.सदस्य श्री कौशिक ने इस पर बोलते हुए कहा कि पिछली सरकार ने जो व्यवस्था कर ली थी उससे अध्यक्षों और महापौर का पहला काम अपनी कार्यकारिणी के लोगों को खुश करना हो गया था. जो खुश करने में असफल रहे थे वे महापौर हटा भी दिए गए. अब नए प्रधान से पार्षद अध्यक्ष महापौर का सीधी चुनाव होगा तथा उनको हटाने की प्रक्रिया आसान नहीं रहेगी इससे यह सब अपना कार्यकाल पूरा करेंगे. ओबीसी वर्ग के लोगों का वार्डों में भी आरक्षण सोनाक्षी होगा.नए प्रावधान से कहीं पार्षद का चुनाव छूट जाता है तो वहां स्पष्ट रूप से 6 महीने के बाद चुनाव कराया जाएगा.आम जनता जन- प्रतिनिधि चुनेंगे तो उससे लोगों का उन पर विश्वास बढ़ेगा. प्रेशर पॉलिटिक्स खत्म हो जाएगी. नगरीय निकाय की व्यवस्था सुदृढ़ होगी.
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