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स्वरूपानंद महाविद्यालय में देश का प्रकृति परीक्षण अभियान,संकल्प स्वास्थ्य का, आधार आयुर्वेद का

  भिलाई. असल बात news. स्वरूपानंद सरस्वती महाविद्यालय, भिलाई में भारत सरकार के आयुष मंत्रालय द्वारा निर्देशित "प्रकृति परीक्षण अभियान...

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 भिलाई.

असल बात news.

स्वरूपानंद सरस्वती महाविद्यालय, भिलाई में भारत सरकार के आयुष मंत्रालय द्वारा निर्देशित "प्रकृति परीक्षण अभियान" का आयोजन किया गया। इस विशेष कार्यक्रम का आयोजन महाविद्यालय के वनस्पत्ति विभाग, आईक्यूएसी और राजीव लोचन आयुर्वेद मेडिकल कॉलेज एवं हॉस्पिटल, चंदखुरी, दुर्ग के संयुक्त तत्वावधान में किया गया।  इस शिविर में महाविद्यालय के शैक्षणिक एवं गैर-शैक्षणिक स्टाफ के साथ-साथ विद्यार्थियों ने बड़ी संख्या में भाग लिया। शिविर का उद्देश्य प्रतिभागियों को उनकी शारीरिक प्रकृति, स्वास्थ्य और जीवनशैली प्रबंधन के बारे में जानकारी देना था। शिविर में सभी प्रतिभागियों का व्यक्तिगत रूप से प्रकृति परीक्षण किया गया, जिससे उन्हें आयुर्वेद के सिद्धांतों के अनुरूप अपने स्वास्थ्य को बेहतर बनाने के उपाय समझने में मदद मिली।  

राजीव लोचन आयुर्वेद मेडिकल कॉलेज से आयुर्वेद के जाने-माने डॉक्टर और विशेषज्ञ उपस्थित रहे, जिन्होंने सभी प्रतिभागियों का प्रकृति परीक्षण किया। इनमें प्रमुख रूप से डॉ. अंजू बैन,एम.डी. द्रव्यगुण,   डॉ. योगेश्वर पांडे फिजियोलॉजिस्ट, डॉ. धर्मपाल सिंह ठाकुर, (एनाटॉमी विशेषज्ञ)  डॉ रुबीना, (स्त्रीरोग विशेषज्ञ) उपस्थित थे।  

कार्यक्रम के उद्देश्यों पर प्रकाश डालते हुए वनस्पत्ति विभाग की विभागाध्यक्ष, डॉ. नीना बागची, ने बताया कि आयुर्वेद के माध्यम से शरीर की प्रकृति को समझकर स्वस्थ जीवनशैली अपनाई जा सकती है।

महाविद्यालय प्राचार्य डॉ. हंसा शुक्ला ने अपने उद्बोधन में कहा कि, "हमारा शरीर पंचतत्त्वों - पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु और आकाश - का मेल है। यदि हम अपने शरीर की प्रकृति को समझ लें और उसी के अनुरूप आहार-विहार अपनाएं, तो हमारा जीवन स्वस्थ और निरोगी रहेगा। आयुर्वेद हमें इस संतुलन को बनाए रखने में मदद करता है।"  

डॉ. अंजू बैन ने बताया, "प्रकृति परीक्षण से व्यक्ति अपने शरीर की प्राकृतिक संरचना को समझ सकता है। यह परीक्षण केवल बीमारियों का निदान नहीं, बल्कि स्वस्थ जीवनशैली के निर्माण का मार्गदर्शन करता है। आयुर्वेद की दैनिक और ऋतुचर्या का पालन कर हम शारीरिक विकृतियों को दूर कर सकते हैं।"  

डॉ. योगेश्वर पांडे  ने कहा, "प्रकृति परीक्षण से व्यक्ति अपनी प्रकृति के अनुरूप आहार और दिनचर्या अपना सकता है। इसका उद्देश्य केवल उपचार नहीं, बल्कि स्वस्थ व्यक्ति को निरोगी बनाए रखना है। हेल्दी लाइफस्टाइल अपनाने से न केवल स्वास्थ्य बेहतर होता है, बल्कि चिकित्सा पर होने वाले खर्च को भी बचाया जा सकता है।"  


डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म के माध्यम से शिविर में सभी प्रतिभागियों ने "प्रकृति परीक्षण" ऐप डाउनलोड किया। इस ऐप के माध्यम से प्रतिभागियों को एक डिजिटल प्रकृति कार्ड प्रदान किया जाएगा। यह कार्ड भविष्य में आयुर्वेदिक चिकित्सा के लिए उपयोगी होगा, क्योंकि इससे पुनः प्रकृति परीक्षण की आवश्यकता नहीं पड़ेगी।  इसके अलावा, ऐप के माध्यम से समय-समय पर आयुर्वेद के सिद्धांतों के अनुसार स्वास्थ्य संबंधी महत्वपूर्ण जानकारी, जैसे आहार-विहार, दिनचर्या और ऋतुचर्या, प्रदान की जाएगी। यह पहल प्रतिभागियों को आयुर्वेद से जोड़ते हुए सकारात्मक स्वास्थ्य की ओर प्रेरित करेगी।  यह शिविर न केवल बीमारियों के निदान और उपचार तक सीमित था, बल्कि स्वस्थ व्यक्तियों को स्वास्थ्य बनाए रखने के लिए जागरूक करना भी इसका मुख्य उद्देश्य था। 

मुख्य कार्यकारिणी अधिकारी डॉ. दीपक शर्मा ने भारत सरकार के इस पहल सराहना करते हुए कहा कि आयुर्वेद के इस अभियान ने निश्चित ही प्रतिभागियों को जीवनशैली में बदलाव करने और स्वस्थ जीवन जीने के लिए प्रेरित किया है l

कार्यक्रम में मंच संचालन डॉ. नीना बागची ने तथा धन्यवाद ज्ञापन डॉ. शिवानी शर्मा, आईक्यूएसी समन्वयक ने प्रस्तुत किया। इस शिविर ने महाविद्यालय परिवार और विद्यार्थियों को आयुर्वेद के महत्व से परिचित कराते हुए स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता बढ़ाने में अहम भूमिका निभाई।