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जिला अध्यक्षों की घोषणा,ही इतना महत्वपूर्ण विषय नहीं कि,राष्ट्रीय समिति पूरा ध्यान इस पर ही केंद्रित करें, जिस दिन समय मिला,अचानक हो जाएगी घोषणा, महिलाओं को भी स्थान देने की रणनीति

  कौन से वे दो जिले हो सकते हैं जहां जिला अध्यक्षों का नाम,अभी   रोककर रखा जा सकता है.? जिला अध्यक्षों की घोषणा,ही इतना महत्वपूर्ण विषय नहीं...

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 कौन से वे दो जिले हो सकते हैं जहां जिला अध्यक्षों का नाम,अभी   रोककर रखा जा सकता है.?


जिला अध्यक्षों की घोषणा,ही इतना महत्वपूर्ण विषय नहीं कि,राष्ट्रीय  समिति पूरा ध्यान इस पर ही केंद्रित करे,जिस दिन समय मिला,अचानक हो जाएगी घोषणा, महिलाओं को भी स्थान देने की रणनीति

नई दिल्ली,छत्तीसगढ़.

असल बात न्यूज़    

            0 विशेष संवाददाता 

यह अलग बात है कि यहां भाजपा के जिला अध्यक्षों की,अनुमान के अनुसार,अभी तक घोषणा नहीं हो पाई है,लेकिन यहां तमाम विवादों और गुटबाजी से दूर रहकर जिस तरह से संगठन चुनाव को तेजी से निपटाया गया है और अध्यक्षों का प्रस्तावित पैनल तैयार किया गया है,उसकी, खबर है कि पूरे देशभर में तारीफ हो रही है.पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री नड्डा ने भी इसकी तारीफ की है.सूत्रों के अनुसार आसन्न नगरीय निकाय के चुनाव के मद्देनज़र यहां पार्टी के जिला अध्यक्षों का पिछले 30 दिसंबर तक सर्वसम्मति से चयन कर लेने की तैयारी कर ली गई थी,लेकिन आरक्षण के नए प्रावधानों के अनुरूप यह चुनाव कराने के निर्णय के चलते स्थानीय निकाय चुनाव करने की तारीख बढ़ गई है तो अब राष्ट्रीय नेतृत्व के लिए भी छत्तीसगढ़ के नए जिलाध्यक्षों की शीघ्र या तुरंत घोषणा कर देना अधिक महत्वपूर्ण विषय नहीं रह गया है.पार्टी इस बार अपने नए जिला अध्यक्षों में महिला प्रतिनिधियों को,भी कम से कम 33 प्रतिशत तक जगह देने की मानसिकता में है.पार्टी ने यह तो पूरी तरह से तय कर लिया है कि पुराने चेहरे को कहीं भी रिपीट नहीं किया जाएगा. जिन अध्यक्षों का कार्यकाल अभी सिर्फ एक वर्ष तक ही हुआ है उनके नाम को पैनल में शामिल तो किया गया है लेकिन उनका इतना अधिक विरोध हो रहा है कि कहीं भी इन्हें जगह मिलने की संभावना नजर नहीं आ रही है. सूत्रों से यह भी खबर मिली है कि जब नए जिला अध्यक्षों की घोषणा होगी तो दो जिलों में,अभी इनका नाम रोककर रखा जा सकता है.

छत्तीसगढ़ में भाजपा के नए जिला अध्यक्षों की, दिसंबर महीने में ही घोषणा हो जाने वाली थी,और नए जिला अध्यक्ष,नए साल का धूमधाम से स्वागत कर सकेंगे इसकी काफी कुछ तैयारियां कर ली गई थी.इतनी जल्दबाजी में इस तरह से,नए जिला अध्यक्षों की घोषणा करने की तैयारी के पीछे पार्टी की यह मानसिकता रही थी कि नगरीय चुनाव की आचार संहिता लगने के पहले सभी जगह नए जिला अध्यक्ष बना दिए जाएंगे.अब साफ हो गया है कि यहां नगरीय चुनाव के लिए 15 जनवरी से पहले आचार संहिता लगने वाली नहीं है,तो पार्टी के राष्ट्रीय  नेतृत्व के लिए छत्तीसगढ़ के नए जिला अध्यक्षों की,शीघ्र घोषणा कर देना कोई बहुत अधिक महत्वपूर्ण नहीं रह गया है.

जो जानकारी है उसके अनुसार देश के सभी राज्यों में भाजपा के संगठन चुनाव हो रहे हैं और जिला अध्यक्षों के साथ प्रदेश अध्यक्ष का चुनाव होना है. लेकिन छत्तीसगढ़ वह राज्य बनकर सामने आया है जहां संगठन चुनाव बिना विवादों के तेजी से पूरे कराए गए हैं और जिला अध्यक्षों का भी पैनल बनाकर राष्ट्रीय नेतृत्व के पास भेज दिया गया है. पिछले दिनों पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा ने छत्तीसगढ़ के संगठन चुनाव की तारीफ करते हुए कहा कि किस राज्य में संगठन चुनाव की प्रक्रिया जिस तरह से तेजी से पूरी की गई है वह तारीफ के काबिल है.

अब सवाल यह उठता है कि जब संगठन चुनाव की कड़ी में राष्ट्रीय नेतृत्व ने जिला अध्यक्षों का चयन करने की की पूरी तैयारी कर ली थी तो अब इस की घोषणा करने में,आखिर देरी क्यों हो रही है ?इसका सीधा-सीधा कारण यही बताया जा रहा है कि पार्टी के लिए छत्तीसगढ़ के जिला अध्यक्षों की ही तुरंत घोषणा करना बहुत अधिक महत्वपूर्ण विषय नहीं है. यहां जिला अध्यक्ष की बहुत बेसब्री से प्रतीक्षा हो रही है, उत्सुकता से इंतजार किया जा रहा है लेकिन हमारे पास जो जानकारी है उसके अनुसार देश के दूसरे राज्यों से तो अभी जिला अध्यक्षों का पैनल ही नहीं पहुंचा है. लेकिन दूसरे राज्यों को भी दस जनवरी के पहले तक जिला अध्यक्षों का पैनल भेज देने को कह दिया गया है. इधर अभी दिल्ली में चुनाव होने जा रहा है. राष्ट्रीय नेतृत्व  का ध्यान पूरी तरह से उस पर फोकस है. तो ऐसे में राष्ट्रीय चुनाव समिति को जिस दिन में थोड़ा समय मिला तो जिला अध्यक्षों की घोषणा कर दी जाएगी. लेकिन यह इतना अधिक महत्वपूर्ण विषय नहीं है कि सिर्फ इसी पर ही पूरा ध्यान केंद्रित किया जा रहा है.

प्रदेश स्तर से एक-एक जिले से  जिला अध्यक्षों के लिए तीन-तीन नाम का पैनल भेजा गया है. सूत्रों से यह जानकारी सामने आ रही है कि इन नाम में भी कुछ नाम पर आपत्तियां हो रही हैं. इसके चलते हैं दो-तीन जिलों के जिला अध्यक्षों के नाम की घोषणा  को अभी रोका भी जा सकता है. इसमें दो बड़े जिले शामिल बताए जा रहे हैं. इधर पार्टी की गाइडलाइन में यह स्पष्ट किया गया है कि किसी भी पुराने अध्यक्ष को दोबारा जगह नहीं दी जाएगी. ऐसे में सवाल उन अध्यक्षों के बारे में उठ रहा है जिनका अभी एक वर्ष का कार्यकाल पूरा नहीं हुआ है अथवा इन्हें अध्यक्ष बने इससे कुछ ही अधिक समय हुआ है. ऐसे जिलों में धमतरी,बालोद,भिलाई,रायपुर दक्षिण और सरगुजा के एक जिले का नाम शामिल है.कुछ जिले के अध्यक्ष की कई जगह शिकायतें होने की वजह से किसी नए चेहरे के अध्यक्ष बनने की संभावना अधिक बनी हुई है. वैसे सूत्र बता रहे हैं कि इन सभी जिलों के पुराने अध्यक्ष के नाम की भी समीक्षा की गई है.और कुछ जगह तो पुराने चेहरों का नाम भी पैनल में शामिल कर लिया गया है. लेकिन पैनल में इनका स्थान सबसे पीछे रखा गया है.

छत्तीसगढ़ में भाजपा को अपने 36 जिलों के अध्यक्षों का चयन करना है. अंदरुनी सूत्रों से पता चला है कि पैनल में जो नाम शामिल है उनमें कुछ नाम को अध्यक्ष बनाने के लिए तगडी फील्डिंग की जा रही है और कहीं मिस फील्डिंग भी की गई है. इसकी वजह से पैनल के कुछ संभावित नाम खतरे में पड़ गए हैं.

भाजपा के नए जिला अध्यक्षों की घोषणा होगी तो उसमें महिला वर्ग एससी एसटी और अन्य पिछड़ा वर्ग का पर्याप्त प्रतिनिधित्व देखने को मिल सकता है. यह भी हो सकता है कि कहीं पैनल में महिला का नाम नहीं है तो वहां ऊपर से किसी महिला का नाम जोड़कर उसे अध्यक्ष बनाया जा सकता है. फिलहाल नए जिला  अध्यक्षों के नाम का अभी तैयार करना पड़ेगा. यह समझा जा सकता है कि पार्टी नेतृत्व के लिए छत्तीसगढ़ के जिला अध्यक्षों की घोषणा करना ही बहुत अधिक महत्वपूर्ण विषय नहीं है. नगरीय निकाय चुनाव के टलने के बाद समीकरण काफी कुछ बदल गए हैं. लेकिन अचानक कभी भी  जिला अध्यक्षों की घोषणा हो जाए तो यह आर्षाजनक नहीं होगा.और हमने पिछले दिनों नए जिला अध्यक्षों के संभावित नामों की सूची दी है, हो सकता है कि इन्हीं में से नाम फाइनल होते दिखेंगे.