Page Nav

HIDE

Grid

GRID_STYLE

Pages

Classic Header

{fbt_classic_header}

Top Ad

ब्रेकिंग :

latest

Breaking News

Automatic Slideshow


तीन नए अपराधिक कानून को मजबूत बनाने नहीं चार्जशीट समय पर दाखिल करने, Zero FIR को शत-प्रतिशत FIR में बदलने, अपराध एवं अपराधी ट्रैकिंग नेटवर्क एवं सिस्टम (CCTNS) के जरिए दो राज्यों के बीच FIR ट्रांसफर करने की व्यवस्था को अपनाने पर भी जोर

  गुजरात सरकार सभी कमिश्नरेट में 30 अप्रैल 2025 तक और पूरे राज्य में जल्द से जल्द नये आपराधिक कानूनों का क्रियान्वयन सुनिश्चित करे 10 वर्ष स...

Also Read

 




गुजरात सरकार सभी कमिश्नरेट में 30 अप्रैल 2025 तक और पूरे राज्य में जल्द से जल्द नये आपराधिक कानूनों का क्रियान्वयन सुनिश्चित करे

10 वर्ष से अधिक सजा वाले मामलों में 92% से अधिक चार्जशीट समय पर दाखिल करने गुजरात का सराहनीय कार्य 

जेलों में हर न्यायालय के लिए एक वीडियो कॉन्फ़्रेंसिंग क्यूबिकल हो

गुजरात के फोरेंसिक क्राइम मैनेजर की पहल को अन्य राज्यों को भी अपनाना चाहिए


 नई दिल्ली  .
असल बात न्यूज़.
  0 विधि संवाददाता 

देश में तीन नए अपराधिक कानून को लागू हुए अब कुछ महीने बाद, एक बार साल पूरा होने जा रहे हैं तो इसकी समीक्षा शुरू हो गई कि यह कानून अपने उद्देश्यों पर कितना खरा उतर रहा  है.आम जनता को इससे कितनी सहूलियत मिलनी शुरू हुई है न्याय व्यवस्था में इससे कैसा और कितना सुधार आया है. यह कानून लागू होने के बाद लोगों का न्याय व्यवस्था पर भरोसा बढ़ा है अथवा नहीं और अपराधियों के खिलाफ जिस तरह से शिकंजा कसा जाना चाहिए, उसमें सफलता मिल रही है कि नहीं. गुजरात में इस पर व्यापक स्तर  पर समीक्षा हुई है.केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री श्री अमित शाह और  गुजरात के मुख्यमंत्री श्री भूपेन्द्र पटेल इसमें शामिल हुए. बैठक में इस बात पर जोर दिया गया कि तीन नए आपराधिक कानूनों की आत्मा, किसी भी मामले में FIR से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक तीन साल में न्याय दिलाने के प्रावधान में है, इसलिए पीड़ितों को शीघ्र से शीघ्र न्याय दिलाने पर जोर देना चाहिए। चार्जशीट समय पर दाखिल करने, Zero FIR को शत-प्रतिशत FIR में बदलने, अपराध एवं अपराधी ट्रैकिंग नेटवर्क एवं सिस्टम (CCTNS) के जरिए दो राज्यों के बीच FIR ट्रांसफर करने की व्यवस्था को अपनाने पर भी जोर दिया गया 

बैठक में पुलिस, जेल, कोर्ट, अभियोजन और फॉरेन्सिक से संबंधित विभिन्न नए प्रावधानों के गुजरात में कार्यान्वयन और वर्तमान स्थिति की समीक्षा की गई। बैठक में गुजरात के गृह राज्य मंत्री, केन्द्रीय गृह सचिव, गुजरात के मुख्य सचिव और पुलिस महानिदेशक, राष्ट्रीय अपराध रिकार्ड ब्यूरो (NCRB) के महानिदेशक और केन्द्रीय गृह मंत्रालय एवं राज्य सरकार के अनेक वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।


बैठक में चर्चा के दौरान केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी द्वारा लाए गए तीन नए आपराधिक कानूनों की आत्मा, किसी भी मामले में FIR से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक तीन साल में न्याय दिलाने के प्रावधान में है। श्री शाह ने गुजरात सरकार द्वारा नए आपराधिक कानूनों के क्रियान्वयन को लेकर अब तक किए गए कार्यों की सराहना करते हुए राज्य सरकार से 30 अप्रैल 2025 तक सभी कमिश्नरेट में नए कानूनों का शत-प्रतिशत कार्यान्वयन सुनिश्चित करने को कहा। उन्होंने कहा कि गुजरात के मुख्यमंत्री से इसकी मासिक, राज्य के गृह मंत्री पाक्षिक और मुख्य सचिव, अतिरिक्त मुख्य सचिव (गृह) एवं महानिदेशक पुलिस स्तर पर साप्ताहिक समीक्षा की जानी चाहिए।  

श्री अमित शाह ने कहा कि गुजरात ने 10 वर्ष से अधिक सजा वाले मामलों में 92 प्रतिशत से अधिक चार्जशीट समय पर दाखिल करने का सराहनीय कार्य किया है। उन्होंने कहा कि बचे हुए मामलों में अधिनियम में कोर्ट से अनुमति लेने के प्रावधान के उपयोग को सुनश्चित करने की समीक्षा की जानी चाहिए। गृह मंत्री ने कहा कि गुजरात ने Zero FIR को शत-प्रतिशत FIR में बदलने का प्रशंसनीय कार्य किया है। उन्होंने कहा कि ऐसी व्यवस्था की जानी चाहिए जिसमें अपराध एवं अपराधी ट्रैकिंग नेटवर्क एवं सिस्टम (CCTNS) के जरिए दो राज्यों के बीच FIR ट्रांसफर किया जा सके । गुजरात को CCTNS 2.0 को अपनाना चाहिए।

श्री अमित शाह ने कहा कि गुजरात ने 10 वर्ष सेअधिक सजा वाले मामलों में 92 प्रतिशत से अधिक चार्जशीट समय पर दाखिल करने का सराहनीय कार्य किया है। उन्होंने कहा कि बचे हुए मामलों में अधिनियम में कोर्ट से अनुमति लेने के प्रावधान के उपयोग को सुनश्चित करने की समीक्षा की जानी चाहिए। गृह मंत्री ने कहा कि गुजरात ने Zero FIR को शत-प्रतिशत FIR में बदलने का प्रशंसनीय कार्य किया है। उन्होंने कहा कि ऐसी व्यवस्था की जानी चाहिए जिसमें अपराध एवं अपराधी ट्रैकिंग नेटवर्क एवं सिस्टम (CCTNS) के जरिए दो राज्यों के बीच FIR ट्रांसफर किया जा सके । गुजरात को CCTNS 2.0 को अपनाना चाहिए।

नए कानूनों में इलेक्ट्रॉनिक साक्ष्य के प्रावधान पर गृह मंत्री ने कहा कि इसके उचित क्रियान्वयन के लिए राज्य के गृह एवं स्वास्थ्य विभाग को बैठक कर अस्पतालों से पोस्टमार्टम और अन्य मेडिकल रिपोर्ट इलेक्ट्रॉनिक रूप से प्राप्त करने पर जोर देना चाहिए। श्री शाह ने जेलों, सरकारी अस्पतालों, बैंक, फोरेंसिक साइंस लैबोरेटरी (FSL) इत्यादि परिसरो में भी वीडियो कॉन्फ़्रेंसिंग के जरिए साक्ष्य दर्ज करने के व्यवस्था होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि जेलों में हर न्यायालय के लिए एक वीडियो कॉन्फ़्रेंसिंग क्यूबिकल होनी चाहिए। 

केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री ने कहा कि पुलिस को पूछताछ के लिए हिरासत में रखे गए लोगों की जानकारी इलेक्ट्रॉनिक डैशबोर्ड पर प्रदान करनी चाहिए, साथ ही जब्ती सूची और अदालतों में भेजे जाने वाले मामलों की जानकारी भी डैशबोर्ड पर रखनी चाहिए। उन्होंने राज्य के पुलिस महानिदेशक को इन मामलों की निरंतर मॉनिटरिंग का भी निर्देश दिया। श्री शाह ने पुलिस थानों में नेटवर्क कनेक्टिविटी स्पीड को निर्धारित मानांकों से 30 mbps अधिक करने को कहा।

श्री अमित शाह ने कहा कि राज्य सरकार को परिपत्र जारी कर यह सुनिश्चित करना चाहिए कि संगठित अपराध, आतंकवाद, मॉब लिन्चिंग के प्रावधानों का दुरुपयोग न हो। इसके लिए उच्च स्तर से अनुमति के सख्त प्रावधान किये जाने चाहिए। उन्होंने कहा कि भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता में Trial In Absentia का प्रावधान किया गया है जिसके तहत भगोड़े अपराधियों के खिलाफ कार्रवाई की जा सके। राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े मामलों में लंबे समय से देश से फरार आरोपित भगोड़ों के खिलाफ Trial In Absentia की शुरुआत की जानी चाहिए।

गृह मंत्री ने हर जिले में दो से अधिक फॉरेंसिक साइंस मोबाइल वैन्स की उपलब्धता सुनिश्चित करने पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि ऐसा प्रयास करना चाहिए जिससे मोबाइल फोरेंसिक वैन्स में काम में आने वाली सभी 12 किट्स भारत में ही निर्मित हो। श्री शाह ने कहा कि गुजरात द्वारा फोरेंसिक क्राइम मैनेजर की पहल को अन्य राज्यों को भी अपनाना चाहिए। साथ ही लंबित फोरेंसिक मामलों को अभियान चला कर खत्म करना चाहिए। उन्होंने फॉरेंसिक विशेषज्ञों की भर्ती पर जोर देते हुए फॉरेन्सिक विभाग में खाली पदों पर भर्ती शीघ्र सुनिश्चित करने को कहा।

केन्द्रीय गृह मंत्री ने कहा कि गुजरात उच्च न्यायालय ने 22 जनवरी 2025 को सभी अधीनस्थ न्यायालयों को ई-प्रोसेसेज जारी करने के निर्देश जारी किए हैं, जो एक अच्छी पहल है। उन्होंने कहा कि अन्य राज्यों में भी इसके लिए प्रयास किए जाने चाहिए। श्री शाह ने डायरेक्टरेट ऑफ प्रॉसिक्यूशन में खाली पदों पर जल्द से जल्द भर्ती सुनिश्चित करने को कहा। गृह मंत्री ने कहा कि प्रशिक्षण में न्यायिक अधिकारियों को भी जोड़ा जाना चाहिए और ज्यूडिशियल अकैडमी से समन्वय कर प्रशिक्षण आयोजित किये जाने चाहिए।