आरोपी बार-बार बालिका का पीछा करता था दुर्ग . असल बात न्यूज़. 0 विधि संवाददाता अठाइस साल का एक आरोपी लगभग 10 साल की स्क...
आरोपी बार-बार बालिका का पीछा करता था
दुर्ग .
असल बात न्यूज़.
0विधि संवाददाता
अठाइस साल का एक आरोपी लगभग 10 साल की स्कूली बालिका का रास्ता रोककर हाथ बांह पकड़कर आपराधिक बल का प्रयोग करता था, लेटर दिया. इसके बारे में किसी को बताने पर उठा कर ले जाने की धमकी देता था. आरोपी बार-बार बालिका का पीछा करता था. अपर सत्र न्यायाधीश चतुर्थ एफटीसी दुर्ग श्रीमती संगीता नवीन तिवारी के न्यायालय ने इस मामले में आरोपी के विरुद्ध दोष सिद्ध पाया है और आरोपी को पोक्सो एक्ट लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम 2012 की धारा दस में 5 वर्ष के सश्रम कारावास की सजा सुनाई है.न्यायालय ने अपने निर्णय में कहा है कि बालकों के विरुद्ध दैनिक अपराधों की बढ़ती घटनाएं गंभीर प्रकृति की होने के साथ सामाजिक व्यवस्था के प्रति गंभीरतम श्रेणी का अपराध है. अभियुक्त को दंड देने में नरम रुख अपनाना न्यायोचित नहीं है.
यह दुर्ग जिले के मोहन नगर थाना क्षेत्र के अंतर्गत की 9 सितंबर 2023 की घटना है. न्यायालयो के द्वारा पोक्सो एक्ट के मामले में अभी तेजी से विचारण और सुनवाई की जा रही है और इस प्रकरण में भी न्यायालय का निर्णय लगभग एक साल 2 महीने के भीतर आ गया है.जैसा कि हम बता चुके हैं कि प्रकरण में अभियुक्त की उम्र 28 साल की है और वह 10 साल से कम उम्र की स्कूली बच्ची को प्रताड़ित करता था. अभियोजन पक्ष के अनुसार प्रकरण की कहानी इस प्रकार है कि पीड़िता के पिता के द्वारा स्थानीय मोहन नगर थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई गई थी. पीड़िता भी रिपोर्ट दर्ज कराने साथ में थाना गई थी. आरोपी ने,पीड़िता के स्कूल से लौटते समय उसका रास्ता रोककर सदोष अवरोध कारित किया तथा लैंगिक आशय से उसका हाथ -बांह पकड़कर उस पर आपराधिक बल का प्रयोग कर शारीरिक संपर्क कर गुरुत्तर लैंगिक हमला कारित किया.तथा अप्राप्तवय अभियोकत्री के स्कूल डांस क्लास और कहीं भी आते -जाते समय उसके पास आकर उसका मोबाइल नंबर मांग कर उसकी इच्छा के विरुद्ध उससे व्यक्तिगत अन्योंय क्रिया को आगे बढ़ाने के लिए संपर्क करने का प्रयास किया तथा उसे जान से मारने की धमकी देकर अपराधिक अभित्रास किया. पीड़िता ने घटना की जानकारी अपनी मां को थी. इसके बाद दूसरे दिन थाना में जाकर उसके पिता के द्वारा रिपोर्ट दर्ज कराई गई.
प्रकरण में थाने में भारतीय दंड संहिता की धारा 341, 354, 352 घ 506 एवं पॉकसो एक्ट की धारा 10 के अंतर्गत अपराध कायम किया गया.
प्रकरण में बचाव पक्ष में अपने बचाव में यह तर्क लिया कि अभियोक्तरी एवं उसके माता-पिता के कथनों में गंभीर विसंगतियां एवं विलुप्तिया हैं तथा घटना की रिपोर्ट एक दिन देर से दर्ज कराई गई. बचाव पक्ष ने यहां यह भी तर्क लिया कि प्रकरण में घटना स्थल के आसपास के किसी स्वतंत्र व्यक्ति को साक्षी नहीं बनाया गया है. अभियोत्री इक बाल साक्षी है उसको सिखाएं पढ़ाए जाने की प्रबल संभावना है.
न्यायालय ने साक्षयों के आधार पर अभियुक्त के विरोध दोष सिद्ध पाया.
प्रकरण में अभियोजन पक्ष की ओर से विशेष लोक अभियोजक संतोष कसार ने पैरवी की.