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लाल किले में पहुंची छत्तीसगढ़ की झांकी, भारत पर्व 2025 में बढ़ाएगी शोभा

*लाल किले में 26 जनवरी से 31 जनवरी तक होगा भारत पर्व का आयोजन रायपुर  . असल बात news.  25 जनवरी 2025. नई दिल्ली के ऐतिहासिक लाल किले में इस ...

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*लाल किले में 26 जनवरी से 31 जनवरी तक होगा भारत पर्व का आयोजन

रायपुर  .

असल बात news. 

25 जनवरी 2025.

नई दिल्ली के ऐतिहासिक लाल किले में इस वर्ष गणतंत्र दिवस के अवसर पर आयोजित होने वाले भारत पर्व 2025 में छत्तीसगढ़ की झांकी विशेष आकर्षण का केंद्र बनेगी। छत्तीसगढ़ की झांकी में राज्य की समृद्ध जनजातीय परंपराओं और रामनामी समुदाय की विशिष्ट झलक प्रस्तुत की गई है। यह झांकी छत्तीसगढ़ की सांस्कृतिक धरोहर, पारंपरिक लोक जीवन और रामनामी समुदाय की अनोखी पहचान को खूबसूरती से दर्शाती है। रामनामी समुदाय, जो भगवान श्री राम के प्रति अपनी अनन्य भक्ति के लिए जाना जाता है, इस झांकी का मुख्य आकर्षण है। 

भारत पर्व 2025 का आयोजन लाल किला प्रांगण में 26 जनवरी से 31 जनवरी तक किया जाएगा। इस दौरान छत्तीसगढ़ सहित देश के विभिन्न राज्यों झांकियां भारत की सांस्कृतिक विविधता और विकास यात्रा को प्रदर्शित करेंगी। छत्तीसगढ़ की झांकी राज्य की जनजातीय संस्कृति के विविध रंगों को उजागर करेगी। यह झांकी दर्शकों को न केवल राज्य की कला और संस्कृति से रूबरू कराएगी, बल्कि छत्तीसगढ़ के आदिवासी समाज की विशिष्ट जीवनशैली और उनकी अनूठी परंपराओं की झलक भी दिखाएगी।

भारत पर्व हर साल गणतंत्र दिवस के अवसर पर पर्यटन मंत्रालय द्वारा आयोजित किया जाता है। यह कार्यक्रम 26 जनवरी से 31 जनवरी तक नई दिल्ली के लाल किला प्रांगण में आयोजित किया जाता है। इस पर्व में सुबह 10 बजे से रात 9 बजे तक प्रवेश निशुल्क होता है। यह भारतीय संस्कृति, परंपरा, तथा विविधता को करीब से देखने का शानदार अवसर प्रदान करता है। भारत पर्व में गणतंत्र दिवस परेड में शामिल विभिन्न राज्यों की झांकियों को देखने के साथ ही फूड वेंडर्स के स्टॉल पर विभिन्न राज्यों के स्वादिष्ट व्यंजन का लुत्फ भी उठा सकते हैं।

बस्तर अंचल के श्री पंडी राम मंडावी पद्मश्री सम्मान के लिए चयनित,मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय ने दी बधाई और शुभकामनाएं

मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय ने नारायणपुर जिले के जनजातीय कलाकार श्री पंडी राम मंडावी का नाम पद्मश्री सम्मान के लिए चयनित होने पर बधाई और शुभकामनाएं दी है। यह प्रतिष्ठित सम्मान उन्हें पारंपरिक वाद्ययंत्र निर्माण और लकड़ी की शिल्पकला के क्षेत्र में उनके उल्लेखनीय योगदान के लिए दिया जाएगा।

श्री पंडी राम मंडावी, जो 68 वर्ष के हैं, गोंड मुरिया जनजाति से संबंधित हैं। वे पिछले पांच दशकों से बस्तर की सांस्कृतिक धरोहर को न केवल संरक्षित कर रहे हैं, बल्कि उसे नई पहचान भी दिला रहे हैं। उनकी विशेष पहचान बांस की बस्तर बांसुरी, जिसे ‘सुलुर’ कहा जाता है, के निर्माण में है। इसके अलावा, उन्होंने लकड़ी के पैनलों पर उभरे हुए चित्र, मूर्तियां और अन्य शिल्पकृतियों के माध्यम से अपनी कला को वैश्विक स्तर पर पहुंचाया है।

श्री पंडी राम मंडावी ने मात्र 12 वर्ष की आयु में अपने पूर्वजों से यह कला सीखी और अपने समर्पण व कौशल के दम पर छत्तीसगढ़ की कला और संस्कृति को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया। एक सांस्कृतिक दूत के रूप में उन्होंने अपनी कला का प्रदर्शन 8 से अधिक देशों में किया है। साथ ही, अपने कार्यशाला के जरिए एक हजार से अधिक कारीगरों को प्रशिक्षण देकर इस परंपरा को नई पीढ़ियों तक पहुंचाने का कार्य किया है।